Parasnath Controversy: पूर्व सांसद सालखन मुर्मू का विवादस्पद बयान, कहा- पहाड़ी आदिवासियों को नहीं सौंपी तो जैन मंदिरों को ध्वस्त करेंगे

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Published : Feb 8, 2023, 7:31 PM IST

Former MP Salkhan Murmu

पारसनाथ विवाद को लेकर पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ी अगर आदिवासियों को नहीं सौंपा जाएगा तो, जैन मंदिरों को ध्वस्थ किया जाएगा.

चाईबासा: पूर्व सांसद और आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड के पारसनाथ-सम्मेद शिखर प्रकरण पर विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि पारसनाथ आदिवासियों का मरांग बुरू (देवता की पहाड़ी) है और इसे उन्हें नहीं सौंपा गया तो यहां के जैन मंदिरों को बाबरी मस्जिद की तरह ध्वस्त किया जाएगा.

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मरांग बुरू हम आदिवासियों के लिए हिंदुओं के राम मंदिर की तरह आस्था का केंद्र है. उन्होंने चाईबासा में आदिवासी सेंगल अभियान की एक बैठक में कहा कि पारसनाथ ही नहीं, देश की सभी पहाड़ियों पर आदिवासियों को अधिकार की लड़ाई अब थमेगी नहीं. उन्होंने ऐलान किया कि मरांग बुरू पर अधिकार के मुद्दे पर आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ता आगामी 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन शुरू करेंगे.

चाईबासा के पहले पाकुड़ और धनबाद में आयोजित प्रेस वार्ताओं में सालखन ने कहा कि रेल रोको आंदोलन के जरिए हम भारत की जनगणना के फॉर्म में सरना आदिवासियों के लिए अलग से कोड का निर्धारण करने, राज्य में डोमिसाइल पॉलिसी को लागू करने, पलायन कर गए आदिवासियों एवं मूलवासियों को जमीन देने, रोजगार मुहैया कराने सहित अन्य मांगों को लेकर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाएंगे.

आदिवासी सेंगल अभियान ने पिछले 17 जनवरी से मारंग बुरु बचाओ भारत यात्रा शुरू की है. सालखन मुर्मू ने कहा कि हमने पांच राज्यों के 50 जिला मुख्यालयों पर विरोध रैलियां आयोजित की हैं. अब तक किसी भी सरकारी एजेंसी ने हमारी मांगों को नहीं सुना है इसलिए हम अब रेल और सड़क जाम करने का विवश हैं.

गौरतलब है कि झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी को लेकर बीते दो महीने से विवाद गहरा उठा है. यह देश-दुनिया के जैन धर्मावलंबियों का भी सर्वोच्च तीर्थ स्थल है और इसे वे सम्मेद शिखर और शिखरजी के नाम से जानते हैं. इसे जैन तीर्थस्थल बनाए रखने की मांग को लेकर दिसंबर-जनवरी में जैनियों ने देश-विदेश के कई शहरों में प्रदर्शन किया था. इसके बाद बीते 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने पारसनाथ को इको सेंसेटिव टूरिज्म सेंटर का दर्जा देने वाले अपने 2019 के नोटिफिकेशन में संशोधन किया है और यहां मांस-मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. झारखंड की राज्य सरकार ने इसे 2021 की अपनी पर्यटन नीति में धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है. दूसरी तरफ आदिवासी इस पहाड़ी को मरांग बुरू (देवता की पहाड़ी) के रूप में जानते हैं और यहां सदियों से अपनी परंपराओं के अनुसार पूजा करते रहे हैं। अब वे इस पहाड़ी पर पूरी तरह अपना अधिकार मांग रहे हैं.

इनपुट-आईएएनएस

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