ETV Bharat / state

झारखंड के सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में शिक्षकों को अंग्रेजी से लगता है डर! बच्चों को पढ़ाने में हो रही परेशानी

author img

By

Published : Jul 21, 2023, 6:06 PM IST

Updated : Jul 21, 2023, 6:36 PM IST

झारखंड के सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के शिक्षकों और बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई से परेशानी हो रही है. सालों से हिंदी मीडियम में पढ़ाई करा रहे इन स्कूलों में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बना सीबीएसई बोर्ड के माध्यम से पढ़ाई शुरू की गई है. जिस कारण अंग्रेजी मीडियम में सभी को पढ़ना और पढ़ाना पड़ रहा है.

CM School of Excellence
CM School of Excellence

देखें पूरी खबर

रांची: झारखंड में बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ाई करने में परेशानी तो होती ही है, गुरुजी को भी अंग्रेजी से डर लगता है. अंग्रेजी मीडियम में बच्चों को पढ़ाने में गुरुजी की हालत खराब हो जा रही है. हो भी क्यों ना, कल तक जिस स्कूल में बच्चों को हिंदी मीडियम में पढ़ाया जाता था, उसे अचानक से इंग्लिश मीडियम में कर दिया जाए, तो कठिनाई तो होगी हीं. यह मामला झारखंड सरकार के सबसे महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का है.

यह भी पढ़ें: लालफीताशाही ने उड़ा दी हेमंत के सपनों की बुनियाद, सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस नहीं है एक्सीलेंट, अभिभावकों के आरोप- खतरे में छात्रों की जान

दरअसल, राज्य सरकार ने निजी स्कूलों के तर्ज पर राज्यभर में 80 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत की है. इन स्कूलों में शैक्षणिक माहौल अंग्रेजी माध्यम से हो, इसकी व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है. मगर हकीकत यह है कि चरणबद्ध तरीके से नर्सरी से लेकर प्लस टू के विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने में गुरुजी खुद परेशान हो रहे हैं. अंग्रेजी माध्यम से तैयार गणित के प्रश्न उन्हें उलझन में डाल रहे हैं. अपने कैरियर की शुरुआत में कभी एकक नियम पढ़कर आए इन गुरुजी को एनसीईआरटी की इंग्लिश किताब में छपे प्रश्न समझ में नहीं आ रहे हैं. इसी तरह विज्ञान के शिक्षकों का भी हाल है. सालों से जो शिक्षक हिंदी मीडियम में पढ़ा रहे थे, उन्हें अचानक से अब इंग्लिश मीडियम में पढ़ाना पढ़ रहा है.

शिक्षक अपना रहें शार्टकट रास्ता: इंग्लिश मीडियम की वजह से परेशान ये शिक्षक शार्टकट रास्ता अपनाकर बच्चों के बीच अपनी इज्जत बचाने में जुटे हैं. राजधानी रांची के सबसे प्रतिष्ठित विद्यालय में पढ़ा रहे दिलीप कुमार सिंह कहते हैं कि वे गणित की हिंदी मीडियम की किताब बाजार से खरीदकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं और बच्चों को भी इसे खरीदने की उन्होंने सलाह दी है, जिससे वो सवालों को समझ सके.

सीबीएसई से जैक बोर्ड जाने की इच्छा जता रहे हैं विद्यार्थी: क्वालिटी एजुकेशन की दिशा में सरकार के द्वारा की गई इस पहल के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बच्चों ने स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में एडमिशन लिया है. सीबीएसई माध्यम से पढ़ाई कर रहे इन बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई बोझ लगने लगा है. मास्टर साहब के साथ-साथ अंग्रेजी से परेशान विद्यार्थी भी आये दिन स्कूल में शिक्षकों को जैक बोर्ड में वापस जाने की इच्छा जताते रहते हैं.

यह भी पढ़ें: CM School of Excellence में बड़ी गड़बड़ी, बिना टेस्ट लिए ही कर लिया गया बच्चों का एडमिशन, अब छात्रों को भेजा जा रहा दूसरे स्कूल

'धीरे-धीरे हो जाएंगे अभ्यस्थ': हालांकि कुछ वैसे बच्चे जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से दूसरे स्कूल में पढ़ाई की है, उनके लिए ये कोई परेशानी नहीं है. मगर, शिक्षकों द्वारा निजी स्कूलों जैसा पढ़ाई के तौर तरीके का अभाव इन स्कूलों में देखा जा रहा है. आठवीं वर्ग में अंग्रेजी माध्यम से गणित और विज्ञान की पढ़ाई कर रहे छात्र देवानंद और कपिलदेव बताते हैं कि अंग्रेजी में लिखे गणित के सवालों को किसी तरह पढ़ तो लेते हैं, मगर इसे समझ नहीं पाते हैं. स्कूल प्राचार्या करम सिंह महतो के अनुसार चूंकि अधिकांश बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से आए हैं, इस वजह से मीडियम को लेकर परेशानी है. मगर वो धीरे-धीरे अभ्यस्त हो जायेंगे. वैसे भी शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार 2031-32 में पूरी तरह से वर्ग वन से प्लस टू तक की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से कराने की तैयारी है. फिलहाल हिंदी और अंग्रेजी माध्यम अलग-अलग वर्गों के लिए शैक्षणिक वर्ष के अनुसार निर्धारित किए गए हैं.

Last Updated :Jul 21, 2023, 6:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.