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मां बाप के झगड़ों में नहीं जमा हो रही बच्चों की फीस, बाल आयोग पहुंचे छात्र

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Published : May 7, 2022, 12:41 PM IST

MP Children Commission
एमपी बाल आयोग

पिछले 3 महीनों में 1 दर्जन से अधिक मामले बाल आयोग के पास पहुंचे हैं, जिनमें माता पिता के झगड़ों के बीच बच्चों की फीस नहीं भरी गई. इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

भोपाल। माता पिता के झगड़ों के बीच बच्चों की फीस नहीं भरी जा रही है. पिछले 3 महीनों में 1 दर्जन से अधिक मामले बाल आयोग के पास पहुंचे हैं. इसमें परिवार के आपसी झगड़ों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. पत्नी से विवाद के चलते कई पिताओं ने अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठाने से इनकार कर दिया है. बाल आयोग को केवल इसी साल ऐसे 12 मामलों में शिकायत मिली है, जिसमें बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. मां ने बच्चों के साथ आकर बाल आयोग में गुहार लगाई है. (MP Children Commission)

मध्यमवर्गीय परिवारों में हो रहे झगड़ेः भोपाल बाल आयोग के पास मध्यम वर्ग व अपर मिडिल क्लास के अभिभावकों ने अपने गुस्से और जिद के चलते बच्चों की फीस भरने से पल्ला झाड़ रहे हैं. बीते 1 साल में आयोग के पास पारिवारिक विवाद संबंधी 172 मामले आए हैं. जिसमें से लगभग 32 मामले ऐसे थे जिसमें अभिभावकों द्वारा फीस नहीं जमा करने की शिकायत थी. (family dispute affecting education in mp)

बाल आयोग ने दी समझाइशः भोपाल की करोद निवासी दंपत्ति का विवाद कोरोना काल में शुरू हुआ था. उसके बाद पिता ने 12वीं और 9वी में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल और ट्यूशन टीचर को लिखित में दे दिया है कि वह फीस नहीं भरेंगे. बच्चों ने बाल आयोग में आवेदन दिया. वहां से समझाने के बाद पिता ने बच्चों की फीस जमा की. इसी तरह एक अन्य मामले में एक छात्रा अपनी मां के साथ बाल आयोग पहुंची. भोपाल के जहांगीराबाद निवासी दसवीं की छात्रा ने शिकायत की कि उसके पिता लंबे समय से स्कूल फीस नहीं जमा कर रहे हैं. इस कारण स्कूल वाले अब बच्ची को परेशान कर रहे थे. आयोग ने पिता को बुलाया तो पता चला कि विवाद में मां का पक्ष लेने की वजह से वह बच्ची की फीस नहीं जमा कर रहे थे. हालांकि समझाने के बाद पिता ने फीस भरने के लिए सहमति दी. (Children Commission view on education in mp)

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बाल आयोग करा रहा काउंसलिंगः बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने बताया कि अभिभावकों की आपसी विवाद में बच्चों की स्कूल फीस नहीं भरने के मामले आयोग के पास लगातार आ रहे हैं. अभिभावकों को समझाते हैं कि बच्चों की जिम्मेदारी उन्हें ही उठानी होगी. बहुत से मामलों में बाल आयोग के हस्तक्षेप के बाद अभिभावकों ने अपनी गलती मान कर बच्चों की फीस जमा की है. ऐसे मामलों में हम स्कूल से भी बात करते हैं. ताकि बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह प्रभावित न हो.

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