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कुंवारी कन्याओं को विशिष्ट फल देने वाली हैं भगवती कात्यायनी, जानें पूजन विधि

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Published : Apr 18, 2021, 6:47 AM IST

आज नवरात्र का छठवां दिन है. नवरात्र के छठवें दिन भगवती कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

Bhagwati Katyayani
भगवती कात्यायनी

रायपुर/ भोपाल: चैत्र नवरात्र का आज छठवां दिन है. जिसे षष्ठि के रूप मे भी जाना जाता है. नवरात्र के छठवें दिन भगवती के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सारे संकट दूर होते हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.

भगवती कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. इनकी उपासना से साधकों के सारे कष्ट, संताप दूर होते हैं. मां कात्यायनी की पूजा कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष फलदाई है. कुंवारी कन्याओं को देवी कात्यायनी की पूजा से अच्छा वर मिलता है.

इसलिए पड़ा कात्यायनी नाम

मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा के मुताबिक उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं. महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी, इसीलिए ये कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं.

ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा

माता का स्वरूप

माता का वाहन सिंह है और इनकी चार भुजाएं हैं. इनके एक हाथ में तलवार है एक हाथ में कमल पुष्प है और एक हाथ वरमुद्रा में है. इन्हें सुगंधित पुष्प प्रिय है. माता को शहद का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है.

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मां दुर्गा के नौ रूप

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

मां कात्यायनी की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

मंत्र:

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

स्तुति:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

गोधूली बेला में करें पूजा

मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल (शाम का समय) है. इस समय में मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं. जो भक्त माता को 5 तरह की मिठाइयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं, माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के के हिसाब से धन अर्जित करता है.

ऐसे करें पूजा

सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर मां स्कंदमाता की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.

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