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Teachers Day 2023: रिटायर्ड बुजुर्ग शिक्षक की कहानी, जिसने बेसहारा और गरीब बच्चों की जिंदगी को संवारने का लिया है संकल्प

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 2:23 PM IST

Updated : Sep 5, 2023, 4:43 PM IST

Teachers Day 2023
शिक्षक दिवस स्पेशल

शिक्षक दिवस स्पेशल: ग्वालियर के रिटायर्ड बुजुर्ग शिक्षक ओपी दीक्षित, जिन्होंने बेसहारा और गरीब बच्चों की जिंदगी को संवारने का संकल्प लिया है. आइए जानते हैं शिक्षा के महादानी यानि ओपी दीक्षित की कहानी-

शिक्षक दिवस स्पेशल

ग्वालियर। आज शिक्षक दिवस पर ऐसे शिक्षक के बारे में बताएंगे, जो गरीब और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा कर उनके जीवन को रोशन कर रहा है. रिटायर्ड शिक्षक ने गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए वह कमाल कर दिया है, जिसकी तारीफ हर कोई करता है. इस रिटायर्ड शिक्षक ने एक बच्चे को पढ़ाने की शुरुआत की थी, आज यह बच्चों का कारवां 500 से अधिक पहुंच चुका है. अब शिक्षकों की यह टोली दो दर्जन से अधिक स्थानों पर इन असाह और गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही है.

असहाय और गरीब बच्चों के लिए फरिश्ता: ग्वालियर में 65 साल के बुजुर्ग रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित में असहाय और गरीब बच्चों के लिए कोई फरिश्ते से कम नहीं है, क्योंकि ऐसे बच्चों को पेट भरने के लिए रोटी का इंतजाम हर कोई कर देता है, लेकिन जीवन को सवारने की जिम्मेदारी हर कोई नहीं उठा पता है और यह जिम्मेदारी बखूबी रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित निभा रहे हैं. ओपी दीक्षित बताते है कि "मैं साल 2019 में एक दिन मॉर्निंग वॉक पर जा रहा था, उसी समय मैंने रेल की पटरी के पास कुछ आदिवासी जाति के बच्चों को खेलते हुए देखा. जब मैंने उनके घर वालों से पूछा कि बच्चों को स्कूल क्यों नहीं भेजते हो तो बच्चों के घर से जवाब आया कि साहब हम मजदूरी करते हैं और बच्चों को पढ़ाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं. बस उसी दिन से मैंने ठान लिया था कि अब गरीब और मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करूंगा."

बच्चों में जागा पढ़ाई का कीड़ा: साल 2019 में ओपी दीक्षित ने चार बच्चों को रेलवे स्टेशन के बाहर पढ़ना शुरू किया, ओपी दीक्षित ने बताया है कि "रेल की पटरियों के बगल से रहने वाले परिवारों के बच्चों को मैंने पढ़ना शुरू किया. जब शाम के वक्त मैं वहां पहुंचता था तो जमीन पर बोरी बिछाकर बच्चों के साथ बैठता और उन्हें पढ़ाता था. शुरुआत में सिर्फ एक या दो ही बच्चे पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन उसके बाद शिक्षा की ऐसी अलख जगी कि वहां पर रहने वाले दो दर्जन से अधिक परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए मेरे पास आने लगे. इन गरीब बच्चों को पढ़ाई की ऐसी लत लगी, कि वे रोज समय पर क्लास अटेंड करने के लिए पहुंच जाते थे. कुछ समय बाद धीरे-धीरे संख्या काफी बढ़ने लगी."

40 से अधिक शिक्षक फ्री में दे रहे शिक्षा: रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित बताते हैं कि "जब मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए जाता था तो मुझे देख मेरे कुछ मित्र भी इस कार्य में जुड़ गए. आज मेरे दोस्त भी शिक्षा की अलख जगाने के लिए जाते हैं और बच्चों को पढ़ाते है. जब इस बात की चर्चा शहर में होने लगी तो कई ऐसे युवा और रिटायर्ड शिक्षक भी हमारी टोली में शामिल होने लगे और वे सभी इन बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने के लिए आने लगे. धीरे-धीरे मेरी टोली में युवा और बुजुर्ग शिक्षकों की संख्या भी बढ़ने लगी, साथ ही गरीब बच्चों को भी यह लगने लगा कि उनकी जिंदगी को संवारने के लिए कोई फरिश्ता लगातार मेहनत कर रहा है."

फिलहाल दीक्षित की टोली में बच्चों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. 5 बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत करने वाले ओपी दीक्षित आज लगभग 700 से अधिक गरीब और असहाय बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. ओपी दीक्षित की टोली में 40 से अधिक ऐसे युवा और बुजुर्ग शिक्षक और शिक्षिकाएं शामिल हैं, जो इन बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए समय पर आते हैं. पिछले 4 साल में 700 से अधिक बच्चे इस बुजुर्ग शिक्षक की पाठशाला में आने लगे, इसलिए अब ग्वालियर में 14 जगह यह पाठशाला लगाई जाती है, जहां कक्षा एक से दसवीं तक के छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है. आज ग्वालियर में यह पाठशाला नए आयाम छू रही है, इस पाठशाला से कई विद्यार्थियों ने हाई स्कूल में टॉप किया है.

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शिक्षा ही सबसे बड़ा दान: ओपी दीक्षित सर की कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चे फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं, इसलिए शहर के समाजसेवियों की मदद से बच्चों को निशुल्क पढ़ाई का सामान भी दिया जा रहा है. बुजुर्ग शिक्षक दीक्षित का कहना है कि "शिक्षा ही सबसे बड़ा दान है. मैंने बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के दौरान तमाम कठिनाइयों का सामना किया, पाठशाला के लिए जगह नहीं थी तो मैंने रेलवे स्टेशन के पास, शहर के चौराहों पर बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना शुरू किया. मेरे इस प्रयास को देखते हुए शहर के समाजसेवी भी आगे आए और उन्होंने मेरी पाठशाला के लिए अपने घर में जगह दी, जहां बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है."

Last Updated :Sep 5, 2023, 4:43 PM IST
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