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झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 को राज्यपाल ने लौटाया, कई प्रावधानों में बताईं त्रुटियां

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Published : Nov 22, 2022, 8:14 PM IST

राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 के प्रावधानों में त्रुटि बताते हुए पुर्वविचार के लिए वापस भेज दिया है (Governor returned Jharkhand Excise Amendment Bill). राज्यपाल ने कई बिंदुओ पर बिल में कमी बताई है. इसके बाद फिलहाल उत्पाद विधेयक 2022 ग्रहण लग गया है.

Governor Ramesh bais returned Jharkhand Excise Amendment Bill 2022
Governor Ramesh bais returned Jharkhand Excise Amendment Bill 2022

रांची: झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 को राज्यपाल रमेश बैस ने प्रावधानों में त्रुटि बताते हुए पुर्नविचार के लिए राज्य सरकार को वापस कर दिया है (Governor returned Jharkhand Excise Amendment Bill). विधेयक वापस भेजे जाने के बाद उत्पाद विधेयक 2022 पर फिलहाल ग्रहण लग गया है.

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झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 में कई कमियां बताते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने वापस कर दिया है. राज्यपाल ने विधेयक के जिन प्रावधानों पर आपत्ति जाहिर की है वो इस प्रकार है.


1. Section-7 के उपधारा- 3 में उड़नदस्ता का गठन का प्रावधान किया गया है, जबकि पूर्व से ही उत्पाद विभाग को आवश्यकतानुसार पदाधिकारियों के उड़नदस्ता, Task force, Mobile force आदि गठित करने की सम्पूर्ण शक्ति निहित है. अतः पुनः धारा-7 के उप धारा-3 जोड़े जाने का औचित्य नहीं है.


2. प्रश्नगत विधेयक में राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन निगम द्वारा संचालित अनुज्ञप्तियों के मामलों में निगम द्वारा अधिकृत एजेंसी एवं कर्मचारियों को असंवैधानिक कृत्यों के लिए उत्तरदायी माना गया है. वर्तमान में राज्य सरकार के लिए निर्धारित शराब के बिक्री के दुकान Beverage Corporation के माध्यम से चयनित एजेंसियों के द्वारा संचालित किये जाते हैं. प्रश्नगत प्रावधान से किसी भी प्रकार की अनियमितता पाये जाने पर एजेंसी के कर्मचारी जो उक्त बिक्री स्थल का संचालन करते हैं, उन्हें ही जवाबदेह माना जायेगा, जबकि यह सम्पूर्ण जवाबदेही संबंधित एजेंसी की होनी चाहिए तथा निगम के स्तर से नियमित रूप से इसका अनुश्रवण किया जाना भी आवश्यक है, किन्तु किये गये संशोधन से मात्र स्थानीय कर्मचारी ही असंवैधानिक कृत्यों के जबावदेही माने जायेंगे. यह व्यवस्था निगम के पदाधिकारियों को तथा एजेंसियों के उच्च पदाधिकारियों को अपराधिक/ असंवैधानिक कृत्यों से संरक्षण देने का प्रयास करने का कार्य देखा जा सकता है.


3. धारा-52 में नये प्रावधान जोड़ा गया है, जिसमें सजा के साथ मुआवजा भुगतान का भी प्रावधान किया गया है. विचारणीय है कि मुआवजा का भुगतान सजा से अलग यह व्यवस्था है. अतः उचित होगा कि सजा एवं मुआवजा के निर्धारण हेतु अलग-अलग धाराओं में प्रावधान किया जाय.
4. धारा-55 (A) में किये गये सजा के प्रावधान धारा-47 के प्रावधानों के अनुरूप रखा जाना उचित होगा. नई धाराएं 55(D) एवं 55 (E) के प्रावधानों को दंड प्रक्रिया संहिता के धारा-106 के आलोक में समीक्षा किया जाना अपेक्षित है.
5. वर्तमान में Beverage Corporation ही अनुज्ञप्तिधारी का कार्य कर रहा है. धारा-57 में अनुज्ञप्तिधारी अथवा उनके सेवक के कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. इन प्रावधानों में निगम के पदाधिकारियों को अलग करते हुए मात्र अधिकृत एजेंसी के स्थानीय कर्मचारियों के लिए असंवैधानिक कृत्यों के लिए उत्तरदायी माना गया है. स्पष्टतः इस प्रकार के वैधानिक संरक्षण से मूल अनुज्ञप्तिधारी निगम की जवाबदेही कम हो जाती है.

6. धारा-79 (IV) में 20 लीटर तक शराब के संग्रहण करने की स्थिति में स्वयं के बंध-पत्र पर आरोपित को अधिकारी के विवेक के अनुसार मुक्त किया जा सकता है. स्पष्टतः इस प्रावधान से यह अर्थ निकल सकता है कि 20 लीटर तक शराब कोई भी व्यक्ति अपने पास संग्रहित कर सकता है, जो उचित प्रतीत नहीं होता है.

7. सामान्यतः उत्पाद नीति एवं अधिनियम के प्रावधानों के संबंध में राजस्व पर्षद के स्तर से समीक्षा की जाती है, क्योंकि राजस्व पर्षद को उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत कतिपय शक्तियां प्रदत्त है. प्रश्नगत संशोधन विधेयक के मामलों में राजस्व पर्षद का कोई परामर्श लिया गया प्रतीत नहीं होता है.


8. राज्य में नये उत्पाद नीति लागू किये जाने के संबंध में विभाग द्वारा उत्पाद राजस्व में बढ़ोत्तरी के दावे किये गये थे, किन्तु प्रथम 6 माह में उत्पाद राजस्व में निरंतर ह्रास देखा जा रहा है. उत्पाद अधिनियम में विभागीय तथा निगम के पदाधिकारियों की सीधी जवाबदेही कम होने से अनुश्रवण और कमजोर होगा तथा अवैधानिक कृत्यों को बढ़ावा मिलने के साथ राजस्व में भी और ह्रास संभावित है.

इस तरह से राज्यपाल ने इस विधेयक के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने तथा अन्य राज्यों के इससे संबंधित प्रावधानों की समीक्षा कर, राजस्व पर्षद से मंतव्य प्राप्त कर विधेयक के प्रावधानों को संशोधित करने पर विचार करने हेतु राज्य सरकार को कहते हुए विधेयक को वापस लौटा दिया है.

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