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सरायकेला के इस गांव में है चेचक की बीमारी का कहर, दो लोगों की मौत के बाद जागा स्वास्थ्य महकमा

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Published : Jan 20, 2020, 10:34 AM IST

सरायकेला-खरसावां के बनेरडीह गांव में लोग चेचक की बीमारी की दहशत में जीने को विवश हैं. यहां के लोग लगातार इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. वहीं, बीमारी से ग्रसित लोगों के स्वास्थ्य की समुचित जांच भी की जा रही है. इधर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों को संपूर्ण स्वच्छता अपनाने और सावधानी बरतने संबंधित जानकारियां प्रदान की है.

Banaradeh village in Seraikela is suffering from smallpox
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सरायकेला: जिले के चमारु पंचायत के बनेरडीह गांव में पिछले कुछ महीनों से चेचक बीमारी का जबरदस्त प्रकोप है. आलम यह है कि एक-दो नहीं बल्कि अधिकांश ग्रामीण इस बीमारी की चपेट में हैं. जबकि इससे पूर्व इसी गांव के पड़ोस में झापड़ागुड़ा गांव में चेचक की बीमारी से दो लोगों की मौत तक हो चुकी है. इधर अब जब इस बीमारी ने विकराल रूप धारण किया है, तब जिला स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी.

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ग्रामीण बताते हैं कि बीते अक्टूबर महीने से ही बनेरडीह और पड़ोसी गांव झापड़ागुड़ा में चेचक की बीमारी ने अपना पांव पसार रखा है. लोग लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं, जबकि अब तक बीमारी फैलने के मुख्य कारणों का पता नहीं चल सका है. बीमारी के विकराल रूप धारण करने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग जांच टीम गठित कर ग्रामीण और गांव की जांच कर रही है.

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प्रदूषित पानी को माना जा रहा है कारण
विकराल रूप धारण कर रहे बीमारी के मुख्य कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है, हालांकि ग्रामीण मानते हैं कि गांव के तालाब से ही संक्रमण फैला है. जिसमें नहाने वाले लोग इसके संपर्क में आकर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इधर गांव और आसपास के क्षेत्र में समुचित जल की व्यवस्था नहीं की गई है. नतीजतन ग्रामीण तालाब में ही स्नान करते हैं और कुंए का पानी पीते हैं, इधर इस विकराल हो रहे बीमारी के भयानक नतीजे आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम रोजाना क्षेत्र का भ्रमण कर गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है. इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों को सचेत किया है कि वे न ही तालाब में स्नान करें और न ही कुंए का पानी पिए, डॉक्टरों की टीम ने ग्रामीणों को सलाह दी है कि वे बोरवेल या चापाकल का ही पानी प्रयोग में लाएं.

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तीन लोग हैं बीमारी से पूरी तरह ग्रसित
चेचक की बीमारी के फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग जांच अभियान चला रहा है. इस बात का खुलासा हुआ है कि बनेरडीह गांव के 3 लोग अब भी भयंकर रूप से बीमारी की चपेट में हैं. जिन्हें स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत रेस्क्यू कर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा दिया है. वहीं, बीमारी से ग्रसित लोगों के स्वास्थ्य की समुचित जांच भी की जा रही है, इधर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों को संपूर्ण स्वच्छता अपनाने और सावधानी बरतने संबंधित जानकारियां प्रदान की है.

लापरवाही से बीमारी ने लिया महामारी का रूप
पिछले 5 महीनों से गांव में लगातार मिल रहे चेचक के मरीजों की संख्या में सिर्फ बढ़ोतरी इस कारण हुई, क्योंकि स्थानीय स्वास्थ्य सहिया ने क्षेत्र में लोगों को जागरूक नहीं किया और न ही जिला स्वास्थ्य विभाग को बीमारी फैलने की जानकारी दी. जांच कर रहे स्वास्थ्य विभाग कर्मियों ने अब मरीजों का डेटाबेस तैयार कर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को रिपोर्ट सुपुर्द करने की बात कही है. अब इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहें या लोगों में जागरूकता की कमी जिसके कारण 2 लोगों को जान तक गंवानी पड़ी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग नींद से जागा, फिर भी देर आए लेकिन दुरुस्त आए वाली बात ही सही साबित हो रही है, नतीजतन अन्य लोग अब शायद इसके चपेट से बचेंगे.

Intro:सरायकेला खरसावां जिले का बनेरडीह गांव अब एक ऐसे गांव के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है , जहां दूसरे गांव के लोग आना नहीं चाहते, यहाँ तक कि रिश्तेदार भी शादी विवाह जैसे आयोजन में इस गांव में जाना नहीं चाह रहे हैं , तो वहीं दूसरी ओर इस गांव के लोगों को कोई बुलाना नहीं चाह रहा, कारण साफ है चेचक बीमारी जिसके दहशत में लोग जीने को विवश हैं।

Body:सरायकेला - खरसावां जिले के चमारु पंचायत के बनेरडीह गांव में विगत कुछ महीनों से चेचक बीमारी का जबरदस्त प्रकोप है ,आलम यह है कि एक-दो नहीं बल्कि अधिकांश ग्रामीण इस बीमारी के चपेट में है. जबकि इससे पूर्व इसी गांव के पड़ोस में झापड़ागुड़ा गांव में चेचक बीमारी से दो लोगों की मौत तक हो चुकी है, इधर अब जब इस बीमारी ने विकराल रूप धारण किया है, तब जिला स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया है।
ग्रामीण बताते हैं कि बीते अक्टूबर महीने से ही बानेरडीह और पड़ोसी गांव झापड़ागुड़ा में चेचक बीमारी ने अपना पांव पसार रखा है, लोग लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं . जबकि अब तक बीमारी फैलने के मुख्य कारणों का पता नहीं चल सका है, बीमारी के विकराल रूप धारण करने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग जांच टीम का गठित कर ग्रामीण और गांव की जांच कर रही है।

प्रदूषित पानी को माना जा रहा है कारण

विकराल रूप धारण कर रहे बीमारी के मुख्य कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है, हालांकि ग्रामीण मानते हैं कि गांव के तालाब में ही संक्रमण फैला है , जिसमें नहाने वाले लोग इसके संपर्क में आकर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं .इधर गांव और आसपास के क्षेत्र में समुचित जल की व्यवस्था नहीं की गई है . नतीजतन ग्रामीण तालाब में ही स्नान करते हैं और कुए का पानी पीते हैं, इधर इस विकराल हो रहे बीमारी के भयानक नतीजे आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम रोजाना क्षेत्र का भ्रमण कर गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है, इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों को सचेत किया है कि वे ना ही तालाब में स्नान करें और ना ही कुए का पानी पिए, डॉक्टरों की टीम ने ग्रामीणों को सलाह दिया है कि वे बोरवेल या चापाकल का ही पानी प्रयोग में लाएं।

तीन लोग हैं बीमारी से पूरी तरह ग्रसित।

चेचक बीमारी के फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे जांच अभियान में इस बात का खुलासा हुआ है कि बानेरडीह गांव के 3 लोग अब भी भयंकर रूप से बीमारी की चपेट में हैं , जिन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा अविलंब रेस्क्यू कर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया . वहीं बीमारी से ग्रसित लोगों के स्वास्थ्य की समुचित जांच भी की जा रही है, इधर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों को संपूर्ण स्वच्छता अपनाने और सावधानी बरतने संबंधित जानकारियां प्रदान की है।

लापरवाही से बीमारी ने लिया महामारी का रूप।

विगत 5 महीनों से गांव में लगातार मिल रहे चेचक बीमारी के मरीजों किस संख्या में सिर्फ बढ़ोतरी इस कारण हुई क्योंकि स्थानीय स्वास्थ्य सहिया ने क्षेत्र में लोगो को जागरूक नहीं किया और ना ही जिला स्वास्थ्य विभाग को बीमारी फैलने की जानकारी दी ,जांच कर रहे स्वास्थ्य विभाग कर्मियों ने अब मरीजों का डेटाबेस तैयार कर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को रिपोर्ट सुपुर्द करने की बात कही है।Conclusion:अब इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहें या लोगों में जागरूकता की कमी जिसके कारण 2 लोगों को जान तक गंवानी पड़ी , जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग नींद से जागा फिर भी देर आए लेकिन दुरुस्त आए वाली बात ही सही साबित हो रही है, नतीजतन अन्य लोग अब शायद इसके चपेट से बचेंगे।


बाइट - पीड़ित ग्रामीण, बनेरडीह गांव।


बाइट - पीड़ित परिवार की महिला , बनेरडीह गांव।


बाइट - डॉ दिलीप सिन्हा , स्वास्थ्य विभाग, सरायकेला
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