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इस नई शपथ से बदल जाएगी Indian Doctors की 'ओथ' परंपरा, अब लेनी होगी चरक शपथ, 14 फरवरी से आदेश लागू

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Published : Feb 11, 2022, 9:20 PM IST

डॉक्टर बनने के बाद ली जाने वाली शपथ(charak shapath) भी हिंदी में ही ली जाएगी. नेशनल मेडिकल कमीशन ने देशभर के सभी मेडिकल कॉलेज को इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं. आदेश 14 फरवरी से लागू होगा.

charak shapath replace hippocratic oath
हिप्पोक्रेटिक्स ओथ के जगह अब चरक शपथ

इंदौर। डॉक्टरी के पढ़ाई हिंदी में शुरू करने के बाद अब डॉक्टर बनने के बाद ली जाने वाली शपथ(charak shapath) भी हिंदी में ही ली जाएगी. नेशनल मेडिकल कमीशन ने देशभर के सभी मेडिकल कॉलेज को इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं. इसके तहत अब मध्य प्रदेश में भी डॉक्टर बनने वाले तमाम एमबीबीएस स्टूडेंट पुरानी हिप्पोक्रेटिक ओथ (replace hippocratic oath in medical colleges)की जगह चिकित्सा विज्ञान के जनक माने जाने वाले महर्षि चरक की शपथ लेंगे. 14 फरवरी ये यह आदेश प्रदेश के सभी कॉलेजों में माना जाएगा.

क्यों ली जाती हिप्पोक्रेटिक ओथ
प्राचीन यूनान के हिप्पोक्रेटस को दुनिया का सबसे मशहूर डॉक्टर कहा जा सकता है. दुनियाभर के एलोपैथी डॉक्टर डिग्री पूरी होने के बाद फील्ड में उतरने से पहले जो शपथ लेते हैं, वह हिप्पोक्रेटिक ओथ कहलाती है. माना जाता है यह शपथ हिप्पोक्रेटस ने ही तैयार की थी. हिप्पोक्रेटस का जीवनकाल 460 से 370 ईसापूर्व माना जाता है.

हिप्पोक्रेटिक्स ओथ के जगह अब चरक शपथ
हिप्पोक्रेटिक्स ओथ के जगह अब चरक शपथ

खत्म हो जाएगी पुरानी ओथ
मेडिकल छात्रों को हिप्पोक्रेटिक शपथ (Hippocratic Oath) दिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन अब यह खत्म होने जा रही है. 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) में शुरू हो रहे नए अकेडमिक सेशन में अब महर्षि चरक की देशी शपथ दिलाई जाएगी. प्राचीन भारतीय मान्यताओं के मुताबिक महर्षि चरक चिकित्सा विज्ञान में योगदान करने वालों में सबसे प्रमुख और श्रेष्ठ माने जाते हैं और चिकित्सा ग्रंथ 'चरक संहिता' के लेखक भी है. इसलिए अब नेशनल मेडिकल कमीशन ने डॉक्टरों को महर्षि चरक की शपथ दिलाने का फैसला किया है. इसके साथ ही सभी MBBS फ्रेशर्स को 10 दिन की योगा ट्रेनिंग भी अनिवार्य होगी.

क्षेत्रीय भाषाओं में भी ली जा सकती है शपथ
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अंडरग्रैजुएट बोर्ड ने बीते हफ्ते देशभर के मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी. इस मीटिंग में यह तय हुआ कि अब मेडिकल छात्रों के पुरानी हिप्पोक्रेटिक ओथ की जगह महर्षि चरक की शपथ दिलाई जाएगी. हिंदी भाषी राज्यों में शपथ हिंदी में ही होगी. अलग अलग क्षेत्रों की भाषा के मुताबिक यह शपथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ली जा सकती है.

कुछ ऐसी होती है 'हिप्पोक्रेटिक ओथ'
THE HIPPOCRATIC Oath
I swear to fulfill, to the best of my ability and judgment, this covenant.
I will respect the hard-won scientific gains of those physicians in whose steps I walk, and gladly share such knowledge as is mine with those who are to follow.
I will apply, for the benefit of the sick, all measures [that] are required, avoiding those twin traps of overtreatment and therapeutic nihilism.
I will respect the privacy of my patients, for their problems are not disclosed to me that the world may know. Most especially must I tread with care in matters of life and death. If it is given me to save a life, all thanks. But it may also be within my power to take a life; this awesome responsibility must be faced with great humbleness and awareness of my own frailty. Above all, I must not play at God.......If I do not violate this oath, may I enjoy life and art, respected while I live and remembered with affection thereafter. May I always act so as to preserve the finest traditions of my calling and may I long experience the joy of healing those who seek my help.

करीब 10 से 12 प्वाइंट्स में डिफाइन की गई यह ओथ डॉक्टर्स को समाज और मरीज के प्रति उसकी जिम्मेदारियों का निर्वहन कराने के लिए दिलाई जाती है.

अब ऐसी होगी महर्षि चरक शपथ
- पूर्वाभिमुख होकर पवित्र अग्नि एवं विद्वानों की साक्षी में प्रतिज्ञा करो कि तुम अपने अध्ययनकाल में संयमी, सात्विक तथा अनुशासित जीवन व्यतीत करोगे. गुरु के अधीनस्थ होकर पूर्ण समर्पित भाव से गुरु के कल्याण तथा प्रसन्नता हेतु पुत्रवत् आचरण करोगे. तुम्हारा व्यवहार सतर्कतापूर्ण, सेवापरायण तथा उद्दण्डता और ईर्ष्या से रहित होगा. तुम अपने आचरण में संतोषी,आज्ञापालक, विनम्र, निरंतर मननशील एवं शांतिसंयुक्त रहोगे. गुरु के अभीष्ट लक्ष्य के प्रति संपूर्ण सामर्थ्य से प्रयत्नशील रहोगे. चिकित्सक के रूप में अपनी सफलता, यश एवं अर्थप्राप्ति के लिए तुम सदैव अपनी विद्या का उपयोग प्राणिमात्र के कल्याण हेतु करते रहोगे.
-अत्यधिक व्यस्तता एवं विश्रांति की अवस्था में भी तुम दिन-रात रोगी की सेवा हेतु आत्मवत् तत्पर रहोगे. निज स्वार्थ एवं अर्थलाभ के लिए किसी रोगी का अहित नहीं करोगे तथा परस्त्री एवं पराये धन की कामना नहीं करोगे. अनैतिकता तुम्हारे विचारों में भी नहीं आनी चाहिए.
-तुम सदैव मधुर, पवित्र, उचित आनन्दवर्ध्दक, सत्य, हितकारी तथा विनम्र वाणी प्रयुक्त करोगे तथा अपने पूर्व अनुभवों का उपयोग करते हुए निरंतर प्रयत्नशील रहोगे. तुम ज्ञान के नवीनतम विकास की उपलब्धि के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहोगे.
-किसी स्त्री की चिकित्सा उसके पति अथवा आत्मीय की उपस्थिति में ही करोगे. रोगी के परीक्षण के समय तुम्हारा विवेक, ध्यान एवं इंद्रियाँ रोगनिदान हेतु ही केन्द्रित होनी चाहिए.
-तुम रोगी अथवा उसके घर से संबंधित गोपनीय बातों का प्रचार नहीं करोगे. तुम मरणासन्न रोगी की विवेचना नहीं करोगे, क्योंकि वह रोगी अथवा उसके आत्मीयजनों को आघातकारक हो सकती है. तुम अधिकृत विद्वान होते हुए भी अपने ज्ञान की अभिव्यक्ति अहंकार के रूप में नहीं करोगे, क्योंकि इससे स्वजन तक अपमानित अनुभव कर सकते हैं.

- अंत में संस्कृत के इस श्लोक 'न त्वहं कामये राज्यम्, न स्वर्गम् नापुनर्भवम्।

कामये दुःख तत्पानां, प्राणीनाम् आर्तिनाशनम् ॥ के साथ शपथ संपूर्ण मानी जाएगी.

ओथ को लेकर अलग-अलग रुख
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (indian medical association) के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर आरएस बेदी ने चरक शपथ का स्वागत किया है. डॉक्टर आरएस बेदी ने कहा कि ये फैसला बहुत अच्छा है. हिप्पोक्रेटिक ओथ हो या फिर चरक ओथ दोनों के मायने एक है. उन्होंने कहा कि इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. वहीं इस प्रस्ताव पर बिहार के चिकित्सकों के एक मत नहीं होने की जानकारी भी सामने आई है.

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