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Year Ender: वर्ष 2022 में झारखंड हाई कोर्ट के कठघरे में हांफती रही राज्य सरकार, कई बार लगी फटकार

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Published : Dec 28, 2022, 12:02 PM IST

Updated : Dec 28, 2022, 3:33 PM IST

वर्ष 2022 में झारखंड हाई कोर्ट के कठघरे में राज्य सरकार हांफती नजर आई (Jharkhand government in high court in 2022). माइनिंग लीज मामला हो या फिर रिम्स की लचर व्यवस्था सभी मामलों में हाई कोर्ट में सरकार की किरकिरी हुई. कई सरकारी अधिकारियों को फटकार भी लगी. कुछ ऐसे मुद्दों को भी हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया, जिससे आम लोगों का सीधा जुड़ाव था.

Jharkhand High Court
झारखंड हाईकोर्ट

रांची: साल 2022 में झारखंड हाई कोर्ट में राज्य सरकार से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हुई (Jharkhand government in high court in 2022). इस दौरान राज्य सरकार के बड़े-बड़े आईएएस अधिकारी, मंत्री और मुख्यमंत्री हांफते नजर आए. खनन पट्टा मामला हो या फिर सेल कंपनी के माध्यम से निवेश. इन दोनों मामलों को लेकर मई माह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री पर भी कई सवाल खड़े हुए थे.

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हालांकि, इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में खनन पट्टा पर चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी. इसके अलावा झारखंड सरकार के आईएएस पूजा सिंघल भी चर्चा का विषय बनी रही. आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी. इसके बाद भी राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए थे.

झारखंड हाई कोर्ट द्वारा सरकार को कई चीजों पर फटकार भी लगाई गई. संविदा पर नियुक्त हुए कर्मचारियों में 10 साल से अधिक काम करने वाले लोगों को नियमित करने का आदेश दिया. इसके साथ ही हमेशा चर्चा में रहने वाली जेपीएससी को लेकर भी हाई कोर्ट ने जेपीएससी की सातवीं परीक्षा का विवरण 3 सप्ताह के अंदर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया.

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए निर्धारित समय सीमा में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया. हाई कोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार द्वारा वर्षों से एक ही जगह पर काम कर रहे पदाधिकारियों को स्थानांतरित कर उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई. वहीं, साहिबगंज से कटिहार जाने के लिए गंगा नदी के माध्यम से मालवाहक जहाज को संचालित करने के मामले में कटिहार कलेक्टर उदयन मिश्रा और साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव को तलब कर फटकार लगाई थी.

वर्ष 2022 के जून महीने में सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में साक्षात्कार में ढाई गुना अभ्यर्थियों को नहीं बुलाने के मामले पर भी झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई की. जून जुलाई माह में ही देवघर के चर्चित उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और अंचलाधिकारी को हाई कोर्ट में सशरीर पेश होने का निर्देश दिया. इस निर्देश के आलोक में रात 8:00 बजे देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर अंचलाधिकारी आनन-फानन में कोर्ट में पेश हुए थे.

हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार द्वारा केस मैनेज करने के लिये 50 लाख रुपये लेने का विषय भी चर्चा में रहा. हालांकि, अधिवक्ता राजीव कुमार को कुछ दिनों बाद जमानत मिल गई. लेकिन वर्ष 2022 में झारखंड हाई कोर्ट के महत्वपूर्ण केसों में से एक था.

हाई कोर्ट ने पुलिस विभाग को भी फटकार लगाई गई और हिदायत दी थी कि पुलिस का काम सिर्फ वीआईपी के पीछे दौड़ना नहीं है, बल्कि लोगों की सुरक्षा भी करना है. इसीलिए वीआईपी मूवमेंट के अलावा पुलिस आम लोगों की सुरक्षा पर भी ध्यान दे. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को भी कड़ी फटकार लगाई. गौरतलब है कि झारखंड हाई कोर्ट की ओर से वर्ष 2022 में कई मामलों पर संज्ञान लिया गया, जिसका लाभ लोगों को मिला. अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले साल 2023 में झारखंड हाई कोर्ट किन-किन महत्वपूर्ण मामलों पर राज्य सरकार के कार्यों पर संज्ञान लेती है, ताकि आने वाले समय में राज्य में रहने वाले लोगों को और भी बेहतर लाभ मिल सके.

Last Updated :Dec 28, 2022, 3:33 PM IST
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