ETV Bharat / state

133 साल पहले लालटेन की रोशनी में शुरू हुई रामलीला पहुंची 3D इफेक्ट तक, पीढ़ी दर पीढ़ी काम कर रहे कलाकार

author img

By

Published : Oct 14, 2021, 10:38 AM IST

Updated : Oct 14, 2021, 1:57 PM IST

लालटेन की रोशनी में शुरू हुई रामलीला 2021 में 133 वें साल में आधुनिक तकनीकों के साथ प्रवेश कर चुकी है. समय बदलने के साथ ही रामलीला मंडल ने बदलाव किए, लेकिन संस्कार और परंपरा प्राचीन तौर-तरीके वाले ही हैं. आज मर्यादा पुरुषोत्तम (Lord Ram) की लीला का मंचन उसी ढंग से होता है, जिस तरह से 133 साल पहले शुरू हुआ था.

Ramleela
रामलीला

छिंदवाड़ा। भले ही दुनिया सोशल मीडिया के युग में जी रही हो, लेकिन छिंदवाड़ा में रामलीला मंचन (Ramleela in Chhindwara) की परंपरा पिछले 130 सालों से अपने अस्तित्व को बनाए हुए है. हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीला मंडल (Ramleela mandal) की, जो लगातार अपनी परंपरा को निभाता आ रहा है.

मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीला.

133 साल पहले शुरू हुई रामलीला
लालटेन की रोशनी में शुरू हुई रामलीला 2021 में 133 वें साल में आधुनिक तकनीकों के साथ प्रवेश कर चुकी है. समय बदलने के साथ ही रामलीला मंडल ने बदलाव किए, लेकिन संस्कार और परंपरा प्राचीन तौर-तरीके वाले ही हैं. आज मर्यादा पुरुषोत्तम (Lord Ram) की लीला का मंचन उसी ढंग से होता है, जिस तरह से 133 साल पहले शुरू हुआ था. बाली का किरदार निभाते हुए सतीश दुबे ने बताया कि छिंदवाड़ा की प्राचीन रामलीला को 133 साल हो चुके हैं. रामलीला की शुरुआत करते हुए 1889 में उस समय के लोगों ने एक वटवृक्ष लगाया था. उसके बाद लगातार भगवान राम की लीलाओं का मंचन करते चले आ रहे हैं.

पहले कोयला और पीली मिट्टी से करते थे मेकअप
रामलीला मंडल के अध्यक्ष सतीश दुबे ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने लालटेन की रोशनी में रामलीला प्रारंभ की थी. उन्होंने बताया कि उस समय के संसाधन के हिसाब से कोयला, पीली मिट्टी, गेरू और चाक से रामलीला के पात्रों का मेकअप करते थे. मंडल अध्यक्ष सतीश दुबे बताते हैं कि समय बदला है और आधुनिक मीडिया के युग में रंगमंच तक दर्शकों को लाना बड़ी चुनौती होती है, लेकिन फिर भी वे इस दौर में लोगों को रंगमंच तक लाकर राम की लीला और उनके आदर्शों को परोसने का काम कर रहे हैं, ताकि लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहें.

400 लोग मिलकर करते हैं रामलीला
रामलीला मंडल के लिए करीब 400 लोगों की टीम काम करती है. शुरुआत होने के एक महीने पहले ही लोग अपने-अपने काम में लग जाते हैं और तैयारियां होती हैं, जो बाद में मंच पर दिखती हैं. रामलीला में काम करने वाले सभी लोग किसी न किसी नौकरी या व्यवसाय से जुड़े हैं, लेकिन अपनी परंपरा चलती रहे, इसके लिए एक महीने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं.

रामलीला में करती हैं एक साथ चार पीढ़ी काम
रामलीला की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां एक नहीं चार चार पीढ़ियां एक साथ काम कर रही हैं. रावण का किरदार निभा रहे डाकघर में पोस्ट मास्टर की नौकरी करने वाले विनोद विश्वकर्मा बताते हैं कि वे 47 सालों से रामलीला में मंचन कर रहे हैं और रावण का किरदार 23 सालों से निभा रहे हैं. उनकी खुद की तीसरी पीढ़ी अब रामलीला में मंचन कर रही है.

रावण पर रार! कांग्रेस ने की मांग- 'सरकार अगर राम भक्त तो रावण को मारने की दे छूट'

रामलीला को आधुनिक बनाने के लिए इस्तेमाल किए 3D इफेक्ट
बदलते समय के साथ रामलीला ने अपनी तकनीकियों में बदलाव किए हैं. शुरुआत में बिजली नहीं थी तो लालटेन की रोशनी में रामलीला कराई जाती थी, लेकिन अब इसमें तकनीक का सहारा लेते हुए 3D इफेक्ट डाले गए हैं. ऐसे नजारे जो मंच पर दिखाना मुश्किल होता है उनको पहले छिंदवाड़ा में ही कलाकारों द्वारा फिल्माया गया और फिर उन्हें स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है. खास बात है कि जो कलाकार एलईडी में दिखाया जाता है वही असल कलाकार मंच पर भी होता है. 14 दिनों तक चलने वाली रामलीला का समापन दशहरा के दिन रावण के पुतले के दहन के साथ होता है. शहर के दशहरा मैदान में भव्य समारोह के दौरान रामलीला में राम, रावण के पुतले का दहन करते हैं.

Last Updated : Oct 14, 2021, 1:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.