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रांची से फाइलेरिया को भगाना है तो मुफ्त में दी जा रही दवा खाना है, डीसी ने किया अभियान का शुभारंभ

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Published : Aug 23, 2021, 4:45 PM IST

रांची को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए अभियान शुरू किया गया है. यह अभियान 23 अगस्त से 27 अगस्त तक चलेगा. पांच दिनों के अंदर लगभग 28 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

free filariasis Campaign
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रांची: झारखंड में मच्छर का प्रकोप ज्यादा है. मच्छर के काटने से मलेरिया और डेंगू समेत कई बीमारियां होती हैं जिनमें फाइलेरिया भी शामिल है. रांची को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए 23 अगस्त से अभियान शुरू हुआ है. पांच दिनों के भीतर रांची में कुल 27 लाख 93 हजार 252 लोगों को डाइ एथाईल कार्बेमेजीन साइट्रेट(DEC)की तीन गोली और एल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जाएगी. रांची के डीसी छवि रंजन ने खुद दवा खाकर लोगों से अभियान को सफल बनाने की अपील की है. उन्होंने शनिचरा उरांव नामक शख्स को भी दवा खिलाई.

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रांची को फाइलेरिया मुक्त करने का अभियान 23 अगस्त से 27 अगस्त तक चलेगा. अभियान के शुभारंभ के साथ ही मुफ्त में दवा वितरण का काम शुरू हो गया है. यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है. रांची के डीसी ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए 3231बूथ बनाए गए हैं, जहां स्वास्थकर्मी तत्परता के साथ लोगों को दवाएं मुहैया कराएंगे. इन दवाओं को दो साल से ऊपर की उम्र का कोई भी शख्स खा सकता है. सिर्फ गर्भवती महिला और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को इस दवा का सेवन करने से मना किया गया है.

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कहां मिलेगी फाइलेरिया की दवा

रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद प्रसाद ने कहा कि जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल, हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर, आंगनबाड़ी केंद्र पर बूथ बनाया गया है. इन जगहों पर जाकर लोग आसानी से दवा ले सकते हैं. सभी बूथों पर एएनएम,आंगनबाड़ी सेविका,सहिया की तैनाती की गई है ताकि कोई भी दवा खाने से वंचित ना रहे. साथ ही सभी स्वास्थ्य कर्मियों को यह निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामने दवा खिलाएं.

पांच दिवसीय इस कार्यक्रम के आखिरी 2 दिनों तक सभी स्वास्थ्य कर्मी जिले के प्रत्येक घर में जाकर लोगों को दवा खिलाने का काम करेंगे ताकि अगर कोई भी व्यक्ति बूथ तक नहीं पहुंच सका तो उन्हें भी दवा खिलाई जा सके.

सदर अस्पताल के अधिकारी डॉ आर एन प्रसाद बताते हैं कि फलेरिया एक वेक्टर जनित रोग (वीबीडी) है. यह मादा कुलेक्स नाम के मच्छर के काटने से होता है. इस मच्छर के काटने के बाद 5 से 15 साल के बीच किसी भी समय व्यक्ति फाइलेरिया नामक बीमारी की चपेट में आ सकता है. इस बीमारी के कारण पांव विकृत हो जाता है और व्यक्ति अपंग भी हो सकता है. इस बीमारी को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है. डॉक्टरों ने बताया कि दवाई का डोज उम्र के अनुपात के हिसाब से किया जा रहा है.

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अभियान की शुरूआत करते डीसी

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उम्र के हिसाब से डोज तय

  • 2 से 5 साल के बच्चे को डीईसी की 100 एमजी की एक गोली और एल्बेंडाजोल की 400 एमजी की एक गोली दी जाती है.
  • 5 से 14 साल तक के बच्चे को डीईसी की 100 एमजी की दो गोली, और एल्बेंडाजोल की 400 एमजी की एक गोली दी जाती है.
  • 14 से ऊपर उम्र के लोगों को डीईसी की 100 एमजी की तीन गोली और एल्बेंडाजोल की 400 एमजी की एक गोली दी जाती है.

सदर अस्पताल के मेडिकल अफसर आरएन प्रसाद बताते हैं कि फलेरिया के उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन साल में एक बार चलाया जाता है और इस तरह के कार्यक्रम लगातार पांच साल तक चलाए जाएंगे ताकि रांची को पूरी तरह से फलेरिया मुक्त किया जा सके. इसीलिए जरूरी है कि सरकार द्वारा चलाए गए इस कार्यक्रम में जिले के लोग ज्यादा से ज्यादा भागीदारी लें और रांची को स्वस्थ बनाने का काम करें.

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