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सीएम डॉ. मोहन यादव का पटना में भव्य अभिनंदन, कहा-जहां-जहां पड़े भगवान श्रीकृष्ण के चरण वहां बनवाएंगे तीर्थस्थल

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2024, 7:48 AM IST

CM Mohan Yadav Visit to Bihar: एमपी के सीएम डॉ मोहन यादव बिहार के पटना पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. यहां उन्होंने कहा कि आमजन के जीवन में बदलाव लाने और नई पीढ़ी को संस्कारित करना मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकता है.

Grand welcome in Patna
पटना में सीएम का भव्य स्वागत

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार को बिहार के पटना पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. स्वागत कार्यक्रम के बाद उन्होंने बीजेपी कार्यालय पहुंचकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री यादव ने कहा की जब वे उच्च शिक्षा मंत्री थे ,तब उन्होंने कोर्सेस में रामायण और महाभारत को जोड़ने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का दायित्व संभालने के बाद उन्होंने आम जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया है ,साथ ही दूसरी महत्वपूर्ण प्राथमिकता उन महापुरूषों के योगदान से नई पीढ़ी को अवगत करवाने का कार्य भी करना है, जिससे भारतीय समाज को संस्कार मिले.

CM Mohan Yadav Visit to Bihar
सीएम डॉ. मोहन यादव का पटना में भव्य अभिनंदन

सीएम का हुआ अभिनंदन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पटना में श्रीकृष्ण चेतना विचार मंच द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लिया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गांधी मैदान स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में शंख ध्वनि के बीच दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. विभिन्न संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को पुष्पगुच्छ, शॉल व अभिनंदन पत्र भेंटकर तथा मुकुट पहनाकर स्वागत किया गया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का श्री कृष्ण चेतना विचार मंच के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री राजेन्द्र प्रसाद, महासचिव पूर्व आईएएस डॉ. गोरेलाल यादव, महामंडलेश्वर महंत डॉ. सुखदेव दास, बिहार प्रदेश यादव महासभा, श्री कृष्ण चेतना परिषद, श्री कृष्ण चेतना संघ, श्री कृष्ण विचार मंच, श्री गोपीकृष्ण गो आश्रम, जयपाल सिंह यादव फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने स्वागत किया.


'जहां-जहां पड़े भगवान श्रीकृष्ण के चरण वहां बनवाएंगे तीर्थस्थल'

अभिनंदन समारोह में सीएम ने कहा कि भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के प्रसंगों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की पहल के साथ ही नई शिक्षा नीति में सनातन संस्कृति का पाठ्यक्रमों में समावेश हमारा संकल्प है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनी आश्रम उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की थी. मध्यप्रदेश में जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, उन स्थानों को तीर्थ स्थान के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है.

'हजारों साल से है एमपी और बिहार का रिश्ता'

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि माता सीता की जन्मस्थली बिहार आकर मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं. ऐसी पवित्र धरती को मैं प्रणाम करता हूं. यह भगवान महावीर स्वामी जी की धरती है, जिससे बिहार की पहचान है, साथ ही सम्राट अशोक की भी धरती है. सम्राट अशोक का मध्यप्रदेश उज्जैन से खासतौर पर अलग तरह का रिश्ता रहा है. हजारों साल से मध्यप्रदेश और बिहार का रिश्ता है. प्राचीन काल से मध्यप्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा महाकाल की नगरी में ही भगवान श्री कृष्ण का विवाह हुआ. भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा भी उज्जैन में हुई.

ये भी पढ़ें:

'सौभाग्य है हमारा हम श्रीकृष्ण के वंशज हैं'

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम सब भगवान श्रीकृष्ण को हमारे वंश का तो मानते ही हैं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण की पहचान कैसी है पूरे समाज के अंदर जहां कोई अव्यवस्था दिखे, जहां कोई अधर्म की बात दिखे, अगर किसी ने आगे बढ़कर अधर्म के खिलाफ संघर्ष करने का कदम उठाया तो वह केवल एकमेव भगवान श्री कृष्ण हैं, जिन्होंने अपने पूरे जीवन को धर्म की स्थापना के लिए खपाया.

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार को बिहार के पटना पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. स्वागत कार्यक्रम के बाद उन्होंने बीजेपी कार्यालय पहुंचकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री यादव ने कहा की जब वे उच्च शिक्षा मंत्री थे ,तब उन्होंने कोर्सेस में रामायण और महाभारत को जोड़ने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का दायित्व संभालने के बाद उन्होंने आम जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया है ,साथ ही दूसरी महत्वपूर्ण प्राथमिकता उन महापुरूषों के योगदान से नई पीढ़ी को अवगत करवाने का कार्य भी करना है, जिससे भारतीय समाज को संस्कार मिले.

CM Mohan Yadav Visit to Bihar
सीएम डॉ. मोहन यादव का पटना में भव्य अभिनंदन

सीएम का हुआ अभिनंदन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पटना में श्रीकृष्ण चेतना विचार मंच द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लिया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गांधी मैदान स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में शंख ध्वनि के बीच दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. विभिन्न संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को पुष्पगुच्छ, शॉल व अभिनंदन पत्र भेंटकर तथा मुकुट पहनाकर स्वागत किया गया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव का श्री कृष्ण चेतना विचार मंच के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री राजेन्द्र प्रसाद, महासचिव पूर्व आईएएस डॉ. गोरेलाल यादव, महामंडलेश्वर महंत डॉ. सुखदेव दास, बिहार प्रदेश यादव महासभा, श्री कृष्ण चेतना परिषद, श्री कृष्ण चेतना संघ, श्री कृष्ण विचार मंच, श्री गोपीकृष्ण गो आश्रम, जयपाल सिंह यादव फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने स्वागत किया.


'जहां-जहां पड़े भगवान श्रीकृष्ण के चरण वहां बनवाएंगे तीर्थस्थल'

अभिनंदन समारोह में सीएम ने कहा कि भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के प्रसंगों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की पहल के साथ ही नई शिक्षा नीति में सनातन संस्कृति का पाठ्यक्रमों में समावेश हमारा संकल्प है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनी आश्रम उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की थी. मध्यप्रदेश में जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, उन स्थानों को तीर्थ स्थान के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है.

'हजारों साल से है एमपी और बिहार का रिश्ता'

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि माता सीता की जन्मस्थली बिहार आकर मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं. ऐसी पवित्र धरती को मैं प्रणाम करता हूं. यह भगवान महावीर स्वामी जी की धरती है, जिससे बिहार की पहचान है, साथ ही सम्राट अशोक की भी धरती है. सम्राट अशोक का मध्यप्रदेश उज्जैन से खासतौर पर अलग तरह का रिश्ता रहा है. हजारों साल से मध्यप्रदेश और बिहार का रिश्ता है. प्राचीन काल से मध्यप्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा महाकाल की नगरी में ही भगवान श्री कृष्ण का विवाह हुआ. भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा भी उज्जैन में हुई.

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'सौभाग्य है हमारा हम श्रीकृष्ण के वंशज हैं'

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम सब भगवान श्रीकृष्ण को हमारे वंश का तो मानते ही हैं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण की पहचान कैसी है पूरे समाज के अंदर जहां कोई अव्यवस्था दिखे, जहां कोई अधर्म की बात दिखे, अगर किसी ने आगे बढ़कर अधर्म के खिलाफ संघर्ष करने का कदम उठाया तो वह केवल एकमेव भगवान श्री कृष्ण हैं, जिन्होंने अपने पूरे जीवन को धर्म की स्थापना के लिए खपाया.

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