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आदिवासी महोत्सव के नाम पर विभूतियों का अपमान! छिन्न-भिन्न हो गया बिरसा मुंडा स्मृति पार्क, आयोजन पर सवाल, पढ़ें रिपोर्ट

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Published : Aug 12, 2023, 8:05 PM IST

Updated : Aug 12, 2023, 9:11 PM IST

विश्व आदिवासी दिवस पर रांची में हुए राजकीय कार्यक्रम पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. यह पूरा कार्यक्रम भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय सह पार्क में संपन्न हुआ. लेकिन कार्यक्रम के बाद पार्क को बदहाल छोड़ दिया गया है. इस कार्यक्रम के कारण पूरा पार्क छिन्न भिन्न हो गया है.

heavy damage to birsa munda museum park
heavy damage to birsa munda museum park

रांची: झारखंड सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस को बड़े धूमधाम से मनाया. दो दिवसीय महोत्सव में आदिवासी कला-संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा की झलकियां दिखी. शिक्षाविदों ने आदिवासी जीवन दर्शन, साहित्य, इतिहास पर मंथन किया. आदिवासी समाज के जीवन में कैसे बदलाव आए, इसपर चिंतन हुआ. दो दिन तक पुराना जेल रोड स्थित भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय सह पार्क गुलजार रहा. लेकिन आप अगर आज उस पार्क में चले जाएंगे तो शर्तिया तौर पर मायूसी हाथ लगेगी.

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दरअसल, कार्यक्रम के नाम पर शहीदों के सम्मान में बने बिरसा स्मृति पार्क को छिन्न-भिन्न कर दिया गया है. बेशकीमती फूलों के पौधे और कई पेड़ उखाड़ कर इधर उधर फेंक दिए गये हैं. महंगे गमले टूटे पड़े हैं. पार्क की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले हरे-भरे घास उजड़ गये हैं. भारी भरकम टेंट को सपोर्ट देने के लिए बेसमेंट में बनी पार्किंग की छत को ड्रिल कर नुकसान पहुंचाया गया है. ऐसा लग रहा है जैसे स्मृति पार्क से होकर कोई तूफान गुजरा हो.

heavy damage to birsa munda museum park
कार्यक्रम के दौरान पार्क का हिस्सा हुआ क्षतिग्रस्त

कौन करेगा नुकसान की भरपाई: सबसे खास बात है कि आदिवासी महोत्सव के इवेंट मैनेजमेंट के लिए दिल्ली की कंपनी एक्सिस कम्युनिकेशन को 5.95 करोड़ का टेंडर दिया गया था. अब सवाल है कि आयोजन के नाम पर करीब 130 करोड़ की लागत से विकसित पार्क सह संग्रहालय परिसर को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया गया है, उसकी भरपाई कौन करेगा. इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि आम तौर पर पब्लिक गैदरिंग का आयोजन मोरहाबादी मैदान में होता है. पिछले साल भी जनजातीय महोत्सव का आयोजन मोरहाबादी मैदान में ही हुआ था. इसके बावजूद एक सुसज्जित और सुव्यवस्थित पार्क में आयोजन क्यों किया है. खास बात है कि इस बारे में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. दरअसल, जब आदिवासी महोत्सव के लिए बिरसा मुंडा स्मृति पार्क को चुना गया था, तब आयोजन की तैयारियों को लेकर कल्याण विभाग, जिला प्रशासन समेत कई विभागों के अधिकारी आए दिन मुआयना करने पहुंचते थे.

heavy damage to birsa munda museum park
कार्यक्रम के दौरान टूटे पौधे

कार्यक्रम के लिए क्या-क्या बना था पार्क में: दरअसल, बिरसा स्मृति पार्क करीब 30 एकड़ में फैला हुआ है. आदिवासी महोत्सव के लिए मंच समेत करीब 22 हजार स्क्वायर फीट में मुख्य पंडाल बना था. इसके अलावा करीब साढ़े छह हजार स्क्वायर फीट एरिया में दो से तीन पंडाल बनाए गये थे. करीब 70 स्टॉल और खाने-पाने के लिए करीब छोटे-बड़े करीब आठ पंडाल बने थे. आप अनुमान लगा सकते हैं कि इतने बड़े क्षेत्र में लगाए गये हरे-भरे घास, पेड़-पौधे और गमलों के साथ क्या हुआ होगा.

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कार्यक्रम के दौरान पार्क का टूटा हिस्सा

क्या कहा आशा लकड़ा ने: इस मामले में भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री सह रांची की पूर्व मंत्री आशा लकड़ा ने पार्टी के कार्यक्रम के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं. उनकी ओर से बताया गया कि बिरसा मुंडा स्मृति पार्क को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया गया है, उसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. यह राज्य सरकार और प्रशासन की अदूरदर्शिता का नतीजा है. थोड़ी भी समझ होती तो एक पवित्र स्थल को इस तरह से क्षति नहीं पहुंचाई जाती.

प्रधानमंत्री मोदी ने किया था पार्क का उद्घाटन: अंग्रेजों के जमाने में भगवान बिरसा मुंडा का जिस पुराने जेल में निधन हुआ था, उसको तत्कालीन रघुवर सरकार और केंद्र सरकार की पहल पर संवारा गया. पीएम मोदी ने 15 नवंबर 2021 को भगवान बिरसा की जयंती पर इस पार्क सह संग्रहालय का ऑनलाइन उद्गाटन किया था. उसी दिन भगवान बिरसा की जयंती को पूरे देश में गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई थी. इस पार्क में राज्य के शहीद स्थलों और सरना स्थलों से मिट्टी लाकर डाली गई थी.

बिरसा स्मृति पार्क की लागत और खासियत: राजधानी में वीमेंस कॉलेज के पास मौजूद पुराना जेल को संग्रहालय सह स्मृति पार्क के रूप में विकसित करने की कवायद तत्कालीन रघुवर सरकार ने शुरू की थी. इसको विकसित करने के लिए सिंगल इंटरप्राइजेज समेत कई कंपनियों को काम दिया गया था. भगवान बिरसा मुंडा समेत तमाम शहीदों और विभूतियों की प्रतिमा स्थापित की गई. पूरे क्षेत्र को हरा-भरा बनाया गया. अंडरग्राउंड पार्किंग तैयार की गयी. जिस कमरे में भगवान बिरसा का निधन हुआ था उसको पुराने स्वरूप में विकसित किया गया. बच्चों के लिए पार्क बनाया गया. लेजर शो के लिए फव्वारा लगाया गया. इसको विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने करीब 104 करोड़ रु. खर्च किए. संग्रहालय को डेवलप करने और मेंटेनेंस के लिए केंद्र सरकार ने करीब 27 करोड़ रु. दिए.

अब सवाल है कि इस बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार है. आखिर किसके कहने पर इस स्थान पर कार्यक्रम के लिए चुना गया. अगर यह कार्यक्रम पिछले साल की तरह मोरहाबादी मैदान में हुआ होता तो इस तरह के सवाल उठने की नौबत ही नहीं आती. खास बात है कि कई टूटे कीमती गमलों को स्मृति पार्क से हटा दिया गया है. साफ ही लापरवाही पर लीपापोती शुरू हो गई है. अब देखना है कि सरकार इसको गंभीरता से लेती है या नजरअंदाज करती है. वैसे आम लोगों का तो यही कहना है कि इसपर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए.

Last Updated :Aug 12, 2023, 9:11 PM IST
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