ETV Bharat / state

Gandhi Jayati 2022: उपहार में मिले पानदान को छिंदवाड़ा में बापू ने किया था नीलाम, आज भी यहां के परिवार के पास है धरोहर

author img

By

Published : Oct 3, 2022, 5:24 PM IST

Gandhi Jayati 2022
उपहार में मिले पानदान को छिंदवाड़ा में बापू ने किया था नीलाम

देश ने 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 153 वीं जयंती मनाई. मध्य प्रदेश में गांधी जी के कदम जहां-जहां पड़े, वो जगह तारीख में दर्ज हो गई जो बापू की यादों को ताजा करती रहती है. छिंदवाड़ा में बापू ने उपहार में मिले चांदी के पानदान को नीलाम किया था जो आज भी यहां के त्रिवेदी परिवार के पास मौजूद है. (Gandhi Jayati 2022)

छिंदवाड़ा। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 153 वीं जयंती पर पूरे देश ने उन्हें याद किया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सबसे पहले अछूतों के दर्द को समझा और उनके हक की लड़ाई लड़ी. बापू के इन्हीं कामों ने उन्हें महात्मा बना दिया. वो आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं.

Chhindwara Govind Ram Trivedi family still having Bapu memories
उपहार में मिला था बापू को ये पानदान

उपहार में मिले चांदी के पानदान को छिंदवाड़ा में बापू ने किया था नीलाम: भेदभाव के खिलाफ आंदोलन के दौरान गांधी जी देश के एक कोने से दूसरे कोने का दौरा कर रहे थे, उसी दौरान वे दूसरी बार यानी 29 नवंबर 1933 को छिंदवाड़ा पहुंचे थे. तब बुधवारी बाजार में बापू ने छितिया बाई नाम की एक महिला के बाड़े में एक जनसभा की थी, इस सभा के दौरान किसी अनजान व्यक्ति ने गांधी जी को उनकी तस्वीर जड़ा एक चांदी का पानदान भेंट किया था. बाद में उन्होंने छिंदवाड़ा के हिंदूवादी नेता गोविंद राम त्रिवेदी को ही 501 रुपए में इसे बेच दिया था. जिस परिवार ने उसे खरीदा था, आज भी वो परिवार उसे बतौर स्मृति सहेज कर रखे हुए है. आज भी उस परिवार के लिए वो किसी धरोहर से कम नहीं है.

बापू ने पानदान की नीलामी के लिए लगाई थी जनसभा: दरअसल, पानदान बेचने के पहले गांधी जी ने फव्वारा चौक पर उसे नीलाम करने के लिए रखा था, ताकि उससे मिले पैसे को आंदोलन में लगा सकें, क्योंकि इस पानदान का उनके पास कोई उपयोग नहीं था. लेकिन, नीलामी में पानदान की कीमत महज 11 रुपए लगी, जिसके बाद गांधी जी ने पानदान को नीलाम करने से मना कर दिया. इस पानदान की खासियत ये थी कि, इसमें गांधी जी की प्रतिमा उकेरी गई थी.

गांधी जयंती विशेष : चंपारण का 'राजकुमार'.. जिनकी वजह से गांधी बने 'महात्मा'

त्रिवेदी परिवार के पास आज भी है बापू का पानदान: नीलामी में जब बापू का पानदान नहीं बिका, तो किसी ने उन्हें उस समय के आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति पंडित गोविंद राम त्रिवेदी के बारे में बताया, कि पानदान की सही कीमत त्रिवेदी दे सकते हैं और फिर बापू ने पंडित गोविंद राम त्रिवेदी से संपर्क किया. बापू से चांदी का पानदान खरीदने वाले पंडित गोविंद राम त्रिवेदी अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके परिवार ने धरोहर को संभाल कर रखा है. गोविंद राम त्रिवेदी के पोते बताते हैं कि, उनके दादा बापू से मिलकर इतने प्रभावित हुए कि, उन्होंने हिंदू महासभा का दामन छोड़ दिया और कांग्रेस के हो लिए. इस दौरान वे कई बार जेल भी गए. जिससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया और 1945 में गोविंद राम त्रिवेदी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. गोविंद राम त्रिवेदी के निधन के बाद उनके परिवार ने आज भी बतौर बापू की यादें उस पानदान की धरोहर सहेज रखा है. गांधी के आगमन से छिंदवाड़ा राजनीतिक गतिविधियों का नया केंद्र बनकर उभरा था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.