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Budget 2023: राहत के बाद भी बजट में कहां है पेंच, महिला किसान आदिवासी नौजवानों के लिए एलान, कितना बड़ा चुनावी दांव

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Published : Feb 1, 2023, 4:57 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आम बजट 2023 पेश किया. बजट को लेकर तमाम लोगों के अलग-अलग रियक्शन सामने आ रहे हैं. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत में चैंबर ऑफ कॉमर्स में महामंत्री और अर्थशास्त्र के जानकार ने बताया पीएम मोदी का ये बजट कैसा रहा.

Budget 2023
बजट 2023

बजट पर राय

भोपाल। क्या बजट चुनावी है. किसानों और आदिवासियों पर बजट में खास फोकस के मायने क्या हैं. क्या किसानों को दी गई रियायतें किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के दावे को अमल में ला पाएंगी क्या. आयकर सीमा में दी गई छूट क्या वाकई मिडिल क्लास के लिए बड़ी राहत है. आदिवासियों के विकास पर 15 हजार करोड़ एमपी छत्तीसगढ समेत आम चुनाव के मद्देनजर कितना बड़ा दांव. अकेले मध्यप्रदेश में 47 आदिवासी सीटें हैं, जो प्रदेश की सत्ता में जीत हार तय करती है. मंहगाई काबू करने पर बजट में कितना फोकस होगा. जानते हैं कि क्या ये बजट वाकई लोक कल्याणकारी है.

आम आदमी की बचत को कैसे लगेगा झटका: चैंबर ऑफ कॉमर्स में महामंत्री आदित्य जैन मनया ने ईटीवी भारत से बातचीत में बजट का विश्लेषण करते हुए कहा कि 2023 का बजट आशावादी बजट है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले 25 साल ही नहीं 100 साल की कल्पना की है. मनया के मुताबिक इस बजट में किसानों और छात्रों को डिजीटल टैक्निक से जोड़ने के प्रयास है. सीनियर सिटीजन और महिलाओं के लिए दी गई सौगातें खास हैं. जो सबसे बड़ी राहत है वो आयकर सीमा में बढ़ाई की गई छूट है. इससे बाजार में पैसा आएगा. बजट का शेयर बाजार ने भी स्वागत किया है, लेकिन जिन बिंदुओं पर सरकार को विचार करना चाहिए मनया वो भी जोड़ते हैं. कैपिटल गेन में हाउस के ऊपर दो करोड़ की लिमिट कर दी गई है. इस पर सरकार विचार करे. इसी तरह से इंश्योरेंस में पांच लाख से ऊपर की प्रीमियम टैक्सेबल हो जाएगा, ये भी विचार करना होगा. गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी कम की है और सिल्वर पर बढ़ाई है. जबकि इंडस्ट्री में वही इस्तेमाल होता है.

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टैक्स में छूट के बाद भी आम आदमी को राहत नहीं: अर्थशास्त्र के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार शशिकांत त्रिवेदी कहते हैं इस बजट का जो सबसे ब़ड़ा हाईलाईट बताया जा रहा है, आयकर सीमा में छूट. सवाल ये है कि क्या ये वाकई बड़ी राहत बन पाएगी. अव्वल तो दस लाख तक की छूट देनी चाहिए थी. अब दो स्कीम सरकार ने कर दी है. सात लाख तक छूट पुरानी स्कीम में है. नई स्कीम भी ओपन है, इसमें 6 से 9 लाख तक की आय पर 10 परसेंट टैक्स लगेगा. इसमें अलग अलग इन्कम स्लैब के हिसाब से टैक्स है. तो जो छूट दी भी गई उसमें कोई बड़ा फायदा आम आदमी को होता दिखाई नही दे रहा है. जीडीपी का साढे तीन प्रतिशत राज्यों को लोन की अनुमति दी गई, लेकिन 0.5 प्रतिशत उसमें से पावर सेक्टर में जाएगा. एमपी जैसे राज्यों में क्या होगा जहां सरप्लस बिजली है. इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट रखा गया है, लेकिन सबसे जरुरी अलग से सड़क निर्माण पर बजट में जिक्र ही नहीं है. एजुकेशन सस्ती हो सकेगी डिजीटिलाइजेशन को लेकर स्पेशल प्लान दिखाई नहीं देता. त्रिवेदी कहते हैं एमएसएमई की ऋण गारंटी योजना लाए, लेकिन जरुरी ये भी था कि उनका कर्ज कम किया जाए. इंटरेस्ट फ्री लोन हो. त्रिवेदी कहते हैं मेरी निगाह में ये पीपुल्स फ्रेंडली बजट है, पापुलिस्ट बजट नहीं है.

महिला गरीब किसान चुनाव से पहले सबका ध्यान: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नजरिए से देखें तो बजट में गरीबों के लिए मुफ्त अन्न योजना एक साल के लिए बढ़ा दी गई है. जनजाति समाज बीजेपी के फोकस में रहा है, लिहाजा उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पीएम पीबीटीजी विकास मिशन शुरु किया गया है. अगले तीन साल इस योजना को लागू करने के लिए 15 हजार करोड़ दिए जाएंगे. महिला वोटर को साधने महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरु की गई है. जिसमें महिलाओं को 2 लाख की बचत पर 7.5% का ब्याज मिलेगा. पीएम आवास योजना में 66 फीसदी का इज़ाफा भी चुनाव के मद्देनजर बड़ा फैसला है. यूथ भी बड़ा वोटर है, लिहाजा 47 लाख नौजवानों को राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना का लाभ. बजट में सबसे ज्यादा फोकस सबसे बड़े वोटर किसान पर किया गया. पशु पालन डेयरी मत्स्य पालन के लिए 20 लाख करोड़ तक कृषि लोन बढ़ा दिया गया है. मत्स्य संपदा योजना में ही 6000 करोड़ का निवेश, लेकिन जिस दम के साथ केंद्र में बीजेपी सत्ता में आई थी. किसानों की आय दुगना करने का प्लान इस बजट में दिखाई नहीं दिया.

सरोकार का संदेश भी: स्वच्छता के संदेश के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार का बजट में मल टैंक और मेन होल की सफाई मशीनों से किए जाने का फैसला. सरोकार का बड़ा संदेश है. खास उस तबके के लिए उन सफाई कर्मियों के लिए जो गंदगी में उतरकर बीमारियों का शिकार होते रहे हैं. बीजेपी अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति पर नजर रखती है ये निर्णय उसकी बानगी के तौर पर पेश किया गया है.

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