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जीत का स्वाद फीका कर गया ये चुनाव, सीट तो जीती लेकिन प्रदेश का दिल हारे कमलनाथ

Kamalnath Profile: मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अपने कहे के मुताबिक बहुमत से जीत हासिल की, तो वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जीत कर भी हार गए. हालांकि कमलनाथ छिंदवाड़ा से 35 हजार वोटों से जीत तो गए, लेकिन इस जीत का स्वाद कमलनाथ के लिए फीका ही है. पढ़िए कमलनाथ की प्रोफाइल...

Kamalnath Profile
जीत कर भी हारे कमलनाथ
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 3, 2023, 4:35 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 4:59 PM IST

छिंदवाड़ा। 3 दिसंबर यानि नतीजों का दिन. चार राज्यों के चुनाव परिणाम आए. इस चुनाव में एमपी में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की. कहा जा रहा था कि एमपी के चुनाव में कांटे की टक्कर है, लेकिन काउंटिंग शुरू होते ही रूझान बीजेपी के पक्ष में नजर आए. इस चुनाव में शिवराज और कमलनाथ दोनों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया, लेकिन जनता ने शिवराज को चुना. वहीं बात अगर कमलनाथ की करें तो भले ही कमलनाथ अपने घर छिंदवाड़ा में विधानसभा का चुनाव जीत गए, लेकिन प्रदेश में उनकी बड़ी हार है. क्योंकि उनके चेहरे पर ही कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था.

2018 में संजीवनी साबित हुए थे कमलनाथ: छिंदवाड़ा को विकास मॉडल बता कर 2018 में कमलनाथ कांग्रेस को सत्ता में वापस कर दिया था, लेकिन सिंधिया समर्थक विधायकों की नाराजगी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. एक बार फिर कमलनाथ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रहते हुए लगातार कांग्रेस को वापस करने के लिए मेहनत कर रहे थे, लेकिन मध्य प्रदेश की जनता ने उनके वादों पर भरोसा नहीं किया.

कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए मांगे गए थे वोट: भले ही मध्य प्रदेश की जनता ने कमलनाथ को अपना मुख्यमंत्री बनाना मुनासिब नहीं समझा, लेकिन छिंदवाड़ा इस बार वोट मुख्यमंत्री के नाम पर डाले गए थे. कांग्रेस के हर नेता से लेकर प्रचार में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांगे जा रहे थे छिंदवाड़ा की जनता ने भी कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया.

अपने राजनीतिक सफर के साथ बेटे के भविष्य पर भी पड़ेगा असर: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के लिए विधानसभा चुनाव काफी अहम था, क्योंकि उनकी राजनीतिक जीवन के अंतिम चुनाव के साथ-साथ उनके बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य पर भी इसका असर पड़ेगा. 2019 में लोकसभा का चुनाव जीते. उनके बेटे सांसद नकुलनाथ के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, लेकिन 2024 के चुनाव में नकुलनाथ के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा.

लाडली बहना के सामने नारी सम्मान योजना हो गई फीकी: भारतीय जनता पार्टी की लाडली बहना योजना के मुकाबले में कमलनाथ ने भी नारी सम्मान योजना की शुरुआत लेकिन मध्य प्रदेश की महिलाओं ने शिवराज सरकार पर भरोसा करते हुए उन्हें पूर्ण बहुमत के करीब पहुंचा दिया. कमलनाथ की नारी सम्मान योजना इसके सामने फीकी पड़ गई हालांकि छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भरपूर सहयोग दिया.

यहां पढ़ें...



बीजेपी की रणनीति आई काम कमलनाथ को छिंदवाड़ा में ही घेरे रखा: भारतीय जनता पार्टी की रणनीति थी कि किसी भी तरीके से कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेर कर रखा जाए, ताकि वह मध्य प्रदेश में प्रचार नहीं कर सके भाजपा अपनी रणनीति में सफल भी रही क्योंकि कमलनाथ चुनाव के करीब 15 दिन पहले छिंदवाड़ा में ही ज्यादा दौरे करते नजर आए थे. भले ही भारतीय जनता पार्टी छिंदवाड़ा में चुनाव हार गई लेकिन वह अपनी रणनीति में सफल रही.

छिंदवाड़ा। 3 दिसंबर यानि नतीजों का दिन. चार राज्यों के चुनाव परिणाम आए. इस चुनाव में एमपी में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की. कहा जा रहा था कि एमपी के चुनाव में कांटे की टक्कर है, लेकिन काउंटिंग शुरू होते ही रूझान बीजेपी के पक्ष में नजर आए. इस चुनाव में शिवराज और कमलनाथ दोनों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया, लेकिन जनता ने शिवराज को चुना. वहीं बात अगर कमलनाथ की करें तो भले ही कमलनाथ अपने घर छिंदवाड़ा में विधानसभा का चुनाव जीत गए, लेकिन प्रदेश में उनकी बड़ी हार है. क्योंकि उनके चेहरे पर ही कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था.

2018 में संजीवनी साबित हुए थे कमलनाथ: छिंदवाड़ा को विकास मॉडल बता कर 2018 में कमलनाथ कांग्रेस को सत्ता में वापस कर दिया था, लेकिन सिंधिया समर्थक विधायकों की नाराजगी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. एक बार फिर कमलनाथ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रहते हुए लगातार कांग्रेस को वापस करने के लिए मेहनत कर रहे थे, लेकिन मध्य प्रदेश की जनता ने उनके वादों पर भरोसा नहीं किया.

कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए मांगे गए थे वोट: भले ही मध्य प्रदेश की जनता ने कमलनाथ को अपना मुख्यमंत्री बनाना मुनासिब नहीं समझा, लेकिन छिंदवाड़ा इस बार वोट मुख्यमंत्री के नाम पर डाले गए थे. कांग्रेस के हर नेता से लेकर प्रचार में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांगे जा रहे थे छिंदवाड़ा की जनता ने भी कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया.

अपने राजनीतिक सफर के साथ बेटे के भविष्य पर भी पड़ेगा असर: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के लिए विधानसभा चुनाव काफी अहम था, क्योंकि उनकी राजनीतिक जीवन के अंतिम चुनाव के साथ-साथ उनके बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य पर भी इसका असर पड़ेगा. 2019 में लोकसभा का चुनाव जीते. उनके बेटे सांसद नकुलनाथ के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, लेकिन 2024 के चुनाव में नकुलनाथ के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा.

लाडली बहना के सामने नारी सम्मान योजना हो गई फीकी: भारतीय जनता पार्टी की लाडली बहना योजना के मुकाबले में कमलनाथ ने भी नारी सम्मान योजना की शुरुआत लेकिन मध्य प्रदेश की महिलाओं ने शिवराज सरकार पर भरोसा करते हुए उन्हें पूर्ण बहुमत के करीब पहुंचा दिया. कमलनाथ की नारी सम्मान योजना इसके सामने फीकी पड़ गई हालांकि छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भरपूर सहयोग दिया.

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बीजेपी की रणनीति आई काम कमलनाथ को छिंदवाड़ा में ही घेरे रखा: भारतीय जनता पार्टी की रणनीति थी कि किसी भी तरीके से कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेर कर रखा जाए, ताकि वह मध्य प्रदेश में प्रचार नहीं कर सके भाजपा अपनी रणनीति में सफल भी रही क्योंकि कमलनाथ चुनाव के करीब 15 दिन पहले छिंदवाड़ा में ही ज्यादा दौरे करते नजर आए थे. भले ही भारतीय जनता पार्टी छिंदवाड़ा में चुनाव हार गई लेकिन वह अपनी रणनीति में सफल रही.

Last Updated : Dec 3, 2023, 4:59 PM IST
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