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अंतिम सांस तक पारसनाथ में रहना चाहता था एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत, आपसी विवाद में छोड़ना पड़ा पहाड़

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Published : Nov 14, 2021, 10:40 AM IST

Big blow to Naxalites due to arrest of CPI-Maoist Prashant Bose
अंतिम सांस तक पारसनाथ में रहना चाहता था एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत

रांची पुलिस ने भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस (CPI-Maoist Prashant Bose) को उसकी पत्नी के साथ गिरफ्तार किया है. इससे नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है. गिरफ्तार प्रशांत से गहन पूछताछ की जा रही है. पुलिस की पूछताछ में संगठन से जुड़ी कई जानकारियां मिली है, जिसपर पुलिस आगे की कार्रवाई की योजना बना रही है.

रांचीः भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस(CPI-Maoist Prashant Bose) अपने जीवन के अंतिम पल तक पारसनाथ की पहाड़ियों में ही गुजारना चाहता था, लेकिन आपसी विवाद ने उसके इस सपने को चकनाचूर कर दिया. अब नक्सली प्रशांत बोस और उसकी पत्नी शीला मरांडी पुलिस की गिरफ्त में हैं और दोनों से गहन पूछताछ की जा रही है.

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पारसनाथ से निकला था संगठन में एकता बनाने

हाल के दिनों में माओवादी संगठन में बाहरी-भीतरी की लड़ाई तेज हो गई थी. प्रशांत बोस इससे काफी परेशान था. प्रशांत का मानना था कि जल्द ही इस विवाद का समाधान नहीं हुआ, तो झारखंड में माओवादियों का नामो निशान खत्म हो जाएगा. इन्हीं सब वजहों से वह पारसनाथ से बाहर निकला था, ताकि संगठन के प्रमुख कमांडरों के साथ बैठक कर समस्या को सुलझाया जा सके.


भीमबांध में होनी थी देशभर के माओवादियों की बैठक

भाकपा माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद संगठन की भावी योजनाओं को लेकर कई खुलासे हुए है. गिरफ्तारी के बाद प्रशांत बोस, शीला मरांडी को अलग अलग रखकर पूछताछ की की गई है. पुलिस को पूछताछ से जानकारी मिली है कि देशभर के माओवादियों की बैठक मुंगेर जिले के भीमबांध में होनी थी. भीमबांध में बैठक की तैयारियों को लेकर प्रशांत बोस लगातार दौरा कर रहा था. पुलिस अधिकारी सूत्रों ने बताया कि हाल के दिनों में कोल्हान के बदले प्रशांत बोस पारसनाथ के इलाके में रह रहा था. उन्होंने बताया कि प्रशांत बोस ने भीमबांध की बैठक को लेकर मुंगेर का लगातार दौरा किया था. भीमबांध की बैठक में माओवादियों के चीफ नंबला केशव राव सहित सभी पोलित ब्यूरो सदस्यों को शामिल होना था. बता दें कि झारखंड से प्रशांत बोस के अलावे पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा है. प्रशांत बोस और शीला मरांडी की गिरफ्तारी के बाद भाकपा माओवादी संगठन के भावी योजनाओं और संगठनों की एक्टिविटी से संबंधित पहलुओं पर पुलिस के आलाअधिकारी पूछताछ कर रहे हैं.

माओवादी को 20 सालों में सबसे बड़ा झटका
देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस और शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ा झटका है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी ना पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था और ना ही मारा ही गया था. साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर था. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों का प्रोटेक्शन दस्ते की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था, जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था. इतना ही नहीं, तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए उनके लिए पालकी की व्यवस्था की गई थी.

पांच दशक से था सक्रिय

भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड और बिहार में सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में काम किया. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों की पुलिस के साथ साथ केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.


बंगाल से आकर कैसे बनायी जमीन

पश्चिम बंगाल में नक्सलवाड़ी आंदोलन के बाद झारखंड में महाजनों के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू हो गया था. इसी दौर में गिरिडीह में प्रशांत बोस आया. इस दौरान मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल जैसे बड़े नक्सली का साथ प्रशांत बोस को मिला. 70 से 90 के दशक तक प्रशांत बोस इसी इलाके में रहते थे और आंदोलन से ही जुड़ी धनबाद के टुंडी की शीला मरांडी से शादी की. इसके बाद बिहार के गया और औरंगाबाद इलाके में सक्रियता बढ़ गई. 90 के दशक के अंत में ही चाईबासा के सारंडा, जमशेदपुर के गुड़ाबंधा, ओडिशा के मयूरभंज जैसे इलाकों में भी प्रशांत बोस ने संगठन को खड़ा किया.

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