MP: ये है उमा भारती से 'दीदी मां' बनने की कहानी, जानें किसकी आज्ञा से त्यागा पारिवारिक मोह का बंधन

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Published : Nov 5, 2022, 2:02 PM IST

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मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा हाल ही में किया गया एक ट्वीट प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है. (Uma Bharti tweet) उन्होंने कहा कि, मैं अपने परिवार जनों को सभी बंधनों से मुक्त करती हूं, (Uma Bharti Become worlds didi maa) और मैं स्वयं भी 17 तारीख को मुक्त हो जाऊंगी. मेरा संसार एवं परिवार बहुत व्यापक हो चुका है. अब मैं सारे विश्व समुदाय की दीदी मां हूं मेरा निजी कोई परिवार नहीं है. इसी ट्वीट में उन्होने आगे लिखा कि, मैंने भी निश्चय किया था कि, अपने सन्यास दीक्षा के 30 वें वर्ष के दिन मैं गुरू की आज्ञा का पालन करने लग जाऊंगी. यह आज्ञा उन्होंने मुझे दिनांक 17 मार्च, 2022 को रहली, जिला सागर में सार्वजनिक तौर पर माइक से घोषणा करके सभी मुनि जनों के सामने दी थी. (Uma Deedi MP) (MP Former Chief Minister) (MP Former CM Uma Bharti) (Uma Bharti Become worlds didi maa) (Didi maa know Politicat journey) (Politicat journey of Uma Bharti)

भोपाल। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब 'दीदी मां' कहलाएंगी. दरअसल उमा भारती के संन्यास को 17 नवंबर के दिन 30 साल पूरे हो जाएंगे. इस संबंध में पूर्व सीएम ने एक-एक कर कुल 17 ट्वीट कर जानकारी को सार्वजनिक की हैं. इस ट्वीट में उन्होंने बचपन से लेकर संन्यास लेने के साथ राजनैतिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में कई अहम बातें लिखी हैं. उमा ने परिवारजनों को सभी बंधनों से मुक्त करने और खुद के भी पारिवारिक बंधनों से मुक्त होने की बात कही है. (Uma Deedi MP) (Uma Bharti Become worlds didi maa)

उमा भारती का ट्वीट: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपने ट्वीट पर लिखा कि, मेरी संन्यास दीक्षा के समय पर मेरे गुरु ने मुझसे एवं मैंने अपने गुरु से 3 प्रश्न किए, उसके बाद ही संन्यास की दीक्षा हुई. मेरे गुरु के 3 प्रश्न थे- (1) 1977 में आनंदमयी मां के द्वारा प्रयाग के कुंभ में ली गई ब्रह्मचर्य दीक्षा का क्या मैंने अनुशरण किया है? (2) क्या प्रत्येक गुरु पूर्णिमा को मैं उनके पास पहुंच सकूंगी? (3) मठ की परंपराओं का आगे अनुशरण कर सकूंगी? तीनों प्रश्न के उत्तर में मेरी स्वीकारोक्ति के बाद मैंने उनसे जो तीन प्रश्न किए- (1) क्या उन्होंने ईश्वर को देखा है? (2) मठ की परंपराओं के अनुशरण में मुझसे भूल हो गई, तो क्या मुझे उनका क्षमादान मिलेगा? (3) क्या मुझे आज से राजनीति त्याग देना चाहिए?(MP Former CM Uma Bharti)

ऐसे हुआ था नया नामकरण संस्कार: उमा के मुताबिक, पहले दो प्रश्नों के अनुकूल उत्तर गुरुजी द्वारा मिलने के बाद तीसरे प्रश्न का उनका उत्तर जटिल था. मेरे परिवार से संबंध रह सकते हैं, किंतु करुणा एवं दया. मोह या आसक्ति नहीं. साथ ही, देश के लिए राजनीति करनी पड़ेगी. राजनीति में मैं जिस भी पद पर रहूं, मुझे एवं मेरी जानकारी में सहयोगियों को रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार से दूर रहना होगा. इसके बाद मेरी संन्यास दीक्षा हुई. मेरा मुंडन हुआ, मैंने स्वयं का पिंडदान किया. मेरा नया नामकरण संस्कार हुआ, मैं उमा भारती की जगह उमाश्री भारती हो गई.(Didi maa know Politicat journey)

घर पर था राजनीतिक माहौल: आगे के ट्वीट में उमा ने लिखा कि, मैं जिस जाति, कुल व परिवार में पैदा हुई, उस पर मुझे गर्व है. मेरे निजी जीवन व राजनीति में वह मेरा आधार व सहयोगी बने रहे. हम चार भाई दो बहन थे, जिसमें से 3 का स्वर्गारोहण हुआ है. पिता गुलाब सिंह लोधी खुशहाल किसान थे. मां बेटी बाई कृष्ण भक्त सात्विक जीवन जीने वाली थीं. मैं घर में सबसे छोटी हूं. यद्यपि पिता के अधिकतर मित्र कम्युनिस्ट थे, किंतु मुझसे ठीक बड़े भाई अमृत सिंह लोधी, हर्बल सिंह जी लोधी, स्वामी प्रसाद जी लोधी और कन्हैयालाल जी लोधी सभी जनसंघ व भाजपा से मेरे राजनीति में आने से पहले ही जुड़ गए थे.

परिवार के सदस्यों पर लगे झूठे केस: उमा भारती के मुताबिक, उनके अधिकतर भतीजे बाल स्वयं सेवक हैं. उन्होंन लिखा कि, मुझे गर्व है कि, मेरे परिवार ने ऐसा काम नहीं किया, जिससे मेरा लज्जा से सिर झुके. इसके उल्टे उन्होंने मेरी राजनीति के कारण कष्ट उठाए. उन लोगों पर झूठे केस बने, उन्हें जेल भेजा गया. भतीजे हमेशा सहमे से व चिंतित रहे कि उनके किसी कृत्य से मेरी राजनीति ना प्रभावित हो जाए. वह मेरे लिए सहारा बने रहे. मैं उन पर बोझ बनी रही.(Politicat journey of Uma Bharti)

गुरू की आज्ञा से त्यागा पारिवारिक मोह: उमा भारती ने अपने 12 वें ट्वीट पर लिखा कि, संयोग से जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज भी कर्नाटक के हैं. अब वही मेरे लिए गुरु पर हैं. उन्होंने मुझे आज्ञा दी है कि समस्त निजी संबंधों व संबोधनों का परित्याग करके मैं मात्र 'दीदी मां' कहलाऊं व अपने भारती नाम को सार्थक करने के लिए भारत के सभी नागरिकों को अंगीकार करूं. संपूर्ण विश्व समुदाय ही मेरा परिवार बने. मैंने भी निश्चय किया था कि संन्यास दीक्षा के 30वें वर्ष के दिन मैं उनकी आज्ञा का पालन करने लग जाऊंगी. (Uma Bharti Become worlds didi maa)

17 नवंबर को होंगी मुक्त: उमा ने लिखा कि, यह आज्ञा उन्होंने 17 मार्च, 2022 को रहली, जिला सागर में सार्वजनिकतौर पर माइक से घोषणा करके मुनिजनों के सामने दी थी. मैं परिवारजनों को सभी बंधनों से मुक्त करती हूं. मैं स्वयं भी 17 नवंबर को मुक्त हो जाऊंगी. मेरा संसार व परिवार व्यापक हो चुका है. अब मैं सारे विश्व समुदाय की 'दीदी मां' हूं. मेरा निजी परिवार नहीं है. अपने माता-पिता के दिए हुए उच्चतम संस्कार, गुरु की नसीहत, जाति व कुल की मर्यादा, पार्टी की विचारधारा और देश के लिए मेरी जिम्मेदारी इससे मैं खुद को कभी मुक्त नहीं करूंगी.(Politicat journey of Uma Bharti)

8 दिसम्बर के बाद पहुंचेंगी अमरकंटक: उमा ने लिखा कि, मुझे आज अमरकंटक पहुंचना था. अपरिहार्य कारणों से अभी भोपाल में हूं. पूर्णिमा के चंद्र ग्रहण (8 दिसम्बर) के बाद अमरकंटक पहुंच जाऊंगी. 17 नवंबर 1992 को अमरकंटक में ही संन्यास दीक्षा ली थी. मेरे गुरु कर्नाटक के कृष्ण भक्ति संप्रदाय के उड़पी कृष्ण मठ के पेजावर मठ के मठाधीश थे. मेरे गुरु श्री विश्वेश्वर तीर्थ महाराज देश के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, सभी धर्म गुरुओं के आदर व श्रद्धा के केंद्र रहे. 96 वर्ष की आयु में उन्होंने 2 वर्ष पूर्व देह त्याग कर कृष्ण लोक गमन किया. (Didi maa know Politicat journey)

दीक्षा के दौरान उपस्थित थी पूरी सरकार: राजमाता विजयराजे सिंधिया जी के अनुरोध पर तब अविभाजित मध्यप्रदेश के अमरकंटक आकर उन्होंने संन्यास की दीक्षा प्रदान की था. मेरा संन्यासी दीक्षा समारोह 3 दिन चला. उसमें राजमाता जी, उस समय के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पटवा, मुरली मनोहर जोशी, भाजपा की मध्य प्रदेश की लगभग पूरी सरकार, भाजपा के देश व प्रदेश के वरिष्ठ नेता व संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक उपस्थित रहे. जब भंडारा हुआ, तो हजारों संत नर्मदा जी के किनारों के जंगलों से निकल कर आए. भोजन ग्रहण कर मुझे आशीर्वाद दिया था.(MP Former CM Uma Bharti)

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आडवाणी के साथ भेजा गया था जेल: संन्यास से लेकर अयोध्या कांड का जिक्र: उमा ने लिखा कि, इस साल की मार्गशीर्ष माह की अष्टमी को जो कि फिर से 17 नवंबर को पड़ रही है. मेरे संन्यास दीक्षा के 30 वर्ष हो जाएंगे. मैं उस समय शरीर की आयु से 32वां वर्ष लगा था. अमरकंटक में संस्कार दीक्षा के तुरंत बाद मुझे अयोध्या में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई. फिर 6 दिसंबर की घटना हुई. अमरकंटक से अयोध्या, अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरा. वहीं से मुझे आडवाणी जी के साथ जेल भेज दिया. जेल से निकले, तो दुनिया बदल चुकी थी. हमारी सरकारें गिर चुकी थीं, फिर तो 1992 से 2019 तक मेहनत व संघर्ष के दिन थे. मैं कभी इन बातों पर विस्तार से लिखूंगी.(Uma Deedi MP)

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