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क्या कमलनाथ राजनीति से होने जा रहे हैं रिटायर ? या इसके पीछे है कोई बड़ा संदेश

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Published : Dec 15, 2020, 8:33 AM IST

मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस समय कमलनाथ के रिटायरमेंट वाले बयान को लेकर काफी राजनीति हो रही है. जहां अपने इस बयान पर कमलनाथ ने सफाई दी है, तो वहीं सीएम शिवराज ने उन्हें शुभकामनाएं भी दे दी. वहीं अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए कमलनाथ अपनी पार्टी और विपक्ष का मन टटोलने के लिए यह बयान दिया है.

Kamal Nath
कमलनाथ

भोपाल। एक तरफ कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी की बात कर रही है. तो दूसरी तरफ कमलनाथ ने आराम करने वाला बयान देकर मध्यप्रदेश का सियासी माहौल गर्म कर दिया है. कांग्रेस जहां इस बयान पर सफाई पेश करते हुए नजर आ रही है, तो दूसरी तरफ बीजेपी इस बयान को लेकर सियासी वार कर रही है. कमलनाथ के बयान के कई तरह के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. अपनी राजनीतिक कर्मभूमि छिंदवाड़ा में दिए इस बयान के सियासी संदर्भ स्थानीय राजनीति से भी जुड़ रहे हैं. तो प्रदेश की भावी राजनीति से भी जुड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. सियासी पंडित इसे कमलनाथ का सियासी दांव बता रहे हैं.

छिंदवाड़ा की स्थानीय सियासत भी हो सकती है वजह

कमलनाथ का बयान जिन परिस्थितियों में आया है. उस पर गौर करना जरूरी है. दरअसल 11 दिसंबर को छिंदवाड़ा के सौसर से पूर्व विधायक कांग्रेस नेता अजय चौरे ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अजय चौरे का परिवार परंपरागत कांग्रेसी परिवार है. अजय चौरे के पिता अर्जुन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. वहीं उनकी मां भी विधायक रहीं. अब उनका भाई विजय चोरे कांग्रेस से विधायक है. 2 दिन पहले अजय ने सिंधिया और शिवराज की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली.

कमलनाथ ने जब सौसर में ये बयान दिया,तो अजय चौरे की मां मंच पर मौजूद थी. उनका स्थानीय विधायक भाई विजय चौरे भी मंच पर मौजूद था. विजय ने संबोधन में कहा था कि कांग्रेस ने हमारे परिवार को क्या-क्या दिया. उसके बाद कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे बहुत कुछ दिया है. अब मैं कुछ आराम करना चाहता हूं और जनता से पूछा कि क्या आप इसके लिए तैयार हो. छिंदवाड़ा की राजनीति के जानकार मानते हैं कि कमलनाथ ने ये बयान अजय चौरे की बगावत को देखते हुए दिया है और उन्होंने संदेश देने की कोशिश की है कि जिस परिवार कांग्रेस ने सर माथे पर बैठाया, वही आज कांग्रेस से बगावत कर रहे हैं.

जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश

सरकार गिरने के बाद कमलनाथ के सामने चुनौती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बदला ले. बीजेपी किसी कीमत पर आगामी चुनाव में हार का सामना नहीं करना चाहती है और अभी से कांग्रेस की कमजोर कड़ियों को तोड़ने की कोशिश में लगी है. इन परिस्थितियों और उम्र को ध्यान रखते हुए इसे कमलनाथ का सियासी दांव भी माना जा सकता है. इस बयान के जरिए कमलनाथ ने जहां कांग्रेसजनों की मंशा जानने की कोशिश की है, तो वह विपक्षी दल बीजेपी की प्रतिक्रिया से भी भविष्य की राजनीति का अंदाजा लगाना चाहते हैं.

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा कहते हैं कि कमलनाथ कई बार कह चुके है कि मैं केंद्रीय मंत्री से लेकर कई पदों पर रह चुका हूं. मुझे कभी पद का लालच नहीं है. उन्होंने कभी पद और कुर्सी का मोह नहीं किया है. कमलनाथ तो प्रदेश की जनता के लिए मध्यप्रदेश आए हैं. अब कमलनाथ तो अपना बड़प्पन दिखाते हैं. क्या शिवराज सिंह ने कभी इस तरह से बड़प्पन दिखाया और कहा कि उन्हें कुर्सी का लालच नहीं है ? प्रदेश के मुख्यमंत्री के बारे में सभी जानते हैं कि सबसे बड़ा कुर्सी से चिपकू और कुर्सी प्रेमी कोई है तो वह शिवराज सिंह चौहान हैं. उनका आधा समय तो उन लोगों को निपटाने में लगा रहता है, जो उनकी कुर्सी पर निगाहें लगाकर बैठे रहते है. चाहे उमा भारती, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा या गोपाल भार्गव हों.

कांग्रेस का बयान

कमलनाथ तो हमेशा बड़े दिल से बात करते हैं. उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा की जनता जिस दिन चाहेगी,उस दिन वे आराम करने चले जाएंगे. वो तो खुले मन से स्वीकार कर रहे हैं, भाजपा तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है कि कमलनाथ आराम करना चाहते हैं. कमलनाथ ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. सलूजा ने कहा कि वे तो शिवराज सिंह से कहना चाहते हैं कि एकाध बार बड़प्पन दिखाएं और कहें कि मैं आराम करना चाहता हूं. वह तो उस आदमी को भी निपटा देते हैं जिसको मुख्यमंत्री बनने का सपना भी आ जाता है.

जनता की नब्ज टटोलना चाहते हैं कमलनाथ

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि राजनीति में अभिनेता लोग ज्यादा होते हैं. कमलनाथ का जो बयान है,वह जनता को टटोलना चाहते हैं कि उनके रहने या ना रहने से क्या स्थिति बनेगी. एक तरह से उन्होंने पत्थर उछाला है और उसकी वो प्रतिक्रिया देखेंगे कि क्या होता है ? कई बार प्रतिक्रिया भी प्रायोजित होती है कि मैं ऐसा कहूंगा और बदले में फिर ऐसा जवाब आना चाहिए. राजनीति मैनेजमेंट का खेल हो गया है. पहले हम लोग देखते थे कि किस तरह सभाओं के पहले फूल मालाओं के साथ लोग पहले से खड़े कर दिए जाते थे और जैसे ही नेता आते थे, उनके लिए मालाएं पहनाई जाती थी.

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ

रिटायरमेंट को लेकर जनता की सोच जानने की कोशिश

राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि मुझे लगता है कि कमलनाथ की उम्र रिटायरमेंट की उम्र है. वैसे भी लोग 60 साल के बाद रिटायर हो जाते हैं. वह तो अब वानप्रस्थ आश्रम की तरफ हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वह हीरक जयंती मनाएं. शायद राजनीति से अब वो विदा लेने की तैयारी कर सकते हैं. दिल्ली दरबार में भी उम्रदराज नेताओं को तवज्जो मिलने की उम्मीद नहीं है. एक तरह से कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में अपने लोगों के बीच बयान उछाल कर जानने की कोशिश की होगी कि आखिर लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं और क्या चाहते हैं ?

अगले चुनाव में बीजेपी नहीं चाहेगी कि कमलनाथ की जगह कोई और ले

राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि बीजेपी के हाथ में जैसे ही गेंद आई,वो गेंद लेकर दौड़ पड़े कि किस तरह से रण छोड़दास हो रहे हैं. मैदान छोड़ने की भी बात कर रहे हैं. क्योंकि कमलनाथ का नेतृत्व बीजेपी के लिए बहुत मुफीद है. कमलनाथ आक्रामक नहीं है, उनकी राजनीति की शैली सोम्य है. बीजेपी को ऐसे लोगों को पटखनी देना आसान है. राघवेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें लगता है कि बीजेपी चाहेगी कि अगले चुनाव तक कमलनाथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहे.

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