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शिवराज सरकार की गौ सेवा पर भारी पड़ रही है खजाने की तंगहाली !

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Published : Jan 6, 2021, 9:38 PM IST

CM Shivraj worshiping the cow
गाय की पूजा करते सीएम शिवराज

गौ कैबिनेट गठन के बाद से ही गौ कैबिनेट के तहत गाय संरक्षण से जुड़े सभी विभागों को जोड़कर गौ सेवा और संरक्षण के लिए काम करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन प्रदेश में आर्तिक तंगहाली के कारण सरकार की गौ सेवा फीकी पड़ रही है.

भोपाल। शिवराज सरकार ने बड़ी जोर-शोर से गौ कैबिनेट का गठन करके गौ सेवा का ऐलान किया था. शिवराज सरकार ने गौ सेवा का बीड़ा उठाया था, लेकिन प्रदेश की आर्थिक तंगहाली की वजह से गौ सेवा में कई तरह की मुश्किल आ रही हैं. हालात ये है कि सरकार ने गौ कैबिनेट का गठन कर गौ सेवा के लिए जो एजेंडा तय किया था, उसी एजेंडे को पूरा करने में सरकार को पसीना आ रहा है. कमलनाथ सरकार ने गायों के चारे के लिए जो व्यवस्था की थी, उस व्यवस्था को भी शिवराज सरकार ने वापस ले लिया है.

difficulty of gau seva Due to lack of budget in mp
गाय

गौ सेवा के लिए हुआ था गौ कैबिनेट का गठन

शिवराज सरकार ने गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ के कैबिनेट का गठन किया था. गौ कैबिनेट के तहत गाय संरक्षण से जुड़े सभी विभागों को जोड़कर गौ सेवा और संरक्षण के लिए काम करने के निर्देश दिए गए थे. गौ कैबिनेट में पशुपालन वन पंचायत एवं ग्रामीण विकास राजस्व ग्रह और कृषि विभाग को विशेष रुप से सम्मिलित किया गया था.

difficulty of gau seva Due to lack of budget in mp
गाय

गौ सेवा के नाम पर नारेबाजी कर रही है सरकार

मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि यह सरकार केवल नारेबाजी की सरकार है. ये केवल अखबारों में हेड लाइन मैनेजमेंट करने में लगी रहती है. हमारी सरकार ने न केवल 1000 गौशाला में बनाई थी. प्रत्येक गौ माता के ऊपर प्रतिदिन 20 रूपए खर्च तय किया गया था और गौशालाओं को हाईटेक किया जा रहा था. जिनके अब ये उद्घाटन करते फिर रहे हैं.

कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि इन्होंने गौ माता पर होने वाले खर्च को घटाकर एक रुपए 60 पैसे कर दिया है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक रुपए 60 पैसे में गाय का चारा भी आ सकता है? कमलनाथ सरकार ने जो व्यवस्था की थी. सारी व्यवस्था को चौपट कर केवल नारेबाजी हो रही है. भावनाओं का शोषण करके राजनीति की जा रही है, यह दुर्भाग्य जनक है.

बजट की कमी नहीं आएगी

पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल का कहना है कि धीरे-धीरे हम लोग जहां भी व्यवस्था कर रहे हैं. इंदौर जैसे बड़े शहर के बाहर जो गांव हैं. पंचायत हैं,उनमें हम गौशाला खोल रहे हैं. गौ माता रोड पर बैठी रहती है, उनको वहां बैठाने की व्यवस्था करेंगे. महिला स्व सहायता समूह रखरखाव करेगा. कहीं बजट की कमी नहीं आएगी, मुख्यमंत्री ने चारे के बजट के लिए प्रस्ताव भेज दिया है.

पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल

गौ कैबिनेट में लिए गए थे यह निर्णय

  • गौशालाओं के संचालन के लिए जन सहयोग को बढ़ावा देना
  • गौ सेवा के लिए गौ सेवा कर लगाकर गौशालाओं का संचालन और संरक्षण करना
  • समाजसेवी संस्थानों और महिला स्व सहायता समूह के जरिए गौशालाओं का संचालन करना
  • गांवों में गोबर गैस प्लांट लगाकर गौ सेवा के प्रति जागरूक करना
  • आगर मालवा में स्थित गौ अभ्यारण में पशु चिकित्सा एवं पशु पालन केंद्र खोलना
  • मध्यप्रदेश में मौजूद अलग-अलग गायों की नस्ल के संरक्षण और संवर्धन की योजना बनाना
  • वन विभाग के बिगड़े हुए वनों में चारा गांव को विकसित करके चारा उत्पादित करना गौ सेवा पर नई नीति बनाना

कमलनाथ सरकार ने गौ सेवा में की थी ये पहल
विधानसभा चुनाव 2018 के समय पर कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में प्रदेश में 1000 हाईटेक गौशालाओं के निर्माण का ऐलान किया था. कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में करीब 700 गौशालाओं का निर्माण किया गया था.

  • गौ शालाओं के संचालन के लिए कमलनाथ सरकार ने कृषि उपज मंडी में लगने वाले शुल्क में से गौ शाला संचालन की व्यवस्था की थी
  • गायों के प्रति दिन के चारे के लिए प्रति गाय के हिसाब से 20 रूपए राशि तय की गई थी
  • कमलनाथ सरकार ने गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौशालाओं को हाईटेक करने की योजना पर काम शुरू किया था
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    गाय

आर्थिक तंगहाली के कारण समाज और दान के भरोसे शिवराज सरकार

आर्थिक तंगहाली के कारण सरकार की गौसेवा के तमाम कोशिशों पर ब्रेक लग गया है. बजट के अभाव में पशुपालन विभाग गौ कैबिनेट की अनार्थिक सिफारिशों पर ही काम कर रहा है. पशुपालन विभाग के अफसरों से मिली जानकारी के अनुसार कमलनाथ सरकार के समय पर करीब 700 गौशालाओं के निर्माण में काफी बजट खर्च हो गया था. मौजूदा वित्तीय वर्ष में बजट की विशेष व्यवस्था की बात कही गई थी, लेकिन कोरोना के कारण और पहले से चली आ रही आर्थिक तंगी के चलते गौ कैबिनेट की सिर्फ उन सिफारिशों पर काम किया जा रहा है, जिन पर खर्च नहीं होना है.

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