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MP में गहराया बिजली संकट! बिजली ताप संयंत्र में कोल कंपनी ने रोकी सप्लाई, तीन बड़े प्लांट बंद होने की कगार पर

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Published : Aug 29, 2021, 5:19 PM IST

मध्य प्रदेश के बिजली ताप संयंत्र में बिजली यूनिट में कोयले की समस्या सामने आने लगी है. जिसके चलते अब यूनिट बंद होने लगे हैं. मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ ने सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं.

बिजली संकट
बिजली संकट

भोपाल। मध्य प्रदेश के बिजली ताप संयंत्र में बिजली यूनिट में कोयले की समस्या सामने आने लगी है. जिसके चलते अब यूनिट बंद होने लगे हैं. अभियंता संघ ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार को पहले भी ही चेताया गया था कि कोयले की कमी के कारण बिजली सकंट के हालात बन रहे हैं. संघ ने सरकार से कोयले का भुगतान कर संकट से निजात देने की मांग की है. मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ के महासचिव वीकेएस परिहार का कहना है कि मध्यप्रदेश के तीन बड़े पवार प्लांट में बिजली का उत्पादन बंद होने की कगार पर है.

प्लांट में कोयला की पूर्ति नहीं होने से बिजली प्रभावित

प्रदेश के तीन पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन बंद होने की कगार पर है. भारी देनदारी, डैम में कम पानी और कंपनियों को सब्सिडी नहीं देने के चलते इन पावर प्लांट्स में कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई है. इस कारण एक बार फिर बिजली संकट गहराने लगा है. सरकार फिलहाल निजी क्षेत्र से बिजली खरीदकर सप्लाई कर रही है.

सिंगाजी, सतपुड़ा, संजय गांधी प्लांट पर पड़ा प्रभाव

प्रदेश के सिंगाजी पावर प्लांट में बिजली उत्पादन आधा हो गया है. सिंगाजी की 2400 मेगावाट में से 1200 मेगावाट की बिजली उत्पादन इकाइयां बंद पड़ी हैं. संजय गांधी पावर प्लांट में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है. दोनों पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रुकने से बिजली संकट गहराने लगा है. इसका मुख्य कारण कोयला कंपनियों का भुगतान रुकना है.

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ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली संकट

मध्य प्रदेश में गंभीर बिजली संकट का सबसे अधिक असर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है. जहां रोजाना दो-दो घंटे की कटौती शुरू कर दी गई है. वहीं 10-10 जिलों के क्लस्टर बनाकर बिजली कटौती की जाने लगी है. दरअसल उपभोक्ताओं और किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के एवज में बिजली कंपनियों को सरकार से पैसे नहीं मिल पा रहे हैं. इस कारण प्राइवेट जनरेटर कोल इंडिया को भुगतान नहीं कर पा रही है. वहीं बिजली की परेशानी के कारण किसानों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. फिलहाल 1 हजार 62 मेगावाट बिजली की डिमांड है.

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