बगैर ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने के फैसले पर उठ रहे सवाल, जानिए सरकार ने क्यों लिया फैसला

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Published : Oct 13, 2022, 10:43 PM IST

Municipal Elections without OBC reservation
Municipal Elections without OBC reservation ()

राज्य में नगर निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच ओबीसी आरक्षण (Municipal Elections without OBC reservation) को लेकर ओबीसी समाज काफी नाराज है. ओबीसी समाज हेमंत सरकार के बगैर ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने के फैसले का विरोध कर रहा है. हेमंत सरकार के फैसले के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं.

रांची: झारखंड सरकार के द्वारा अगले साल बगैर ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव (Municipal Elections without OBC reservation) कराने के फैसले से ओबीसी समाज बेहद नाराज है. पंचायत चुनाव के बाद नगर निकाय चुनाव में भी ओबीसी की सीट को सामान्य घोषित कर चुनाव कराने के निर्णय के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं. एक तरफ राज्य सरकार सरकारी नौकरियों में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने की कवायद कर रही है. वहीं, दूसरी ओर नगर निकाय चुनाव में सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए ओबीसी आरक्षण का प्रावधान समाप्त कर दिया जाता है.

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दरअसल, सरकार के इस फैसले के पीछे कई वजह हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप सरकार ट्रिपल टेस्ट कराने से फिलहाल परहेज कर रही है. जिसके पीछे राजनीतिक कारण हैं. झारखंड में ओबीसी की आबादी बड़ी है जो सामाजिक आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत है. सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराने में लगने वाले समय का हवाला देकर इस बार भी वही निर्णय लिया है जो पंचायत चुनाव के वक्त लिया था.

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ओबीसी आरक्षण मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव का मानना है की पंचायत चुनाव में लगभग 60 फीसदी आबादी वाले ओबीसी वर्ग को आरक्षण से वंचित कर सामान्य श्रेणी में रखा गया और अब निकाय चुनाव में ओबीसी को फिर आरक्षण के लाभ से रोका गया है. हेमंत सरकार पिछड़ा विरोधी है और हमेशा ओबीसी को अपमानित करने और छलने का काम किया है. इधर विपक्षी दल भाजपा को भी इस बहाने सरकार को घेरने का मौका मिल गया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने हेमंत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि पिछड़ा विरोधी इस सरकार को खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

नगर निकाय चुनाव तैयारी में जुटा निर्वाचन आयोग: राज्य सरकार के इस फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग तैयारी में जुट गया है. आयोग के द्वारा हर जिले में विधानसभा की मतदाता सूची के विखंडन और नगर निकायों के लिए नए सिरे से मतदाता सूची बनाने का काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. राज्य में कुल 9 नगर निगम समेत 48 नगर निकायों का चुनाव होना है, जिसके लिए झारखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों के उपायुक्त को चिट्ठी भेजी है. राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारी के अनुसार अगले साल फरवरी-मार्च में सभी निकायों के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी है. गौरतलब है कि राज्य में एक दर्जन से ज्यादा नगर निकायों के चुनाव 2020 तक हो जाने चाहिए थे लेकिन, कोविड-19 के कारण यह टलता रहा.

इन नगर निकाय क्षेत्र में होने हैं चुनाव: राज्य में धनबाद, बोकारो, देवघर, मेदनीनगर, गढ़वा, पश्चिम सिंहभूम, गिरिडीह, कोडरमा, गोड्डा, गुमला, सरायकेला-खरसावां, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा जिला में पूर्ण चुनाव या उपचुनाव होना है. धनबाद, चास, देवघर में मेयर सहित पूरे वार्ड का चुनाव होंगे. गिरिडीह में मेयर और वार्ड संख्या 9 के पार्षद के लिए उपचुनाव होगा. चाईबासा नगर परिषद, मधुपुर नगर परिषद के अध्यक्ष के लिए मतदान होना है. इसके अलावा मझगांव कोडरमा विश्रामपुर महागामा चक्रधरपुर नगर परिषद का चुनाव होगा. इसके साथ-साथ रामगढ़ और सरायकेला में नगर पंचायत के वार्ड सदस्यों के लिए रिक्त पदों के भी चुनाव होंगे. राज्य सरकार ने मेयर और नगर परिषद अध्यक्ष का निर्वाचन दलीय आधार पर नहीं कराने का फैसला पहले ही ले चुकी है और डिप्टी मेयर और उपाध्यक्ष का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होंगे.

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