रांचीः अभी झारखंड में कोरोना का संक्रमण भले ही पूरी तरह कमांड में हो (Corona in jharkhand). लेकिन आगे ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी इसको लेकर राजधानी के उन डॉक्टरों ने संदेह जताया है (Corona cases in Jharkhand). रांची में कोरोना टेस्टिंग के नोडल अधिकारी के रूप में सेवा दे रहे डॉ अखिलेश झा ने ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में आशंका जताई कि राज्य में 15 जनवरी के बाद संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं.
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15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच बढ़ सकते हैं कोरोना के केसः डॉ. अखिलेश झा ने कहा कि इसके पीछे वजह यह है कि अभी तक का अनुभव बताता है कि दुनिया के किसी हिस्से में कोरोना के केस बढ़ने के बाद पहले देश के कुछ राज्यों में केस बढ़ते हैं (Possibility of increasing of corona in Jharkhand). फिर उसके बाद दो से तीन सप्ताह बाद झारखंड में कोरोना का संक्रमण बढ़ने लगते हैं, इस बार भी ऐसी संभावना बनी हुई है. डॉ. अखिलेश झा के अनुसार एक और ठोस वजह यह है कि अभी समय छुट्टियों का है और इस सीजन में बड़ी संख्या में बाहर से लोग झारखंड लौटते हैं, ऐसे में संक्रमण बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि वैसे में कोरोना संक्रमित होने के बाद लक्षण उभरने में सात दिनों का समय लग ही जाता है. इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी.
स्वास्थ्य विभाग क्या तैयारी कर रहा है? इस सवाल के जवाब में डॉ. अखिलेश झा कहते हैं कि अगर ओमीक्रोन का नया सब वैरिएंट का संक्रमण बढ़ा तो इसका प्रसार तेजी से होगा. ऐसे में विभाग ने समय रहते संक्रमितों की पहचान और उन्हें आइसोलेट करने की योजना पर काम कर रहा है और रांची में ही कई कोरोना टेस्टिंग केंद्र खोले गए हैं. वहीं रांची में कोरोना टीकाकरण के नोडल अधिकारी डॉ. विमलेश सिंह कहते हैं कि झारखंड में कोरोना संक्रमण बढ़ने के खतरे के बीच अगर हम लोग इससे बचाव के प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन करें तो संभव है कि इस संभावित खतरे से बच जाएं.
डॉ. विमलेश सिंह ने कहा कि वैक्सीन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता चाहे वह वैक्सीन लेने की वजह से हो या हार्ड इम्युनिटी की वजह से उसका लाभ भी मिल सकता है और संक्रमण बढ़ने के बावजूद भी वह घातक नहीं होगा ऐसी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि जब से कोरोना के नए सब वैरिएंट बढ़ने का खतरा बढ़ा है तब से वैक्सीन का बूस्टर डोज लेने के लिए कोरोना टीकाकरण केंद्र पहुंचने वालों की संख्या भी बढ़ी है. उन्होंने माना कि अभी भी सिर्फ कोवैक्सिन ही उपलब्ध है. इसलिए बड़ी संख्या में लोग चाहकर भी कोविशील्ड या कॉर्बेवस का बूस्टर डोज नहीं ले पा रहे हैं.