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10 साल में ही कबाड़ बन गई रांची सिटी बस, फिर खरीदी की बनाई जा रही योजना

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Published : Jan 29, 2022, 2:27 PM IST

राजधानी रांची में ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखने के साथ साथ आमलोगों को बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिले. इसको लेकर साल 2009 में 200 बसों की खरीदारी की गई. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में 160 बसें कबाड़ में तब्दील हो गई है. हालांकि, निगम प्रशासन फिर दो सौ नई बस खरीदने की योजना बना रही है.

Ranchi city buses
10 साल में ही कबाड़ बन गई रांची सिटी बस

रांचीः राजधानी रांची में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर सुविधा हो. इसको लेकर रांची नगर निगम ने भारत सरकार की जेएनएनयूआरएम योजना के तहत सिटी बसों की खरीदारी की. सिटी बसें सड़कों पर दौड़ी तो शहरवासियों को काफी सहुलियत मिला. लेकिन, निगम प्रशासन ने सिटी बसों की मेंटेनेंस की व्यवस्था नहीं की. स्थिति यह हुआ की एक-एक कर बसे खराब होती चली गई. यह खराब बसें बकरी बाजार स्थित नगर निगम परिसर में कबाड़ बनकर खड़ी है. अब पुरानी बसों को दुरुस्त करने के बदले नयी बस खरीदने की योजना बनाई जा रही है.

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जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना(जेएनएनयूआरएम) के तहत साल 2009 में करीब 15 करोड़ में 200 सिटी बसों की खरीद की गई थी. सिटी बसों के उद्घाटन समारोह में दावा किया गया था कि इन बसों से आम जनता को सस्ती परिवहन का विकल्प मिलेगा. इसके साथ ही ट्रैफिक पर भार भी कम पड़ेगा. लेकिन एक दशक में ही 160 सिटी बसें कबाड़ में तब्दील हो गयी है और सिर्फ 40 बसें बसें ही राजधानी की सड़कों पर दौड़ रही है, वह भी कब बंद हो जाये कहना मुश्किल है.

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रांची के सुनील कुमार यादव कहते हैं कि रांची में निजी बस ऑपरेटरों की लॉबी है. इस लॉबी ने सिटी बसों के परिचालन को सफल नहीं होने दिया. उन्होंने कहा कि नगर निगम के पास बस परिचालन को लेकर संसाधन नहीं था और निजी बस संचालकों का लॉबी औने पौने दाम पर लेकर चलाना चाहता है. इसका परिणाम यह हुआ कि धीरे धीरे बसें खराब होती चली गयी.

करोड़ों रुपये में खरीदी गई पुरानी बसों को दुरुस्त करने के बदले अब फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने के नाम पर नई और अत्याधुनिक 200 बसें खरीदने की योजना बनाई जा रही है. रांची नगर निगम के मेयर आशा लकड़ा कहती है कि राजधानी के लोगों को बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिले. इसको लेकर 21वीं सदी के अनुरूप बसों की खरीदारी की जाएगी. उन्होंने कहा कि पुरानी सिटी बस कबाड़ में तब्दील है. इसका जिम्मेदार निगम नहीं बल्कि JTDC है. उन्होंंने कहा कि निगम को सिटी बस के रूप में खटारा ही मिली थी.


पूर्व नगर विकास मंत्री सह विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि राजधानीवासियों की मानसिकता पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर सिटी बस को स्वीकार नहीं रही है. सिटी बसों में सवारी नहीं मिलता तो घाटे का सौदा हो जाता है. इसकी वजह से प्राइवेट वेंडर सिटी बस चलाना नहीं चाहते थे. अब स्थिति बदल गई है. उन्होंने कहा कि धीरे धीरे बदलाव हुआ है और राजधानी में सिटी बसें भी सफलतापूर्वक चलेगी.

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