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एमपी के मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए खुशखबरी, अब रिसर्च मैग्जीन लैंसेट का होगा हिन्दी में भी पब्लिकेशन, सरकार का अहम फैसला

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 14, 2023, 6:20 PM IST

Updated : Sep 14, 2023, 6:40 PM IST

Medical Research Magazine Lancet Publish in Hindi
Dएमपी में मेडिकल की रिसर्च मैग्जीन लैंसेट का होगा हिन्दी में प्रकाशन

Medical Research Magazine Lancet Publish in Hindi: हिंदी दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में अहम कदम उठाते हुए, दुनिया की चर्चित और मेडिकल फील्ड की खास शोध पत्रिका लैंसेट से समझौता किया है. अब ये मैग्जीन हिंदी में पब्लिश की जाएगी. जानें प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग ने क्या बताया?

मप्र के उच्च चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग

भोपाल. चिकित्सा शिक्षा (Medical Field) के क्षेत्र में शोध पत्रिका लैंसेट का प्रकाशन अब हिंदी में भी होगा. इसको लेकर मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग और लैंसेट के बीच समझौता हुआ है. इसमें छापने वाले रिसर्च स्टूडेंट और प्रोफेसर के लिए मील का पत्थर साबित होते हैं.

एशिया में पहली बार होगा प्रकाशन: विश्व प्रख्यात चिकित्सा शोध जर्नल 'द लैंसेट का साउथ एशिया में पहली बार हिन्दी में भी प्रकाशन (Publication) होगा. मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग का "हिंदी सेल" द लैंसेट के साउथ एशिया संस्करण का हिंदी में ट्रांसलिट्रेशन (Transliteration) करेगा.

अंग्रेजी के बाद विश्व की चौथी भाषा होगी हिंदी: चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने बताया- "मध्य प्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग और लैंसेट से जुड़े पदाधिकारी के साथ समझौता हुआ है. इस दौरान द लैंसेट की डिप्टी पब्लिशिंग हेड फियोना मेकलेब और एल्जेवीयर पब्लिकेशन के प्रमुख शंकर कौल ने हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ मंदार का अवलोकन भी किया."

हिंदी दिवस पर हुआ सरकार-लैंसेट में समझौता: उन्होंने कहा, "हमने पिछले साल ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मेडिकल की एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरु की थी. इसमें फर्स्ट ईयर की पढ़ाई एमबीबीएस में शुरू की थी. एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई जो है, उनकी अब जो किताब बची है. उसे इस महीने पूरे करने की तैयारी है.

  • आज का दिन हिंदी, हिंदुस्तान और हिंदी मीडियम के चिकित्सा विद्यार्थियों के लिये मील का पत्थर सिद्ध होगा।

    आज गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल में स्थित हिंदी प्रकोष्ठ ‘मंदार’ चिकित्सा शिक्षा में ‘द लानसेट’ की डिप्टी पब्लिशिंग हेड फियोना मेकलेव एवं एलजीवियर पब्लिकेशन इण्डिया के… pic.twitter.com/i0X75B7RhY

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सांरग ने बताया, "जब हमने हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की है, तो हम रिसर्च को लेकर भी काम करना चाह रहे थे. दुनिया का जो सबसे बेहतर रिसर्च पेपर सेंटर है, हमने उनसे कांटेक्ट किया. हमारी उनसे बातचीत हुई और मुझे इस बात की खुशी है कि आज हिंदी दिवस पर (lancet) लैंसेट और मध्य प्रदेश एजुकेशन विभाग में सजा समझौता हुआ है. यह लानसेट भी अब हिंदी में प्रकाशित होगा."

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स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, "उनकी जो डिप्टी पब्लिशिंग हैण्ड फियोना मेकलेब है ,वह हिंदुस्तान आई थी. हमारी लगातार कल से उनके साथ मीटिंग हो रही थी. इंडिया के हेड भी उनके साथ थे. अब हमारी उनके साथ साझा नीति बनी है, कि आने वाले समय में लैंसेट भी हिंदी में प्रकाशित होगा. जो मेडिकल के रिसर्च के लिए बेहतर काम में आएगा. यह बड़ी उपलब्धि है."

उन्होंने बताया, "हिंदी को लेकर हमारा हमीदिया का मंदार सेंटर जो वार रूम है. इसमें हम ट्रांसलेशन का काम कर रहे हैं. वह इसमें सहयोग करेगा. हमारे मध्य प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज के फैकल्टी मेंबर भी इसमें सहयोग करेंगे. ट्रांसलेशन का काम मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से होगा. पब्लिशिंग का काम फियोना मेकलेब करेंगे. हिंदी वह चौथी लैंग्वेज होती जा रही है, जिसमें लैंसेट का रिसर्च पेपर पब्लिश होगा.अब हिंदी जो दुनिया में एक बड़ी भाषा के रूप में स्थापित हो रही है. वह भी अब इसके साथ जुड़ रही है. यह हिंदुस्तान के लिए और हिंदी के भविष्य के लिए एक बड़ी बात है. अब जल्द से जल्द पेपर फॉर्मेटिव पूरी कर ली जाएगी और उसके बाद लैंसेट हिंदी में प्रकाशित होगा."

उन्होंने कहा, "इस दौरान यहां मौजूद द लैंसेट के पदाधिकारी ने गांधी मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण भी किया. यहां एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए बनाए गए वार रूम को भी देखा और समझा कि किस तरह से ट्रांसलेशन कर अंग्रेजी पुस्तकों को हिंदी में किया जाता है."

क्या है द लैंसेट: द लैंसेट एक साप्ताहिक चिकित्सा पत्रिका (Weekly Medical Magzine) है. जो चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सा से जुड़े कई शोध, समाचार, समीक्षा, लेख आदि को अपनी पत्रिका में प्रकाशित करती है. यह दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र में मशहूर पत्रिकाओं में से एक है. इसके माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों और विशेषज्ञो को भी कई मामलों में बेहतर जानकारियां प्राप्त होती हैं. इसमें प्रकाशित होने वाले शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद लोकप्रिय है. इसमें जितने भी रिसर्च आदि की जानकारी होती है. उनके माध्यम से नए छात्रों को भी कई तरह की सुविधा मिल जाती है. ऐसे में इसका प्रकाशन हिंदी में होने से हिंदी भाषा और हिंदी में एमबीबीएस कर रहे छात्रों को काफी फायदा होगा.

Last Updated :Sep 14, 2023, 6:40 PM IST
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