भोपाल। देश भर के 56 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने भले आम आदमी पार्टी की मान्यता वापिस लेने और सिंबल कैंसिल करने की मांग के साथ भारत निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखी हो, लेकिन मध्यप्रदेश में क्या पूर्व नौकरशाह आम आदमी पार्टी की ताकत बनने की तैयारी में हैं. असल में एमपी में हुए घोटालों का कच्चा चिट्ठा जानने वाले कुछ पूर्व नौकरशाहों ने आम आदमी पार्टी से संपर्क किया है और पार्टी की सदस्ता को लेकर उत्सुकता दिखाई है. पार्टी फिलहाल सदस्यता की औपचारिकता पूरी होने से पहले पूर्व नौकरशाह के नाम और संख्या बताना नहीं चाहती, लेकिन ये दावे से कहती है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कई पूर्व नौकरशाही आम आदमी पार्टी के साथ खड़े दिखाई देंगे.
घोटालों का कच्चा चिट्ठा भी लाएंगे पूर्व नौकरशाह: खास बात ये है कि जो भी नौकरशाह पार्टी से संपर्क कर रहे हैं उनमें ज्यादातर ने सिस्टम के बीच रहकर प्रदेश के कई चर्चित घोटालों को करीब से देखा है और उनका कच्चा चिट्ठा इन नौकरशाहों के पास है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अक्षय हुंका कहते हैं इन पूर्व नौकरशाहों से जो बातचीत हमारी हुई है वो घोटाले की पूरी कहानी लेकर आएंगे और जाहिर है उनके जुड़ने के बाद मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी ये बड़े खुलासे भी करेगी.
ज्वाइनिंग से पहले पूछा एमपी का विजन: अब तक आम आदमी पार्टी से जितने भी पूर्व नौकरशाहों ने संपर्क किया है. वो सवालों के साथ पार्टी से जुड़ रहे हैं. उनका पहला सवाल एमपी के विजन को लेकर है. सवाल ये कि मध्यप्रदेश के विकास को लेकर पार्टी का विजन क्या होगा. जाहिर है दूसरा अहम सवाल पार्टी में उनके अपने भविष्य को लेकर होता है. प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता आजाद सिंह डबास कहते हैं- "मैं भी उसी बिरादरी का हूं इसलिए जानता हूं कि कांग्रेस और बीजेपी से पूर्व नौकरशाह जो हैं उनका मोह भंग हो चुका है. केजरीवाल बड़ा आकर्षण हैं. क्योंकि वे भी इन्हीं के बीच से आए हैं." ऐसे में नौकरशाहों को एमपी में ये महसूस हो रहा है कि आप का सिलेक्शन इलेक्शन से पहले उनका सही निर्णय होगा.
पूर्व नौकरशाहों को क्यों रास आ रही आप: क्या वजह है कि दो दलीय राजनीति वाले मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर पूर्व ब्यूरोकेट्स आम आदमी पार्टी का रुख कर रहे हैं. ब्यूरोकेट्स ने रिटायरमेंट के बाद जब राजनीति का रुख किया तो इन दो दलों में उनके तजुर्बे खराब रहे हैं. आज़ाद सिंह डबास कहते हैं- "मैं खुद का ही उदाहरण देता हूं मैं कांग्रेस में भी रहा. राजनीतिक दलों की ये सोच होती है पूर्व नौकरशाह राजनीतिक दलों में अपना रिटायरमेंट काटने आते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. दूसरा सिस्टम में रहकर जो अफसोस उन्हें हुआ हाथ बंधे रहते हैं. कुछ भ्रष्टचार के खिलाफ लड़े कुछ खामोश रहे, लेकिन हिस्सेदार नहीं बने. ये सब जो उनको सफोकेशन रहा है सिस्टम में अब बाहर आकर वो अपने ढंग से राजनीति के साथ सिस्टम में सुखद बदलाव चाहते हैं. इसके लिए उन्हें आम आदमी पार्टी से बेहतर विकल्प नहीं दिख रहा".
230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप : आप पार्टी के प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता आजाद सिंह डबास के मुताबिक दो महीने के भीतर आम आदमी पार्टी का नया संगठन खड़ा दिखाई देगा. मुमकिन है कि तब तक कई पूर्व नौकरशाह पार्टी का हिस्सा भी बन चुके होंगे. क्या प्रदेश के पूर्व नौकरशाह उम्मीदवार भी बनेंगे इस सवाल पर डबास कहते है इनमें से कितने पूर्व नौकरशाह उम्मीदवार बनेंगे कहना मुश्किल है. क्योंकि पार्टी का अपना सर्वे होता है. उसके आधार पर ही तय होगा है लेकिन ये भी निश्चित है कि आम आदमी पार्टी ही अकेला ऐसा दल है जो गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए लोगों को राजनीति में आने का मौका देती है, तो मुमकिन है नौकरशाहों को भी मौका मिले. ( AAP MP Mission 2023) (MP Assembly Elections 2023)