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Narmadapuram Gaushala: गौशाला में 2 माह से बोरवेल बंद, प्यास से तड़प रहे 95 मवेशियों की जान अधर में लटकी, कमजोर होकर तोड़ रहे दम

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Published : Jul 28, 2023, 9:09 PM IST

नर्मदापुरम की एक गौशाला में 2 माह से बोरवेल बंद हो गया है जिससे मवेसी प्यास से तड़प रहे हैं. गौशाला संचालक का कहना है कि पानी का 1 टैंकर भिजवाया जाता है लेकिन इतने में 95 मवेशियों को कैसे हो पाएगा. भूख और प्यास से मवेशियों की मौत हो रही है.

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बोरबेल बंद प्यास से तड़प रहे हैं मवेशी

नर्मदापुरम। जिले के केसला ब्लाक के ग्राम जमानी की गौशाला में 2 मार्च से ट्यूबवेल खराब हो जाने से मवेशी प्यासे मर रहे हैं बमुश्किल उन्हें पानी नसीब हो रहा है. एक ओर जहां प्रदेश सरकार गोवंश के लिए तमाम योजनाएं चला रही है वहीं केसला ब्लाक के जमानी में गोवंश की बद से बदतर हो चुकी बदहाल स्थिति देखी जा सकती है. 2 माह से गौशाला का बोरवेल खराब है. महिला सरपंच ने केसला ब्लॉक की सीईओ को चार बार पत्र लिखकर शिकायत की लेकिन इस ओर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है. इस वजह से 95 गोवंश को पीने का पानी नहीं मिलने से उनकी जान संकट पर बनी हुई है. प्यासे मवेशियों को जान बचाने के लिए उन्हें गौशाला बाहर छोड़ा जा रहा है.

यह स्थिति और कहीं नहीं बल्कि सिवनी मालवा विधानसभा के ग्राम पंचायत जमानी की गौशाला झालपा में देखी जा सकती. मवेशियों को पानी नहीं मिलने से वह कमजोर हो गए हैं. जहां एक और प्रदेश सरकार गोवंश की सुरक्षा के लिए तमाम वादे किए जा रहे हैं. वहीं गौशाला झालपा में स्थिति कुछ अलग ही देखने को मिल रही है. सडकों पर घूमने वाले गोवंश को सुरक्षित करने के लिए गौशालाओं का निर्माण कराया गया है, लेकिन यहां तो मवेशियों के पीने के पानी तक के लाले पड़े हुए हैं. विगत 2 माह से गौशाला का बोरवेल खराब पड़ा हुआ है मवेशी प्यास से तड़प रहे हैं. ग्राम पंचायत जमानी की सरपंच कला कुमरे ने चार बार केसला की सीईओ वंदना कैथल को पत्र लिखा है. इसके बावजूद भी नया बोरवेल नहीं हुआ है. इससे गौशाला में 95 मवेशियों पीने के पानी के लिए तड़प रहे हैं.

29 लाख से तैयार की थी गौशाला: गौशाला का संचालन महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है. इसकी शुरुआत सितंबर 2019 में की गई थी. 29 लाख की लागत से बनाया गया है. गौशाला में वर्तमान में यहां 95 गौवंश है, लेकिन पानी तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. बोरवेल ने दो महीने पहले दम तोड़ दिया. दूसरी जगह से टैंकर से पानी लेना पड़ रहा है. इस संबंध में सीईओ वंदना कैथल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह ग्राम पंचायत को ही काम करना है. बोरवेल खनन के लिए पीएचई विभाग एसडीओ को पत्र लिखा है। जल्दी ही गौशाला में बोरवेल का खनन किया जाएगा. महिला सरपंच द्वारा पत्र लिखा गया था शिकायत नहीं की है.

टैंकर से आ रहा है पानी: सुखराम कुमरे जनपद सदस्य बताते हैं कि गौशाला का बोरवेल खराब पड़ा है। टैंकर से पानी बुलाना पड़ रहा है। बमुश्किल एक टैंकर 1000 से ₹500 में आता है। एक टैंकर पानी में 95 मवेशी बमुश्किल पानी पी रहे है। यह टैंकर भी कभी आता है तो कभी नहीं आता। प्यासे मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए टैंकर चालकों के हाथ जोड़ना पड़ रहे है। किसी का मन होता है तो वह ₹500 में एक टैंकर पानी ला देता है नहीं तो ₹1000 भी देने पड़ रहे है। भूख, प्यास से मवेशियों की मौत भी हो रही है.

इलाज की भी नहीं व्यवस्था: गौशाला में समय-समय पर पशु चिकित्सक द्वारा गोवंश की जांच होना चाहिए, लेकिन वह भी नहीं की जाती है. जिससे बीमार गाय, बछड़ों की इलाज के अभाव में भी जान चली जाती है. गौशाला में एक बीमार गाय पड़ी है, जो कुछ दिन ही दम तोड़ देगी. बीस रुपए प्रति गोवंश मिलता है समूह को गौशाला संचालक को बीस रुपए प्रति गोवंश के हिसाब से शासन द्वारा दिए जाते हैं और यह राशि भूसा के लिए दी जाती है, लेकिन इस समय भूसा 12 रुपए किलो है, जिससे मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है. गौशाला में सिर्फ गायों को भूसा ही दिया जा रहा है। चारे की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां मवेशियों की हालत बद से बदतर देखी जा सकती है.

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गिरकर हो रही है मौत: जनपद सदस्य सुखराम कुमरे ने बताया कि ग्राम पंचायत जमानी के झालपा में बनी गौशाला में दो तीन दिनों में एक मवेशी की गिरकर मर भी रहा है. गौशाला का फ्लोर पत्थर का होने से मवेशी स्लिप हो रहा है और गिर कर उनकी मौत भी हो रही है. स्व सहायता समूह काम करने वाली महिलाएं मवेशी उठा नहीं पाती है और उनकी मौत हो जाती है.

टैंकर से आ रहा है पानी: सुखराम कुमरे जनपद सदस्य बताते हैं कि गौशाला का बोरवेल खराब पड़ा है. टैंकर से पानी बुलाना पड़ रहा है. बमुश्किल एक टैंकर 1000 से ₹500 में आता है. एक टैंकर पानी में 95 मवेशी बमुश्किल पानी पी रहे है. यह टैंकर भी कभी आता है तो कभी नहीं आता. प्यासे मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए टैंकर चालकों के हाथ जोड़ना पड़ रहे है किसी का मन होता है तो वह ₹500 में एक टैंकर पानी ला देता है नहीं तो ₹1000 भी देने पड़ रहे है. भूख, प्यास से मवेशियों की मौत भी हो रही है.

इलाज की भी नहीं व्यवस्था: गौशाला में समय-समय पर पशु चिकित्सक द्वारा गोवंश की जांच होना चाहिए, लेकिन वह भी नहीं की जाती है. जिससे बीमार गाय, बछड़ों की इलाज के अभाव में भी जान चली जाती है। गौशाला में एक बीमार गाय पड़ी है, जो कुछ दिन ही दम तोड़ देगी. गौशाला संचालक को बीस रुपए प्रति गोवंश के हिसाब से शासन द्वारा दिए जाते हैं और यह राशि भूसा के लिए दी जाती है, लेकिन इस समय भूसा 12 रुपए किलो है, जिससे मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है. गौशाला में सिर्फ गायों को भूसा ही दिया जा रहा है। चारे की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां मवेशियों की हालत बद से बदतर देखी जा सकती है.

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