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अंतहीन बना कांग्रेस का अंदरूनी कलह, जानिए क्या है वजह

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Published : Jan 10, 2023, 9:58 PM IST

झारखंड कांग्रेस इन दिनों अपनी ही पार्टी में लकह से जूझ रही है (Infighting in Jharkhand Congress). जिसे लेकर कांग्रेस एक बार फिर सुर्खियों में है. पार्टी के अंदर मचे घमासान को शांत करने की भरपूर कोशिश के बाद भी कोई हल नहीं निकल रहा है.

Infighting in Jharkhand Congress
मीटिंग करते कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेताओं के बयान

रांची: अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है (Infighting in Jharkhand Congress). पार्टी के अंदर मचा घमासान को शांत करने की कोशिश भले ही अनुशासन का डंडा चलाकर किया जा रहा हो, लेकिन इसका समाधान निकट भविष्य में निकलता हुआ नहीं दिख रहा है. लंबे समय के बाद वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रदेश कांग्रेस कमिटी का गठन कर पार्टी के अंदर उपजे असंतोष को शांत करने की कोशिश जरूर की, लेकिन पदों को लेकर भी विवाद बढ़ता चला गया.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की भाजपा नेता से होती है बात, जांच हो CDR: बागी कांग्रेस नेता

मीडिया के समक्ष अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को महासचिव आलोक दूबे जैसे पार्टी नेता चुनौती देने लगे. ऐसे में पार्टी ने गंभीरता दिखाते हुए अनुशासन समिति के जरिए आलोक दूबे, किशोरनाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता छोटू जैसे बागी को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर दी है. दरअसल, इस विवाद के पीछे लोगों को यह लग रहा होगा कि पीसीसी में मिले पद से असंतुष्टों की नाराजगी बढ़ी है, जबकि कारण कुछ और भी है.

कांग्रेस के अंदर जारी है गुटबाजी: कांग्रेस के अंदर गुटबाजी हमेशा से रही है. पिछले 10 साल का इतिहास देखें तो झारखंड कांग्रेस में बड़े नेताओं की गुटबाजी चरम पर रही है, जिस वजह से पार्टी को जितनी सफलता मिलनी चाहिए, वो पूरा नहीं हो पाता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय पर हमेशा संगठन से अलग होकर एक अलग संगठन चलाने का आरोप लगता रहा है. इसी तरह प्रदीप बलमुचू, सुखदेव भगत, डॉ अजय, डॉ रामेश्वर उरांव के कार्यकाल में भी पार्टी अंदरूनी कलह से जूझती रही. कांग्रेस दफ्तर में हुई हवाई फायरिंग हो या कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मारपीट की नौबत कांग्रेस भवन गवाह बनता रहा. आगे मिशन 2024 को लेकर राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा चल रही है. वहीं झारखंड में पार्टी के अंदर मचा घमासान ने केंद्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है.

राजेश ठाकुर के खिलाफ बयान के पीछे किसका हाथ: चुनाव नजदीक आते ही संगठन के अंदर और बाहर सुबोधकांत सहाय की सक्रियता बढ़ी है, जिसका फायदा पीसीसी गठन में उनके समर्थित कार्यकर्ताओं को मिले पद के रूप में है. सरकार में मंत्री पद को सुशोभित कर रहे डॉ रामेश्वर उरांव इन दिनों सांगठनिक गतिविधि से दूर दूर रह रहे हैं. डॉ रामेश्वर उरांव के बेहद नजदीक आलोक दूबे, किशोर शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू माने जा रहे हैं. पार्टी के अंदर इन नेताओं के द्वारा पीसीसी अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ बयान जारी करने के पीछे, पर्दे के पीछे से बड़े नेताओं का हाथ बताया जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का स्थान संगठन में नंबर दो पर माना जा रहा है, जिनकी सक्रियता से पार्टी के अंदर कुछ नेता अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

पार्टी में कलह के बीच झारखंड दौरे पर कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे: झारखंड से पार्टी की एकमात्र लोकसभा सांसद गीता कोड़ा कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हैं, लेकिन संगठन के लिए जो भूमिका होनी चाहिए. कहीं ना कहीं उससे वो दूर हैं. पिछले दिनों अमित शाह के चाईबासा दौरे के वक्त भाजपा में शामिल होने की चर्चा के बाद डैमेज कंट्रोल करने के लिए राजेश ठाकुर ने रांची आवास पर गीता कोड़ा से मुलाकात की थी. इन सबके बीच कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे झारखंड दौरे पर हैं, जिन्होंने ना केवल संगठन की मजबूती के लिए कठोर कदम उठाने के संकेत दिया है, बल्कि सरकार से समन्वय बनाकर कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करने की भी बात कही है.

कांग्रेस नेताओं के बयान

रांची: अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है (Infighting in Jharkhand Congress). पार्टी के अंदर मचा घमासान को शांत करने की कोशिश भले ही अनुशासन का डंडा चलाकर किया जा रहा हो, लेकिन इसका समाधान निकट भविष्य में निकलता हुआ नहीं दिख रहा है. लंबे समय के बाद वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने प्रदेश कांग्रेस कमिटी का गठन कर पार्टी के अंदर उपजे असंतोष को शांत करने की कोशिश जरूर की, लेकिन पदों को लेकर भी विवाद बढ़ता चला गया.

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मीडिया के समक्ष अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को महासचिव आलोक दूबे जैसे पार्टी नेता चुनौती देने लगे. ऐसे में पार्टी ने गंभीरता दिखाते हुए अनुशासन समिति के जरिए आलोक दूबे, किशोरनाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता छोटू जैसे बागी को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर दी है. दरअसल, इस विवाद के पीछे लोगों को यह लग रहा होगा कि पीसीसी में मिले पद से असंतुष्टों की नाराजगी बढ़ी है, जबकि कारण कुछ और भी है.

कांग्रेस के अंदर जारी है गुटबाजी: कांग्रेस के अंदर गुटबाजी हमेशा से रही है. पिछले 10 साल का इतिहास देखें तो झारखंड कांग्रेस में बड़े नेताओं की गुटबाजी चरम पर रही है, जिस वजह से पार्टी को जितनी सफलता मिलनी चाहिए, वो पूरा नहीं हो पाता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय पर हमेशा संगठन से अलग होकर एक अलग संगठन चलाने का आरोप लगता रहा है. इसी तरह प्रदीप बलमुचू, सुखदेव भगत, डॉ अजय, डॉ रामेश्वर उरांव के कार्यकाल में भी पार्टी अंदरूनी कलह से जूझती रही. कांग्रेस दफ्तर में हुई हवाई फायरिंग हो या कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मारपीट की नौबत कांग्रेस भवन गवाह बनता रहा. आगे मिशन 2024 को लेकर राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा चल रही है. वहीं झारखंड में पार्टी के अंदर मचा घमासान ने केंद्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है.

राजेश ठाकुर के खिलाफ बयान के पीछे किसका हाथ: चुनाव नजदीक आते ही संगठन के अंदर और बाहर सुबोधकांत सहाय की सक्रियता बढ़ी है, जिसका फायदा पीसीसी गठन में उनके समर्थित कार्यकर्ताओं को मिले पद के रूप में है. सरकार में मंत्री पद को सुशोभित कर रहे डॉ रामेश्वर उरांव इन दिनों सांगठनिक गतिविधि से दूर दूर रह रहे हैं. डॉ रामेश्वर उरांव के बेहद नजदीक आलोक दूबे, किशोर शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू माने जा रहे हैं. पार्टी के अंदर इन नेताओं के द्वारा पीसीसी अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ बयान जारी करने के पीछे, पर्दे के पीछे से बड़े नेताओं का हाथ बताया जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का स्थान संगठन में नंबर दो पर माना जा रहा है, जिनकी सक्रियता से पार्टी के अंदर कुछ नेता अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

पार्टी में कलह के बीच झारखंड दौरे पर कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे: झारखंड से पार्टी की एकमात्र लोकसभा सांसद गीता कोड़ा कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हैं, लेकिन संगठन के लिए जो भूमिका होनी चाहिए. कहीं ना कहीं उससे वो दूर हैं. पिछले दिनों अमित शाह के चाईबासा दौरे के वक्त भाजपा में शामिल होने की चर्चा के बाद डैमेज कंट्रोल करने के लिए राजेश ठाकुर ने रांची आवास पर गीता कोड़ा से मुलाकात की थी. इन सबके बीच कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे झारखंड दौरे पर हैं, जिन्होंने ना केवल संगठन की मजबूती के लिए कठोर कदम उठाने के संकेत दिया है, बल्कि सरकार से समन्वय बनाकर कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करने की भी बात कही है.

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