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MP Cast Politics: दलितों से नफरत ! फिर भी सियासत में जरूरत, आजादी के 76 साल बाद भी नहीं कोई सुनवाई...

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Published : Aug 15, 2023, 10:49 PM IST

स्वतंत्रता दिवस के दिन एक जनप्रतिनिधि को झंडा फहराने से सिर्फ इसलिए महरूम कर दिया गया, क्योंकि वह दलित है. मध्य प्रदेश में अगर जनप्रतिनिधि का ये हाल है, तो समाज के ताने-बाने को आप बखूबी समझ सकते हैं. (MP Dalit attacks and insult)

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भोपाल। आजादी के 76 साल बाद भी देश की सरकारें शायद अपने सामाजिक न्याय के वायदे को नहीं पूरा कर सकीं हैं. यही वजह है कि आज भी समाज में आदिवासी और दलित अपनी जाति का दंश झेल रहे हैं. स्वतंत्रता दिवस के दिन विदिशा में एक सरपंच स्कूल में झंडा इसलिए नहीं फहरा सका, क्योंकि वो दलित है. सत्तपक्ष और विपक्ष दोनों के लिए आज शायद दलित और आदिवसी सियासी मजबूरी बन कर रह गये हैं. इनके लिए वायदे तो बहुत किये दाते हैं लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां होती है.

एमपी में दलित सरपंच का अपमान: विदिशा जो कभी सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह का संसदीय क्षेत्र होता था, वहां आज भी दलित और आदिवासी अपने हक से महरूम हैं. ताजा मामला विदिशा के सिरोंज से है जहां स्वतंत्रता दिवस पर भगवन्तपुर ग्राम पंचायत के सरपंच को इसलिए तिरंगा नहीं फहराने दिया गया क्योंकि, वो दलित है. सरपंच बारेलाल अहिरवार का कहना है कि "स्कूल की मैडम मुझसे हरिजन होने के कारण चिढ़ती हैं. वो कहती हैं कि तुम दलित हो तुम क्या जानो. आज स्वतंत्रता दिवस पर मुझे स्कूल में नहीं बुलाया. मैडम ने किसी दूसरे व्यक्ति यानि कि जनपद सदस्य से तिरंगा फहरवाया. जबकि पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सरपंच को ही झंडा फहराने का अधिकार है."

कांग्रेस ने उठाये सवाल: कांग्रेस ने इस घटना पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया में लिखा कि- "दलित विरोधी शिवराज सरकार : शिवराज सरकार में स्वतंत्रता दिवस पर्व पर दलित सरपंच बारेलाल अहिरवार जी को झंडा वंदन कार्यक्रम में शामिल नहीं किया और झंडा फहराने से रोका गया. शिवराज जी, दलितों से इतनी नफरत करते हो..."

  • दलित विरोधी शिवराज सरकार :

    शिवराज सरकार में स्वतंत्रता दिवस पर्व पर दलित सरपंच बारेलाल अहिरवार जी को झंडा वंदन कार्यक्रम में शामिल नहीं किया और झंडा फहराने से रोका गया।

    शिवराज जी,
    दलितों से इतनी नफरत करते हो❓ pic.twitter.com/HXOtrTlLp6

    — MP Congress (@INCMP) August 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीधी पेशाब कांड: बात यहीं खत्म नहीं होती, सीधी पेशाब कांड ने न सिर्फ मध्य प्रदेश की सियासत में उबाल ला दिया था, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था. सीधी में भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला ने एक आदिवासी पर पेशाब करके उसका अपमान किया था. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार हरकत में आई और आरोपी के घर पर बुलडोजर चलवा दिया. इतना ही नहीं मामले में डैमेज कंट्रोल के लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने पीड़ित को सीएम आवास पर बुलाकर उसका पैर धोया और सम्मान भी किया, क्योंकि चुनावी साल में सत्तापक्ष कोई रिस्क नहीं लेनी चाहती.

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सियासी जरूरत 'संत रविदास मंदिर': 12 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सागर के बड़तुमा में संत रविदास के मंदिर की आधारशिला रख दी और ये वायदा भी कर दिया कि डेढ़ बरस बाद वे ही इस मंदिर का लोकार्पण भी करेंगे. मध्य प्रदेश में दलितों की 41 जातियों में से सबसे ज्यादा अहिरवार और जाटव समाज है, जो संत रविदास का अनुयायी है. इन्हीं को साधने के लिए 100 करोड़ की लागत से संत का मंदिर बनवाया जा रहा है. सवाल ये है कि स्वतंत्रता दिवस पर जिस सरपंच का अपमान हुआ वो भी जाटव समाज से आता है, तो ऐसे में एक तरफ दुलार और प्यार, वहीं दूसरी तरफ इस तरह का अपमान क्यों किया जाता है.

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