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Parasnath Controversy: पारसनाथ पर पूर्व सांसद ने दी पूर्वी राज्यों में चक्का जाम की चेतावनी, कहा- आदिवासियों को बेवकूफ बना रहा है सोरेन परिवार

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Published : Feb 6, 2023, 10:03 PM IST

Updated : Feb 7, 2023, 9:32 AM IST

Former MP salkhan murmu
पूर्व सांसद सालखन मुर्मू

गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ को बचाने का संकल्प लेकर मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा निकाली गई है. यात्रा पर निकले सालखन मुर्मू ने कहा है कि अगर उनकी मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं हुई तो पूर्वी भारत के पांच राज्यों का चक्का जाम कर दिया जाएगा.

सालखन मुर्मू, पूर्व सांसद

धनबाद: पारसनाथ पहाड़ को बचाने की यात्रा पर निकले सेंगेल अभियान के सालखन मुर्मू धनबाद पहुंचे. उनकी यात्रा का नाम मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़) बचाओ भारत यात्रा है. यात्रा की शुरुआत जमशेदपुर से इसी माह 17 जनवरी से हुई है. यात्रा में सालखन के साथ सुमित्रा मुर्मू भी शामिल हैं. दुमका और गिरिडीह के बाद वो सोमवार को धनबाद पहुंचे यह यात्रा 28 फरवरी तक जारी रहेगी.

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अपनी यात्रा को लेकर सालखन मुर्मू ने पत्रकारों से कहा कि इसका नाम मरांग बुरु भारत यात्रा है. इसके तहत झारखंड समेत देश के अन्य राज्यों में आदिवासी बहुल इलाके में जनसभा का आयोजन किया जाएगा. आदिवासी समाज से कहा जाएगा कि पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का धार्मिक स्थल मरांग बुरु है. सेंगेल अभियान ने पारसनाथ पहाड़ को जैनियों के कब्जे से छुड़ाने का दृढ़ संकल्प लिया है. इस पर पहला अधिकार आदिवासियों का है. यह पहाड़ आदिवासियों के लिए राम मंदिर, स्वर्ण मंदिर, मक्का मदीना और वेटिकन सिटी जैसा है, जिसे हेमंत सरकार ने बेचने का काम किया है. भारत सरकार को यह लिखकर दिया इस पर सिर्फ जैनियों का अधिकार है.

इसके अलावा सालखन मुर्मू ने हेमंत सोरेन पर आदिवासियों का विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोग झारखंड की जनता को खतियान आधारित 1932 की नीति पर बरगला कर बेवकूफ बना रहे हैं. इससे अच्छा है कि प्रखंडस्तरीय नियोजन नीति लाई जाए और स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी दी जाए.

इसके अलावा इनकी मांगों में वर्ष 2023 के अंत तक सरना धर्म कोड को मान्यता देने, असम और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों को एसटी का दर्जा देने, झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने, देश के सभी पहाड़ व पर्वतों को आदिवासियों को सौंपने, आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार लाने समेत अन्य मांग शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि 14 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र प्रेषित कर इन मांगों के बारे में जानकारी दी गई है. मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं होने पर 11 फरवरी से तिलका मुर्मू की जयंती के अवसर पर पूर्वी भारत के पांच राज्यों में अनिश्चितकालीन रेल रोड चक्का जाम किया जाएगा.

Last Updated :Feb 7, 2023, 9:32 AM IST
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