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Janmashtami 2021: श्रीकृष्ण को लगाएं 56 भोग, जानिए बाल गोपाल के प्रिय व्यंजन

भगवान कृष्ण को चढ़ाए जाने वाले 56 भोग की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है. कथाओं में वर्णित है कि भगवान कृष्ण को 56 भोग में कौनसे खाद्य पदार्थ चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि बाल गोपाल ने जब देवराज इंद्र का घमंड चकनाचूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था, तब ब्रजवासियों ने उन्हें 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया था.

56 Bhog offered to Lord Krishna
भगवान कृष्ण को चढ़ाएं 56 भोग
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Published : Aug 27, 2021, 4:47 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 5:42 PM IST

हैदराबाद। 30 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण को छप्पन भोग (Chappan Bhog) लगाने की परंपरा रही है. भगवान के इस भोग को अन्नकूट (Annakoot) भी कहते है. एक कथा के अनुसार अन्नकूट की परंपरा देवराज इंद्र के घमंड से संबंधित है. ऐसी मान्यता है कि कृष्ण भगवान को छप्पन भोग में ऐसे खाद्य पदार्थों का भोग लगाते है, जिन्हें बारिश में खाना निषेध है.

यह है 56 भोग से जुड़ी कथा

कथा में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरावासियों से गोवर्धन की पूजा करने का आग्रह किया था. जिसके बाद देवराज इंद्र नाराज हो गए और उन्होंने मथुरा में बारिश शुरू कर दी. जिसके बाद गांव में बाढ़ आ गई. इस बाढ़ से गांव को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली पर उठा लिया था. बाद में जब इंद्र को श्रीकृष्ण का साक्षात परमेश्वर होने का भान हुआ तो उन्होंने क्षमा याचना की.

Janmashtami 2021: इस जन्माष्टमी लड्डू गोपाल के लिए बनाए सफेद मक्खन का भोग, ऐसे करें तैयार

इस बीच 7 दिन तक अन्न-जल ग्रहण नहीं कर सके थे. इसके बाद माता यशोदा ने बालकृष्ण के लिए 56 भोग बनाए थे. 8वें दिन जब इंद्र ने श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करते हुए वर्षा को रोका तो श्रीकृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत की छत्रछाया से से बाहर आने का आदेश दिया. उस वक्त श्रीकृष्ण का 7 दिनों तक भुखा रहना ब्रजवासियों और माता यशोदा को अच्छा नहीं लगा. तब कृष्ण के लिए माता यशोदा ने ब्रजवासियों के साथ मिलकर 7 दिन और 8 पहर के हिसाब से 56 तरह के व्यंजन बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया था.

श्रीकृष्ण की बारात में बने थे 56 भोग

शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जब भगवान बारात लेकर राधा रानी को ब्याहने बरसाना गए थे, तो उनकी बारात के स्वागत के लिए श्रीवृषभान जी की ओर से 56 भोग बनाए गए थे. इस विवाह समारोह में शामिल होने वाले सभी मेहमानों की संख्या भी 56 थी. श्रीकृष्ण को विवाह समारोह में 56 भोग समर्पित करने वाले 9 नंद, 9 उपनंद, 6 वृषभानु, 24 पटरानी और सखाओं का योग भी 56 ही था.

भगवान कृष्ण को लगता है खाद्य पदार्थों के 56 भोग
भक्त (भात)सूप (दाल)प्रलेह (चटनी)
अवलेह (शरबत)बालका (बाटी)इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
सदिका (कढ़ी)दधिशाकजा
(दही शाक की कढ़ी)
सिखरिणी (सिखरन)
त्रिकोण (शर्करा युक्त)परिष्टश्च (पूरी)शतपत्र (खजला)
चन्द्रकला (पगी हुई)दधि (महारायता)स्थूली (थूली)
सुधाकुंडलिका (जलेबी)धृतपूर (मेसू)वायुपूर (रसगुल्ला)
सधिद्रक (घेवर)बटक (बड़ा)मधु शीर्षक (मठरी)
फेणिका (फेनी)कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)चिल्डिका (चोला)
मंडका (मोठ)पायस (खीर)दधि (दही)
हैयंगपीनम (मक्खन)गोघृत (गाय का घी)मंडूरी (मलाई)
चक्राम (मालपुआ)खंड मंडल (खुरमा)गोधूम (दलिया)
पर्पट (पापड़)कूपिका (रबड़ी)शक्तिका (सीरा)
परिखासुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)दधिरूप (बिलसारू)
कषायमोहन भोगलवण
मोदक (लड्डू)सौधान (अधानौ अचार)शाक (साग)
सुवतसुफला (सुपारी)फल
तांबूलसिता (इलायची)लसिका (लस्सी)
मधुरसंघाय (मोहन)तिक्त
अम्लकटु

हैदराबाद। 30 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण को छप्पन भोग (Chappan Bhog) लगाने की परंपरा रही है. भगवान के इस भोग को अन्नकूट (Annakoot) भी कहते है. एक कथा के अनुसार अन्नकूट की परंपरा देवराज इंद्र के घमंड से संबंधित है. ऐसी मान्यता है कि कृष्ण भगवान को छप्पन भोग में ऐसे खाद्य पदार्थों का भोग लगाते है, जिन्हें बारिश में खाना निषेध है.

यह है 56 भोग से जुड़ी कथा

कथा में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरावासियों से गोवर्धन की पूजा करने का आग्रह किया था. जिसके बाद देवराज इंद्र नाराज हो गए और उन्होंने मथुरा में बारिश शुरू कर दी. जिसके बाद गांव में बाढ़ आ गई. इस बाढ़ से गांव को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली पर उठा लिया था. बाद में जब इंद्र को श्रीकृष्ण का साक्षात परमेश्वर होने का भान हुआ तो उन्होंने क्षमा याचना की.

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इस बीच 7 दिन तक अन्न-जल ग्रहण नहीं कर सके थे. इसके बाद माता यशोदा ने बालकृष्ण के लिए 56 भोग बनाए थे. 8वें दिन जब इंद्र ने श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करते हुए वर्षा को रोका तो श्रीकृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत की छत्रछाया से से बाहर आने का आदेश दिया. उस वक्त श्रीकृष्ण का 7 दिनों तक भुखा रहना ब्रजवासियों और माता यशोदा को अच्छा नहीं लगा. तब कृष्ण के लिए माता यशोदा ने ब्रजवासियों के साथ मिलकर 7 दिन और 8 पहर के हिसाब से 56 तरह के व्यंजन बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया था.

श्रीकृष्ण की बारात में बने थे 56 भोग

शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जब भगवान बारात लेकर राधा रानी को ब्याहने बरसाना गए थे, तो उनकी बारात के स्वागत के लिए श्रीवृषभान जी की ओर से 56 भोग बनाए गए थे. इस विवाह समारोह में शामिल होने वाले सभी मेहमानों की संख्या भी 56 थी. श्रीकृष्ण को विवाह समारोह में 56 भोग समर्पित करने वाले 9 नंद, 9 उपनंद, 6 वृषभानु, 24 पटरानी और सखाओं का योग भी 56 ही था.

भगवान कृष्ण को लगता है खाद्य पदार्थों के 56 भोग
भक्त (भात)सूप (दाल)प्रलेह (चटनी)
अवलेह (शरबत)बालका (बाटी)इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
सदिका (कढ़ी)दधिशाकजा
(दही शाक की कढ़ी)
सिखरिणी (सिखरन)
त्रिकोण (शर्करा युक्त)परिष्टश्च (पूरी)शतपत्र (खजला)
चन्द्रकला (पगी हुई)दधि (महारायता)स्थूली (थूली)
सुधाकुंडलिका (जलेबी)धृतपूर (मेसू)वायुपूर (रसगुल्ला)
सधिद्रक (घेवर)बटक (बड़ा)मधु शीर्षक (मठरी)
फेणिका (फेनी)कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)चिल्डिका (चोला)
मंडका (मोठ)पायस (खीर)दधि (दही)
हैयंगपीनम (मक्खन)गोघृत (गाय का घी)मंडूरी (मलाई)
चक्राम (मालपुआ)खंड मंडल (खुरमा)गोधूम (दलिया)
पर्पट (पापड़)कूपिका (रबड़ी)शक्तिका (सीरा)
परिखासुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)दधिरूप (बिलसारू)
कषायमोहन भोगलवण
मोदक (लड्डू)सौधान (अधानौ अचार)शाक (साग)
सुवतसुफला (सुपारी)फल
तांबूलसिता (इलायची)लसिका (लस्सी)
मधुरसंघाय (मोहन)तिक्त
अम्लकटु
Last Updated : Aug 27, 2021, 5:42 PM IST
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