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यहां देखिए...30 हजार साल पहले कहां और कैसे थे हमारे पूर्वज, इस प्रदर्शनी में मानव विकास का हर पन्ना दर्ज

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 8:26 PM IST

Updated : Nov 22, 2023, 11:01 PM IST

Bhopal Exhibition: भोपाल के बिड़ला म्यूजियम में प्रदर्शनी लगी है. यह प्रदर्शनी दर्शा रही है कि मानव का विकास कैसे हुआ. हमारे पूर्वज कैसे थे, फिर कैसे विकास होते-होते मानव रूप लिया.

Bhopal Exhibition
पूर्वजों से जीवन से रु ब रु

बिड़ला म्यूजियम में प्रदर्शनी

भोपाल। इंसान के तौर पर खुद को पलटकर कई बार देखा होगा आपने...हम कहां से कहां पहुंचे. ये यात्रा आपकी देखी भली होगी बेशक....इस पर कभी गौर किया कि पूरी मानव जाति की यात्रा कैसे शुरु हुई थी...हमारा रुप रंग कैसा था...रीति रिवाज थे भी या नहीं...क्या मनोरंजन के साधन थे मानव जाति के....और बात-बात पर युद्ध की वजह क्या थी...एमपी का भीमबेटका वो इलाका है, जो मानव जीवन की शुरुआत का सिरा माना जाता है. जहां 700 से ज्यादा पेंटिग के जरिए मानव जीवन की शुरुआत की पूरी कहानी दर्ज है.

मानव जीवन के शुरुआती सुबूत कहा जा सकता है. जिन्हें भीमबेटका में बने तीस हजार साल से ज्यादा पुराने ऐसे चित्रों की प्रदर्शनी भोपाल के बिड़ला संग्रहालय में लगी है...इन चित्रों में मानव विकास का हर पन्ना दर्ज है.

Bhopal Exhibition
भीमबेटका में बने शैलचित्र

हमारे पूर्वजों से मिलिए...जानिए हम क्या थे: भोपाल के बिड़ला म्यूजियम में लगी इस प्रदर्शनी को देखना असल में अपने पूर्वजों के जीवन से रू-ब-रू होना है. वो शैल चित्र जो भीमबेटका ने मानव जीवन के विकास के दौरान निर्मित किए गए वो शैलचित्र इस प्रदर्शनी का हिस्सा है. जिनमें बताया गया है कि कैसे पशु पक्षी उस समय मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा थे. तकरीबन हर दूसरे चित्र में मावन की कृति में पशुओं की भी आकृति है. इसी तरह से ज्यादातर जो शैल चित्र हैं. उनमें मानव अपने शुरुआती दौर में समूह में दिखाई देते हैं. यानि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. वो समूह में ज्यादा संतुष्ट रहता है. ये अवधारणा बाद की हो, लेकिन मानव शुरुआत से ही समूह में रहता आया है.

पानी पीने का ये ढंग अब भी नहीं भूला इंसान: इन शैल चित्रों में एक चित्र में मानव जाति की जीवन शैली का प्रदर्शन है. बताया गया है कि पानी किस तरह से पिया करते थे. उस समय प्यास लगने पर पानी किस तरह पिया जाता था. खास ये है कि अब भी ये ढंग बहुत ज्यादा नहीं बदला है. इन चित्रों में उस समय के मानव जीवन के उत्सव क्रोध युद्ध हर भाव को उकेरा गया है. ज्यादातर ये चित्र गेरू से बने हैं या खड़िया से कई जगह हरे रंग का इस्तेमाल भी है.

Bhopal Exhibition
बंदर से इंसान बनने का चित्र

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Bhopal Exhibition
भीमबेटका में बने शैल चित्र

वाकणकर की खोज ये भीम बैठका...और ये चित्र: भीमबेटका के ये चित्र देश के प्रसिद्ध पुरातत्विद विष्णुधर वाकणकर की खोज हैं. ये सात सौ से ज्यादा चित्र कभी दुनिया के सामने ना आते अगर वाकणकर ने इन गुफाओं से इन्हें खोज निकाला ना होता. उन्होंने एमपी की स्थापना के साल भर बाद 1957 में इस स्थान को खोज निकाला था. इस प्रदर्शनी को देखने आई आर्किटेक्चर की छात्रा वैष्णवी तिवारी कहती हैं मैंने जब इनके बारे में पढ़ा तो तीन चार दिन तक पढ़ने के बाद भी उस तरह से ये चित्र उनकी हिस्ट्री दिमाग में नहीं बैठी थी, लेकिन अब एक्जीबिशन देखने के बाद सब कुछ मेरे दिमाग में तस्वीर के साथ कैद हो गया है.

Last Updated : Nov 22, 2023, 11:01 PM IST
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