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budget session Pegasus issue : विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की तैयारी, सरकार पर गुमराह करने का आरोप

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Published : Jan 31, 2022, 12:31 PM IST

Updated : Jan 31, 2022, 3:33 PM IST

संसद के बजट सत्र में पेगासस का मुद्दा (budget session Pegasus issue) उठाने की तैयारी की जा रही है. टीएमसी सांसद ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की पहल की है. उन्होंने सरकार पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया है. इस मुद्दे पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, ऐसे में इस मुद्दे पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है.

TMC MP Saugata Roy
टीएमसी सांसद सौगत रॉय

नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र में भी पेगासस का मुद्दा (budget session Pegasus issue) उठाने का प्रयास किया जा रहा है. टीएमसी सांसद ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव (TMC MP Saugata Roy Pegasus Privilege Motion) लाने की पहल की है. उन्होंने सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया है.

पेगासस स्पाइवेयर पर टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला (Lok sabha Speaker Om Birla) को पत्र लिखा है. उन्होंने केंद्र सरकार पर पेगासस स्पाइवेयर के मुद्दे पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया (misleading the House on the issue of Pegasus Spyware) है.

TMC MP Saugata Roy
पेगासस स्पाइवेयर पर टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने लोक सभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा

अश्विनी वैष्णव के खिलाफ भाकपा सांसद का नोटिस
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने पेगासस स्पाइवेयर मुद्दे पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से पिछले साल संसद में दिए गए बयान की पृष्ठभूमि में सोमवार को उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया. राज्यसभा सदस्य विश्वम ने कहा कि उन्होंने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की हालिया खबर के मद्देनजर यह नोटिस दिया है.

केंद्रीय मंत्री ने नहीं दिया बयान
पेगासस मुद्दे पर विशेषाधिकार प्रस्ताव के संबंध में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि प्रिविलेज मोशन काफी मजबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला विचाराधीन है. ऐसे में इस मुद्दे पर किसी के लिए टिप्पणी करना सही नहीं, खुद मेरे द्वारा बयान देना भी ठीक नहीं.

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गौरतलब है कि 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर में दावा किया गया है कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे के 'केंद्र बिंदु' थे. इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर अवैध जासूसी करने का आरोप लगाया और इसे देशद्रोह करार दिया था.

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पिछले साल मानसून सत्र के दौरान वैष्णव ने संसद में कहा था कि सत्र आरंभ होने से एक दिन पहले कथित जासूसी से जुड़ी खबर का आना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता. उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि इस दावे के पीछे कोई ठोस आधार नहीं है. विश्वम ने आरोप लगाया कि सरकार ने सच को छिपाने का बार-बार प्रयास किया है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर, 2021 में पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस मुद्दे में केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया है. इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक तीन सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने के लिए विशेषज्ञों को चुना गया है. तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे. अन्य सदस्य आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने समिति को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.

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क्या है पेगासस स्पाइवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाइवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाइवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरें और कॉल रेकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रेकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाइवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

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कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाइवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है.

(इनपुट-भाषा)

Last Updated :Jan 31, 2022, 3:33 PM IST
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