रांचीः झारखंड पुलिस की ओर से गिरफ्तार एक करोड़ के इनामी माओवादी प्रशांत बोस ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उसने बताया कि बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश हो या फिर छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में हमला हर साजिश का मास्टरमाइंड वही ही है. रविवार को झारखंड पुलिस के डीजीपी नीरज सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी से संबंधित सभी जानकारियां साझा की.
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महासागर जैसी मिली जानकारीः डीजीपी
झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने बताया कि प्रशांत बोस ने पूछताछ में जो जानकारियां दी हैं वे एक तरह से महासागर जैसी हैं यानी पुलिस को इतनी जानकारियां मिली हैं कि अगर उस पर काम किया जाए तो पूरे माओवाद का ढांचा ही खत्म किया जा सकता है. प्रशांत से मिली सूचनाओं का विश्लेषण किया जा रहा है. डीजीपी ने बताया कि प्रशांत बोस भाकपा माओवादी संगठन के जनक की भूमिका में था. पांच दशकों की सक्रियता के कारण बोस पर झारखंड, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, छतीसगढ़ समेत कई राज्यों में केस दर्ज हैं. बतौर सेकेंड इन कमांड देश के सारे बड़े कांडों को प्रशांत बोस ने मंजूरी दी है. प्रशांत बोस के खिलाफ झारखंड में 50 जबकि शीला मरांडी के खिलाफ 18 नक्सल कांड दर्ज हैं. डीजीपी ने बताया कि बिहार, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में प्रशांत बोस के खिलाफ दर्ज केस की जानकारी जुटाई जा रही है.
साल 2007 में जमशेदपुर के तत्कालीन झामुमो सांसद सुनील महतो की हत्या प्रशांत बोस के इशारे पर की गई थी. इसके बाद 9 जुलाई 2008 को बुंडू में तत्कालीन विधायक व पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या प्रशांत बोस ने कराई थी. इस हत्याकांड को कुंदन पाहन के दस्ते ने प्रशांत बोस के इशारे पर अंजाम दिया था. हत्याकांड में एनआईए को प्रशांत बोस की तलाश थी. इस केस में एनआईए ने प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी समेत अन्य उग्रवादियों को फरार बताते हुए चार्जशीट दाखिल किया था. जमशेदपुर के गुड़ाबंधा में नागरिक सुरक्षा समिति के एक दर्जन से अधिक सदस्यों की हत्या, चाईबासा के बलिवा के चर्चित कांड में पुलिसकर्मियों के सबसे बड़े नरसंहार में प्रशांत बोस की संलिप्तता थी.
एसडी कार्ड, पेन ड्राइव और मोबाइल खोलेगा माओवादियों के राज
एक करोड़ के इनामी माओवादी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा के रूप में झारखंड पुलिस को एक ऐसा तुरुप का पत्ता हाथ लगा है, जिसकी मदद से झारखंड पुलिस न सिर्फ झारखंड बल्कि देश के वैसे तमाम नक्सल प्रभावित इलाकों में होने वाले घटनाएं रोक सकती है. प्रशांत बोस समेत छह माओवादियों की गिरफ्तारी के बाद छानबीन में पुलिस को चार मोबाइल फोन, दो एसडी कार्ड, एक पेन ड्राइव मिले हैं. इसके अलावा इन सभी उपकरणों में पूरे संगठन का खाका मौजूद है. संगठन में कौन किस पद पर है, कितने लोग काम कर रहे हैं और कहां काम कर रहे हैं, उनके मददगार कौन हैं. यह सभी जानकारियां इन उपकरणों में हैं. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने बताया कि पुलिस की कई टीम इन उपकरणों को खंगाल रही हैं.