भिंड। एचआईवी यानी एड्स, एक ऐसी बीमारी है, जो न सिर्फ लोगों को शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक और सामाजिक तौर पर भी कमजोर बनाती है. भिंड में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद प्रशासन की पोल खुल रही है क्योंकि भिंड जिले में लगातार एड्स पांव पसार रहा है, पिछले छह सालों में करीब 660 मरीजों में एचआईवी के लक्षण मिले हैं, इसी गंभीर बीमारी ने एक परिवार को पूरी तरह तबाह कर दिया है, जिसके चलते मां-बेटे को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.
प्रशासन से मदद की आस में पीड़ित महिला सालों से गुहार लगा रही है, लेकिन फरियादी मां को सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला. इस बीमारी ने पहले शारीरिक रूप से कमजोर किया, फिर सामाज में पकड़ कमजोर किया और अब बीमारी के साथ-साथ गरीबी ने भी जीना मुहाल कर दिया है. एक कमरे के मकान में रहने वाली महिला के साथ उसके 10 साल के बेटे का भविष्य भी बर्बाद हो रहा है. अब उसका शरीर साथ नहीं देता और आंखों की रोशनी भी फीकी होने लगी है, ऐसे में घर की जिम्मेदारी मासूम के कंधों पर है, जिसके चलते बेटा कभी चाय तो कभी सब्जी बेचकर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करता है. इसी बीमारी के चलते 10 साल पहले इस महिला के पति की मौत हो चुकी है, दीपावली के समय घर में आग लगने की वजह से पूरी गृहस्थी जल गई थी.
660 मामले आए सामने
इस बीमारी के चलते सैकड़ों मरीज ऐसा ही व्यवहार झेल रहे हैं. भिंड में इन मरीजों के आंकड़ों का पता लगवाया तो वो चौंकाने वाले थे. जिला अस्पताल के एचआईवी आईसीटीसी में 660 मामले सामने आए हैं. जिनमें से 220 मरीजों को इलाज के लिए जिला अस्पताल से लिंक किया गया है. बाकी मरीजों का इलाज ग्वालियर में चल रहा है.
पिछले 6 साल के आंकड़े (मरीजों की संख्या)
- 2013-14 = 48
- 2014-15 = 45
- 2015-16 = 45
- 2016-17 = 72
- 2017-18 = 58
- 2018-19 = 66
- 2019= 59