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49वें खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ, भरत नाट्यम में दिखी उत्तर और दक्षिण सांस्कृति की झलक

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Published : Feb 21, 2023, 10:31 PM IST

Updated : Feb 21, 2023, 11:02 PM IST

खजुराहो नृत्य समारोह के 49वें संस्करण का रंगारंग शुभारंभ हुआ. इस समारोह में भरत नाट्यम और कथक की जुगलबंदी के जरिये उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक मिलाप की पहल सामने आई है.

49th Khajuraho Dance Festival
49वें खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ

49वें खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ

छतरपुर। खजुराहो के नृत्य समारोह के 49वां संस्करण का सोमवार को शुभारंभ हो गया है. इस समारोह में नृत्य मुद्राओं का जादू देखने को मिलेगा. बीती शाम चंदेलों के गांव खजुराहो के समारोह में नर्तकों ने भरत नाट्यम, कथक की मुद्राओं से सभी दर्शकों का मनमोह लिया. इस समारोह में उत्तर और दक्षिण सांस्कृति की झलक देखने को मिलती है. खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ क्षेत्रीय सांसद एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दीप प्रज्वलित करके किया है. इस महोत्सव की पहली शाम में प्रख्यात भरत नाट्यम नृत्यांगना जानकी रंगराजन, धीरेंद्र तिवारी, अपराजिता शर्मा और प्रख्यात अभिनेत्री व नृत्यांगना प्राची शाह ने अपनी नृत्य प्रस्तुतियों से दर्शकों को भाव विभोर कर दिया.

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भरत नाट्यम नृत्य से हुआ समारोह का आगाजः इस समारोह का आगाज डॉ. जानकी रंगराजन के भरतनाट्यम नृत्य से हुआ. उन्होंने अपने नृत्य में वर्णम की प्रस्तुति दी. इस प्रस्तुति में उन्होंने भरत नाट्यम शैली में भाव, ताल और राग तीनों को एक शृंगार की रचना के माध्यम से पेश किया. जिसमें नायक नायिका के प्यार को रसिकों ने बखूबी महसूस किया. इसमें उन्होंने पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम के साथ जतियों और स्वरों के साथ गीतात्मक भाग का भी प्रदर्शन किया. इस प्रस्तुति में गायन में वेणु गोपाल, नटवांगम पर साईं कृपा प्रसन्ना मृदंगम पर श्रीरंग एवं बांसुरी पर सुजीत नायक ने साथ दिया.

जुगलबंदी में उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक मिलाप की पहलः दूसरी प्रस्तुति में भरतनाट्यम और कथक की जुगलबंदी के जरिये उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक मिलाप की पहल सामने आई. युवा नर्तक धीरेंद्र तिवारी और अपराजिता शर्मा की ये पेशकश खूब पसंद की गई. धीरेंद्र कथक करते हैं और अपराजिता भरत नाट्यम. ये दोनों जब अपनी-अपनी नृत्य शैलियों के साथ एकाकार होते हैं तो आनंद का अतिरेक होता है. उनकी संपूर्ण प्रस्तुति का नाम ही "परस्पर" था. इसके बाद धीरेंद्र ने शिव पर केंद्रित रचना शिवोहम की प्रस्तुति दी. राग भैरव के सुरों और तीनताल में पगी बंदिश "मद आदि शिव अंत" पर धीरेंद्र ने भगवान शिव को साकार करने की कोशिश की. उसके बाद अपराजिता ने रेवती के सुरों में पगी आदितालम की रचना "दुर्गे दुर्गे जय जय दुर्गे' पर माँ दुर्गा शक्ति के समस्त रूपों को भाव भंगिमाओं और नृत गतियों से साकार किया.

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नृत्य का समापनः नृत्य का समापन आपने बड़े रामदास की चतुरंग से किया. बंदिश के बोल थे "मेरो मन भयो री प्रसन्न आज" राग देस के सुरों में निबद्ध इस बंदिश पर धीरेंद्र एवं अपराजिता ने परस्पर एक दूसरे की नृत्य शैलियों के बोलों पर नृत भावों और लयबद्ध पद संचालन का काम दिखाया. दोनों ही नर्तक अपनी प्रस्तुति को ऐसे मुकाम पर ले गए जहां रस ही रस बरस रहा था. इस प्रस्तुति में नतुवांगम पर कनिका सुधाकर, गायन में समीउल्लाह खान एवं वेंकटेश्वर कुप्पुस्वामी, मृदंगम पर राममूर्ति केशवन तबले पर योगेश गंगानी, वायलिन पर राघवेंद्र एवं पढन्त पर बप्पी डे ने साथ दिया. आज की सभा का समापन प्रख्यात कथक नृत्यांगना एवं सिने तारिका प्राची शाह के नृत्य से हुआ. वे आज की खास आकर्षण भी थीं.

Last Updated :Feb 21, 2023, 11:02 PM IST
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