'तनाव' हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा, मगर 'मित्र मंडली' का मिले साथ तो बन सकती है बात

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Published : Nov 22, 2021, 3:27 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 10:06 AM IST

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तनाव करीब 90% लोगों को प्रभावित (Stress affects about 90% of people) करता है और हम जानते हैं कि यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य (mental and physical health) को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन यह भी सच है कि मित्रों का साथ रहे तो तनाव दूर करने में काफी मदद मिलती है. पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट.

क्वींसलैंड : तनाव हमारे जीन की गतिविधि और कार्य को प्रभावित (affect gene activity and function) कर सकता है. यह एपिजेनेटिक परिवर्तनों (epigenetic changes) के माध्यम से ऐसा करता है, जो हमारी कुछ जीन को चालू और बंद करता है, हालांकि यह डीएनए कोड (DNA code) को नहीं बदलता है.

लेकिन कुछ लोग तनाव के प्रति अधिक खराब प्रतिक्रिया क्यों देते हैं, जबकि अन्य लोग दबाव में रहते हुए इसका सामना करते हैं? पिछले शोधों ने मजबूत सामाजिक बंधनों की पहचान की है और अपनेपन की भावना को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (mental and physical health) को मजबूत बनाए रखने का माध्यम पाया हैं.

सामाजिक समर्थन का अर्थ है एक ऐसा नेटवर्क होना जो जरूरत के समय में आपके साथ हो. यह प्राकृतिक स्रोतों जैसे परिवार, दोस्तों, भागीदारों, पालतू जानवरों, सहकर्मियों और सामुदायिक समूहों से आ सकता है. या औपचारिक स्रोतों जैसे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से.

जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक रिसर्च में प्रकाशित नया अध्ययन पहली बार दिखाता है कि ये सकारात्मक प्रभाव मानव जीन पर (positive effect on human genes) भी देखे गए हैं. सहायक सामाजिक संरचनाएं (supporting social structures) होने से एपिजेनेटिक्स की प्रक्रिया के माध्यम से हमारे जीन और स्वास्थ्य पर तनाव के कुछ हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सकता है. निष्कर्ष बताते हैं कि हम जिस डीएनए के साथ पैदा हुए हैं, वह जरूरी नहीं कि हमारी नियति हो.

एपिजेनेटिक्स क्या है?

हमारे जीन और हमारा पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य में योगदान करते हैं. हमें अपना डीएनए कोड अपने माता-पिता से विरासत में मिलता है और यह हमारे जीवन के दौरान नहीं बदलता है. जेनेटिक्स इस बात का अध्ययन है कि डीएनए कोड किसी विशेष लक्षण या बीमारी के लिए जोखिम या सुरक्षात्मक कारक के रूप में कैसे कार्य करता है.

एपिजेनेटिक्स डीएनए के शीर्ष पर निर्देशों की एक अतिरिक्त परत है जो यह निर्धारित करती है कि वे शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं. यह परत डीएनए कोड को बदले बिना रासायनिक रूप से डीएनए को संशोधित (chemically modify DNA) कर सकती है.

एपिजेनेटिक्स शब्द ग्रीक शब्द एपि से लिया गया है जिसका अर्थ है सबसे ऊपर. जानकारी की यह अतिरिक्त परत जीन और आसपास के डीएनए के ऊपर होती है. यह एक स्विच की तरह काम करता है, जीन को चालू या बंद करता है, जो हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.

विभिन्न पर्यावरणीय कारकों जैसे तनाव, व्यायाम, आहार, शराब और नशीली दवाओं के कारण हमारे पूरे जीवन में एपिजेनेटिक परिवर्तन होते हैं. उदाहरण के लिए पुराना तनाव हमारे जीन को एपिजेनेटिक परिवर्तनों के माध्यम से प्रभावित कर सकता है जो बदले में मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी), अवसाद और चिंता की दर को बढ़ा सकता है.

नई प्रौद्योगिकियां अब शोधकर्ताओं को किसी व्यक्ति से एक जैविक नमूना (जैसे रक्त या लार) एकत्र करने और एपिजेनेटिक्स को मापने का अवसर देती हैं ताकि यह बेहतर ढंग से समझ सकें कि हमारे जीन विभिन्न वातावरणों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं. अलग-अलग समय पर एपिजेनेटिक्स को मापने से हमें इसके बारे में और अधिक जानने का मौका मिलता है कि किसी विशेष वातावरण के कारण कौन से जीन बदल जाते हैं.

हमने क्या अध्ययन किया?

हमारे अध्ययन ने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों कारकों की जांच की जो तनाव के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रिया को प्रेरित करते हैं और यह कैसे जीन के एपिजेनेटिक प्रोफाइल को बदलता है. लोगों के कुछ समूहों को अपने नियमित कार्य के एक भाग के रूप में तनाव का सामना करने की अधिक संभावना होती है, जैसे कि आपातकालीन प्रतिक्रियाकर्ता, चिकित्सा कर्मचारी और पुलिस अधिकारी.

इसलिए मेरी शोध टीम और मैंने 40 ऑस्ट्रेलियाई प्रथम वर्ष के पैरामेडिकल छात्रों का दो बिंदुओं पर अध्ययन किया. संभावित तनावपूर्ण घटना के संपर्क में आने से पहले और बाद में. छात्रों ने डीएनए के लिए लार के नमूने प्रदान किए और समय पर दोनों बिंदुओं पर अपनी जीवन शैली और स्वास्थ्य का विवरण देने वाली प्रश्नावली भरी.

बेहतर ढंग से समझने के लिए हमने तनाव के संपर्क में आने से पहले और बाद में एपिजेनेटिक परिवर्तनों की जांच की. तनाव के संपर्क में आने के बाद जीन के एपिजेनेटिक्स कैसे बदल जाते हैं. वह कौन से विभिन्न सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक होते हैं, जो एपिजेनेटिक परिवर्तनों का कारण बनते हैं.

हमने पाया कि तनाव ने एपिजेनेटिक्स को प्रभावित किया और इसके कारण प्रतिभागियों में संकट, चिंता और अवसादग्रस्तता के लक्षणों में वृद्धि हुई. हालांकि, जिन छात्रों के पास मजबूत सामाजिक समर्थन था, उनमें तनाव से संबंधित स्वास्थ्य परिणाम अधिक गंभीर नहीं थे.

एक समूह, संगठन, या समुदाय से संबंधित होने की मजबूत भावना वाले छात्र तनाव से बेहतर तरीके से निपटते हैं और तनाव के संपर्क में आने के बाद नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों को कम करते हैं. छात्रों के इन दोनों समूहों ने जीन में कम एपिजेनेटिक परिवर्तन दिखाया जो तनाव के परिणामस्वरूप बदल गए थे.

कोविड ने हमें अधिक अलग-थलग किया

कोविड महामारी ने अनिश्चितता, परिवर्तित दिनचर्या और वित्तीय दबावों के कारण लोगों के लिए भारी मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक बोझ पैदा कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया में महामारी की शुरुआत के बाद से चिंता, अवसाद और आत्महत्या की दर बढ़ गई है. पांच में से एक ऑस्ट्रेलियाई ने उच्च स्तर के मनोवैज्ञानिक संकट की सूचना दी है.

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महामारी ने हमें और अधिक अलग-थलग कर दिया है और हमारे संबंधों में पहले से ज्यादा दूरी आ गई है, जिसका सामाजिक संबंधों और अपनेपन पर गहरा प्रभाव पड़ा है. मेरा अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे परिवार और समुदाय का समर्थन और अपनेपन की भावना, हमारे जीन को प्रभावित करती है और तनाव के प्रभावों के खिलाफ एक सुरक्षात्मक कारक के रूप में कार्य करती है.

ऐसे अभूतपूर्व और तनावपूर्ण समय में यह महत्वपूर्ण है कि हम ऐसी मजबूत सामाजिक संरचनाओं का निर्माण करें और उन्हें बनाए रखें जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान करते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated :Nov 25, 2021, 10:06 AM IST
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