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Year Ender 2022: 'कभी खुशी, कभी गम' जैसा बीता MP के लिए यह साल, जानिए खास मौके..

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Published : Dec 26, 2022, 2:23 PM IST

MP in headlines of 2022: वर्ष 2022 मध्यप्रदेश के लिहाज से कहीं खुशी कहीं गम वाला रहा. अच्छी खबर में जहां एमपी नामीबियाई चीतों का नया घर बना. वहीं श्री महाकॉल लोक के नए कॉरिडोर ने देश के दिल में चार चांद लगा दिए. इसके अलावा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की यात्रा के दौरान भी मध्यप्रदेश ने काफी सुर्खियां बटोरी. इंदौर के स्वच्छता के मामले में सिक्सर ने भी प्रदेश की छवि को उभारा. नकारात्मकता के लिहाज से खरगोन के दंगों से मध्यप्रदेश की छवि कुछ धूमिल हुई. जबकि सीरियल किलर ने भी देश के दिल मध्यप्रदेश को काफी समय तक दहशत में रखा था. (Year Ender 2022)

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भोपाल। मध्य प्रदेश 2022 में वैश्विक सुर्खियों में छाया रहा. पहली बार तब जब यहां 8 नामीबियाई चीते लाए गए. इसके बाद उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर के पास एक मेगा कॉरिडोर शुभारंभ के अवसर पर यह सुर्खियों में आया. इसके बाद कांग्रेस और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब राज्य से गुजरी. इसके अलावा एक कथित सीरियल किलर को भी सो रहे सुरक्षाकर्मी को निशाना बनाते हुए देखा गया. इसके पहले रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा के बाद अप्रैल-मई में खरगोन शहर 24 दिनों के लिए कर्फ्यू की गिरफ्त में रहा.

स्वच्छता में इंदौर ने लगाया सिक्सरः अब सकारात्मक नजरिए से देखा जाए तो इंदौर ने 2022 में देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपना पहला स्थान बनाए रखा. यह लगातार छठवीं बार था जब इंदौर को यह तमगा हासिल हुआ था. वर्ष में राज्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटना नामीबिया से लाए गए 8 अफ्रीकी चीते रहे. इन्हें हवाई मार्ग से लाकर श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. भारत में आज से 70 साल पूर्व यह प्रजाति विलुप्त हो गई थी. इसे भारत में पुनः बसाये जाने के प्रयास हो रहे हैं. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी विगत 17 सितंबर को चीतों को उनके नए घर में अनुकूलन के लिए क्वारंटाइन 'बोमस' (छोटे बाड़े) में छोड़ दिया था. यह एक ऐसा कार्यक्रम था जो उनके 72वें जन्मदिन के साथ हुआ था. (Year Ender 2022)

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13 साल बाद फलीभूत हुई चीता परियोजनाः चीते जिन्हें जंगली बिल्लियां भी कहा जाता है, 5 मादा और 3 नर 30-66 महीने के आयु वर्ग में हैं. इनके नाम फ्रेडी, एल्टन, सवाना, साशा, ओबान, आशा, सिबिली और सासा हैं. चीतों का क्वारेंटीन समय समाप्त होने के बाद उनको बड़े बाड़ों में छोड़ दिया गया. जल्द वह उसमें रम गए और उन्होंने शिकार करना भी शुरू कर दिया. 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले में भारत में अंतिम चीते की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद 1952 में इस प्रजाति को भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. महत्वाकांक्षी 'भारत में अफ्रीकी चीताें पुनः बसाने की परियोजना' की कल्पना 2009 में की गई थी और यह 13 साल बाद फलीभूत हुई.

सीरियल किलर से दहशत में था एमपीः इसके अलावा एक अन्य घटना से मध्यप्रदेश काफी चर्चा में रहा. सितंबर में सागर जिले में रात के अंधेरे में नींद में सुरक्षा गार्डों की हत्याओं की बाढ़ ने बुंदेलखंड क्षेत्र में दहशत पैदा कर दी थी. इसके चलते प्रदेश पुलिस की रातों की नींद हराम हो गई थी. कथित सीरियल किलर वैसे था तो एक किशोर. लेकिन इसका खौफ पूरे एमपी में फैल गया था. इसने मात्र छह दिनों के अंतराल में 4 सुरक्षा गार्डों की हत्या कर दी थी. जिसमें से 3 सागर में मारे गए थे जबकि एक सुरक्षा गार्ड की हत्या राजधानी भोपाल में की गई थी. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने इसे अंत में भोपाल से ही गिरफ्तार कर लिया था. कथित सीरियल किलर का नाम शिवप्रसाद धुर्वे था. जिसे शिवा और हल्कू के नाम से भी जाना जाता है. वह सागर जिले के केकड़ा गांव का रहने वाला था. पुलिस और केकड़ा गांव के निवासियों के अनुसार उसने बचपन में ही स्कूल छोड़ दिया था. इतना ही वह बचपन से ही बहुत गुस्से में रहता था. वह किसी भी तरह मशहूर होना चाहता था. इसके लिए उसने हत्या करने का रास्ता चुना. (MP in headlines of 2022)

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खरगोन 24 दिन रहा कर्फ्यू की गिरफ्त मेंः इसके पहले विगत 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बाद खरगोन कस्बे में कर्फ्यू लगा दिया गया था. हिंसा के दौरान दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचाया गया था, वाहनों में आग लगा दी गई थी और पथराव किया गया था. इस घटना ने पूरे देश का ध्यान मध्यप्रदेश की ओर खींच लिया था. 24 दिन पर जब स्थिति सामान्य हुई तब जाकर पुलिस ने कर्फ्यू हटाया था.

राहुल की यात्रा से कांग्रेस में जोशः इसके बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा ने 23 नवंबर को मध्य प्रदेश में प्रवेश किया. जिसके साथ ही एमपी एक बार फिर चर्चा में आ गया. इस यात्रा ने एमपी में 12 दिनों की अवधि में 380 किमी. की दूरी तय की और फिर निकटवर्ती राजस्थान में प्रवेश किया.पैदल मार्च को मध्य प्रदेश में लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित राज्य में 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस अपने को मजबूत करने में सफल रही. (bye bye 2022)

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