सागर। बुंदेलखंड की एकमात्र मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) पीजी कोर्स की मान्यता का 5 साल से इंतजार कर रही है. कॉलेज 2008 में शुरू हुआ था. 2017 में कई विषयों में पीजी के लिए आवेदन किया गया, लेकिन 4 महत्वपूर्ण विषयों में आज भी पीजी की मान्यता हासिल नहीं हो पाई. खास बात यह है कि, जिन विभागों के लिए पीजी मान्यता मिली है वह नॉनक्लिनिकल विभाग है. हालांकि इस मामले में सबसे बड़ी कमी फैकल्टी की सामने आ रही है. कॉलेज में कई विषयों के एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं.
पीजी की मान्यता का इंतजार: 2008 में शुरू हुए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में 2017 में 15 विभागों में पीजी कोर्सेज की मान्यता के लिए आवेदन किया गया था. जिनमें कई विभागों में तो देर सबेर मान्यता हासिल हो गई, लेकिन जनरल मेडिसन, जनरल सर्जरी, नेत्र रोग और पैथोलॉजी जैसे विभाग में पीजी मान्यता के लिए अभी भी इंतजार चल रहा है. हालांकि सर्जरी विभाग की मान्यता के लिए एनएमसी की टीम ने हाल ही में दौरा किया था, लेकिन अभी तक मान्यता का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है.
मान्यता मिली लेकिन विद्यार्थी नहीं: कुछ ऐसे विभाग हैं. जिनकी मान्यता तो मिली है, लेकिन नॉनक्लिनिकल विभाग होने के कारण इनमें छात्र प्रवेश नहीं ले रहे हैं. 2019 में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को कम्युनिटी मेडिसिन, फिजियोलॉजी, एनाटॉमी और फार्मोकोलॉजी में पीजी की मान्यता मिली थी. ये विभाग नॉनक्लीनिकल होने के कारण पहले साल सिर्फ कम्युनिटी मेडिसन विभाग में 3 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था. इस बैच की समयावधि 31 मई 20-22 को समाप्त हो गई परीक्षा परिणाम आने वाला है. पहले साल के बाद किसी भी विभाग में किसी भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया है.
इन विभागों में है पीजी की मान्यता: कॉलेज में हड्डी रोग, स्त्री रोग, ईएनटी, शिशु रोग, एनेस्थीसिया, फार्मोकोलॉजी, एनाटॉमी, कम्युनिटी मेडिसिन, फिजियोलॉजी, बायो केमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी में पीजी मान्यता मिल चुकी है. सर्जरी, जनरल मेडिसिन, नेत्र रोग और पैथोलॉजी विभाग की मान्यता के लिए पिछले 5 साल से प्रयास चल रहा है. इन विभागों में शिक्षकों की कमी मान्यता में आड़े आ रही है. सर्जरी विभाग में 3 असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी है. नेत्र रोग और पैथोलॉजी में एक-एक एसोसिएटेड प्रोफ़ेसर कम हैं. मेडिसन जैसे महत्वपूर्ण विषय में 3 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं. ऐसी स्थिति में अभी भी अभिभावकों को मान्यता मिलती नजर नहीं आ रही है.
डीन की दलील: मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर एस वर्मा का कहना है कि, इन चार महत्वपूर्ण विभागों में पीजी मान्यता के लिए हम लंबे समय से प्रयासरत हैं, लेकिन हमारी कोशिशें हर बार टीचिंग फैकल्टी की कमी के कारण नाकाम हो जाती हैं. हमने कई बार विज्ञापन निकालकर टीचिंग फैकल्टी की कमी को पूरा करने का कोशिश की है. हमारी कोशिश सफल नहीं हो रही. ऐसी स्थिति में इन विभागों में पीजी मान्यता मिलना आसान नहीं है.