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MP Assembly Election 2023: किस-किस के वनवासी...? BJP-कांग्रेस की नजर, आदिवासी वोट बैंक पर

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Published : Jul 27, 2023, 3:46 PM IST

congress Adivasi Swabhiman Yatra
आदिवासी स्वाभिमान यात्रा

एमपी में अब चुनावी सरगर्मियां तेज होती नजर आने लगी हैं. महिला वोटरों को लुभाने की कोशिशों के बाद अब कांग्रेस बीजेपी आदिवासी वोट बैंक पर नजर है. इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि प्रदेश में सत्ता हासिल करने की एक चाबी इनके पास भी है. (Adivasi Swabhiman Yatra)

विक्रांत भूरिया

बालाघाट। मध्यप्रदेश में अब चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी है, ऐसे में लोक लुभावने वादों के साथ घोषणाओं की भी बयार सी आ गई है. प्रदेश में अबकी बार सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है. चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के टारगेट पर आदिवासी समुदाय है. बीते कुछ दिनों की बात की जाए तो भाजपा ने पेसा एक्ट लागू करते हुए आदिवासियों के जननायकों का खूब महिमा मंडन किया है. ऐसे में कांग्रेस भी पीछे नही हैं. आदिवासियों को साधने की जुगत में कांग्रेस ने भी मुहिम छेड़ दी है.

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों से गुजर रही यात्रा: इन दिनों प्रदेश में कांग्रेस के द्वारा आदिवासी स्वाभिमान यात्रा निकाली जा रही है जो कि सीधी जिले से प्रारंभ होकर विभिन्न आदिवासी बाहुल्य विधानसभाओं से होते हुए झाबुआ तक पंहुचेगी. यह आदिवासी स्वाभिमान यात्रा मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया और आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम के नेतृत्व में निकाली जा रही है, जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों से होकर गुजर रही है, इस दौरान इस यात्रा के माध्यम से आदिवासियों को अपने पाले में लाने की जुगत में कांग्रेस पुरजोर कोशिश करती नजर आ रही है.

दमनकारी है भाजपा सरकार: आदिवासी स्वाभिमान यात्रा आदिवासी बाहुल्य बैहर विधानसभा के गढ़ी से बालाघाट जिले मे प्रवेश हुई. जिसके बाद बैहर होते हुए विधानसभा परसवाड़ा में दाखिल हुई, जहां पर एक सभा के आयोजन के दौरान यात्रा के नेतृत्वकर्ता डाॅ विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने आदिवासियों के लिए दमनकारी नीतियां चला रखी है. जगह जगह पर आदिवासियों पर जुल्म और अत्याचार हो रहें है, जिससे आदिवासी वर्ग भयभीत और सहमा हुआ सा है. उन्होंने कहा सीधी काण्ड पर मुख्यमंत्री के द्वारा नौटंकी की जा रही है. मणिपुर की घटना वैश्विक मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है, जिसके लिए केन्द्र और प्रदेश दोनों सरकारें जवाबदार हैं जो कि जाति हिंसा की आग में झुलस रहे देश के खूबसूरत हिस्से को संभाल नहीं पा रही है.

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इतनी सीटों पर आदिवासियों का दबदबा: पूरे प्रदेश में तकरीबन 1.75 करोड़ की आबादी आदिवासी समुदाय की है. जो कि पूरे प्रदेश की तकरीबन 22 प्रतिशत आबादी है. पूरे मध्यप्रदेश में 84 विधानसभा सीटों को आदिवासी वोट बैंक प्रभावित करता है, जिनमें से 47 सीटें आदिवासी रिजर्व हैं. अगर पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो 47 में से 31 कांग्रेस और 16 पर भाजपा सिमट गई थी. इसीलिए अबकी बार कांगेस और भाजपा दोनों ही आदिवासीयों को साधने में लगी हुई है.

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