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किसानों की मेनहत पर अतिवृष्टि से फिरा पानी, अभी तक नहीं हुआ सर्वे

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Published : Nov 10, 2019, 11:13 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 10:57 AM IST

फसल बर्बाद से अन्नदाता मायूस

अतिवृष्टि से किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई . लेकिन अभी तक मुआवजा मिलना तो दूर की बात है, फसलों का सर्वे भी नहीं हुआ है.

बड़वानी। अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है, औसत से 46 फीसदी अधिक हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. किसान की साल भर की मेहनत इस प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह चौपट हो गई. किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. किसानों की मानें तो बारिश से कपास और मक्का की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.

फसल बर्बाद से अन्नदाता मायूस

मुआवजा तो दूर, सर्वे भी नहीं हुआ
सरकारी आंकडों के मुताबिक टमाटर, सोयाबीन, ज्वार, मक्का, कपास और मूंग की फसल आसमानी आफत की भेंट चढ़ गई. इनमें सबसे ज्यादा नुकसान निमाड़ में प्रमुख फसल सफेद सोना कहे जाने वाले कपास का हुआ है. मक्के की फसल में कीड़े पड़ गए हैं. बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा मिलना तो दूर अभी तक सर्वे तक कराया गया है. इस आफत से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है.

Intro:बड़वानी । लगातार होती रही बारिश ने निमाड़ के किसानों की कमर तोड़ दी है कही फसल 25 प्रतिशत तो कही 50 प्रतिशत के लगभग उत्पादन हुआ वह भी गुणवत्ताविहीन जिसको लेकर किसानों के सर पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देती है किंतु किसानों के हितों की बात करने वाली राजनैतिक पार्टियां और सरकारी नुमाइंदो ने केवल दिखावे के लिए किसानों के खेतों की और रुख किया लेकिन फायदा कुछ नही हुआ। जिला मुख्यालय से लगे गांवो में ही सर्वे नही हुआ तो पूरे जिले में हालात क्या होंगे इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है।


Body:बड़वानी जिले में अतिवृष्टि से विकासखंडवार बात करे तो सरकारी आकड़ो के अनुसार कपास,मक्का ,टमाटर वही पाटी में कपास,सोयाबीन, ज्वार,मूंगफली, मक्का,मिर्च । अंजड़ में कपास,मक्का,सोयाबीन, ज्वार,मूंग तथा ठीकरी में कपास,मक्का और सोयाबीन वही राजपुर में कपास,मक्का,सोयाबीन, ज्वार,अरण्डी,मिर्च,पपीता और सेंधवा -वरला में कपास,मक्का,सोयाबीन ,तुअर व पानसेमल-निवाली में कपास,सोयाबीन ,मक्का,ज्वार,मूंग की प्रमुख फसल बोई गई जो कि लगातार होती रही बरसात की भेंट चढ़ गई। इनमे सबसे ज्यादा नुकसान निमाड़ में की प्रमुख फसल सफेद सोने यानी कपास को हुआ है , नुकसानी की बात करे तो किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल है। जिले में खरीफ की फसल कुल 2 लाख 37 हजार हेक्टेयर में हुई जबकि सरकारी सर्वे में मात्र 827.475 हेक्टेयर रकबा ही प्रभावित हुआ । सरकारी दांवों में कितना दम है मुख्यालय से लगे खेतो के किसान रवि मालवीय और शंकरलाल रूपा की जुबानी पोल खोल के लिए काफी है जिनकी कपास और मक्का की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई किन्तु सरकारी महकमा खेतो तक नही पहुँच पाया। जबकि सरकारी आकड़ो की बाजीगरी देखे तो खरीफ की फसल की कुल बुआई के मुकाबले एक प्रतिशत फसले भी अतिवृष्टि से प्रभावित नही हुई है।
अतिवृष्टि से प्रभावित रकबे और सरकारी मुआवजे पर एक नजर-
बड़वानी जिले में दो हजार 279 किसान प्रभावित हुए है जिनकी 25 से 50 प्रतिशत फसल नुकसान हुआ है इनको करीब एक करोड़ 56 लाख 23 हजार 112 रुपए का मुआवजा मिलेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मुआवजा राशि मे केवल गृहमंत्री की विधानसभा राजपुर में एक करोड़ 15 लाख से अधिक की राशि बट जाएगी वही अन्य 6 तहसीलों में मात्र 46 लाख 73 हजार रुपए मुआवजा के रूप में बाटे जाएंगे।

बाइट01-रवि मालवीय - किसान
बाइट02- शरू- उन्नत कृषक
बाइट03-गुलाब- किसान
बाइट04- शंकरलाल रूपा -किसान



Conclusion:ईटीवी भारत ने जिला मुख्यालय से लगे कुछ किसानों से चर्चा की तो सरकारी सर्वे की पोल खुल गई किसानों के अनुसार लगातार होती रही बारिश से मक्का और कपास ने किसानों निराश किया है , इसके अलावा मिनी बग,गुलाबी इल्ली का प्रकोप भी फसलो को ले बैठा।किसानों को जंहा पहले 100 क्विंटल तक फसल की पैदावार मिलती थी इस बार 25 प्रतिशत भी नही मिली है। टमाटर की फसल लेने वाले शेरू का कहना है कि उसने कुल 29 एकड़ में टमाटर बोया था लेकिन अतिवृष्टि ने किसान के सपनो पर पानी फेर दिया हर बार प्रतिदिन 4 आईशर वाहन भर कर दिल्ली टमाटर जाता था वही 8 दिन में बमुश्किल 1 गाड़ी भरकर दिल्ली जा रही है । अतिवृष्टि से लाखों का नुकसान हुआ है।
Last Updated :Nov 11, 2019, 10:57 AM IST
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