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Galghontu Campaign बच्चों को गलघोंटू के प्रति जागरूक करने के लिए नई पहल, जानकारी के साथ अधिकारियों ने बांटा तिरंगा

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Published : Aug 18, 2022, 11:57 AM IST

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भोपाल के कमला नेहरू स्कूल में छात्राओं के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें गलघोंटू के प्रति बच्चों को जागरूक किया गया. इस दौरान स्कूल के अधिकारियों ने बच्चों को तिरंगा वितरित्र किया. इधर बच्चों का कहना था कि एक तरफ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं, तो वहीं यह तिरंगा ले जाकर अपने घर पर लगाएंगे. Galghontu Awareness Campaign, Independence Day 2022

भोपाल। गलघोंटू के प्रति बच्चों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. भोपाल के कमला नेहरू स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों को गलघोंटू संबंधित जानकारी दी गई साथ ही बच्चों में तिरंगे भी वितरित किए गए. स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को तिरंगा दिया. इधर बच्चों का कहना था कि एक तरफ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं, तो वहीं यह तिरंगा ले जाकर अपने घर पर लगाएंगे.

गलघोंटू जागरूकता अभियान

गलघोंटू जागरूकता अभियान: स्वास्थ्य विभाग का गलघोंटू के प्रति डीपीटी, टीडी अभियान मध्य प्रदेश में 16 अगस्त से शुरू हो गया है. इस अभियान में डीपीटी का टीका 5 से 6 साल के बच्चों को लगेगा, जबकि टीडी का टीका 10 और 16 साल की आयु वर्ग के बच्चों को पहले चरण में प्रदेश के मुख्य स्कूलों आदि में कार्यक्रम होगा. दूसरे चरण में आंगनबाड़ियों में इसका आयोजन किया जाएगा. (Galghontu Awareness Campaign)

बच्चों को दिया गया तिरंगा: गलघोटू को लेकर मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग 16 अगस्त से 31 अगस्त तक विशेष अभियान चला रहा है. इस अभियान के पहले स्कूलों में बच्चों को इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. भोपाल के कमला नेहरू स्कूल में छात्राओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नेहा, जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना और स्कूल की प्रिंसिपल संगीता सक्सेना और वाईस प्रिंसिपल निशी अवस्थी ने छात्राओं को गलघोंटू रोग के बारे में जानकारी दी.

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क्या होता है गलघोंटू: डिप्थीरिया को गलघोंटू नाम से भी जाना जाता है. यह कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है. इसके बैक्‍टीरिया टांसिल और श्वास नली को संक्रमित करता है. संक्रमण के कारण एक ऐसी झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है और कुछ मामलों में तो मौत भी हो जाती है. यह बीमारी बड़े लोगों की तुलना में बच्‍चों को अधिक होती है. इस बीमारी के होने पर गला सूखने लगता है, आवाज बदल जाती है, गले में जाल पड़ने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है. इलाज न कराने पर शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण फैल जाता है. डिप्थीरिया के मरीज को एंटी-टॉक्सिन दिया जाता है. यह टीका व्‍यक्ति को बांह में लगाया जाता है.(Azadi Ka Amrit Mahotsav)

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