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MP Police : फील्ड के IG व DIG से अधिक हो गए PHQ में ADG

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Published : Apr 29, 2023, 8:11 PM IST

ADG in PHQ more then IG
MP Police : फील्ड के IG व DIG से अधिक हो गए PHQ में ADG

मध्यप्रदेश पुलिस का 'पिरामिड' पूरी तरह से उलटा हो गया है. कभी आईजी और डीआईजी रैंक के अफसर सबसे अधिक हुआ करते थे. अब एडीजी की संख्या ज्यादा हो गई है. हाल यह है कि मुख्यालय पर इनकी संख्या बढ़कर 10 गुना हो गई है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस समय 250 आईपीएस अफसर हैं और इनमें से 49 एडीजी स्तर के हैं. जबकि डीआईजी स्तर के अफसर महज 26 ही हैं. इनमें से भी 19 अफसर मुख्यालय पर पदस्थ हैं. वहीं 49 में से 5 अफसर जोन एडीजी और आयुक्त के रूप में पदस्थ हैं. क्योंकि आईपीएस अफसरों की पदस्थापना का पूरा पिरामिड उलटा-पुलटा हो गया है. फील्ड से अफसर कम हैं और मुख्यालय पर यह टॉप हैवी हो गए हैं. टॉप हैवी यानी तय क्षमता से अधिक. इससे पुलिस कार्यप्रणाली पर विपरीत असर पड़ रहा है.

कुल 305 आईपीएस अफसरों की जरूरत : कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में में कुल 305 आईपीएस अफसरों की जरूरत है, लेकिन 1 जनवरी 2023 की ग्रेडेशन लिस्ट के अनुसार प्रदेश में अभी सिर्फ 250 अफसर ही मौजूद हैं. यानी अभी भी 55 अफसरों की दरकार है. लेकिन असल समस्या यह है कि प्रदेश में जो 250 अफसर मौजूद हैं, इनमें से करीब 25 अधिकारी ऐसे हैं, जो सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं और 3 अफसर स्टेट डेपुटेशन पर हैं. इसके बाद शेष बचे 220 में से 49 में से 45 एडीजी और 26 में से 19 आईजी मुख्यालय पर पदस्थ हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या एडीजी स्तर के अफसरों की है.

10 स्पेशल डीजी : मध्यप्रदेश पुलिस के अफसरों में से पुरुषोत्तम शर्मा, पवन कुमार जैन, शैलेष सिंह, सुधीर कुमार शाही, कैलाश मकवाना, एसएल थाउसेन, मुकेश जैन, संजय कुमार झा, गोविंद प्रताप सिंह और राजेश चावला शामिल हैं. वहीं 39 एडीजी हैं, जिनमें से 4 जोन एडीजी को छोड़कर शेष सभी मुख्यालय पर पदस्थ हैं. यानी कुल 45 एडीजी स्तर के अफसर मुख्यालय पर हैं. अब इनके विपरीत फील्ड ऑफिसर आईजी की बात करें तो इनकी संख्या महज 26 ही है. जबकि एसपी के बाद सबसे अधिक संख्या इसी रैंक की होनी चाहिए. इनमें से भी सिर्फ 7 जोन में यानी फील्ड में हैं, जबकि बाकी मुख्यालय पर पदस्थ हैं.

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यहां पदस्थ हैं एडीजी : मध्यप्रदेश के चार जोन शहडोल, रीवा, जबलपुर और ग्वालियर जोन में आईजी की जगह एडीजी अब जोन प्रमुख हैं. इसी प्रकार कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद इंदौर कमिश्नर एडीजी बनाए गए हैं. इसी तरह जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकेडमी के हेड एडीजी हैं. इनके अलावा कम्पलेंट, वेलफेयर, ट्रेनिंग, आरएपीटीसी इंदौर, प्रोवीजन, टेक्नीकल सर्विस, साइबर सेल आदि शाखाएं बनाई गई हैं. पूर्व एडीजी और एडमिन विजय वाते ने बताया कि यह तिकोना उलटा होने जैसा मामला है.लेकिन इसके फायदे-नुकसान दोनों हैं. नुकसान यह है कि अमले को निर्देश देने वाले कई अफसर हो गए, लेकिन फायदा यह है कि केस में अब अनुभव का लाभ मिलता है. यह स्थिति एक या दो साल में सुधर जाएगी, क्योंकि 2000 से 2008 के बीच आईपीएस कम मिले थे. अब एडीजी स्तर के अफसर एक साथ रिटायर्ड होंगे. फिर भी सरकार को नीचे फील्ड में रिक्त पड़े 11 से 12 हजार पदों को भरना चाहिए.

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