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Palamu News: नक्सलियों को बीड़ी पत्ता ठेकेदारों से मिलने वाली लेवी बंद, चार महीने में वसूलते थे 70 करोड़

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Published : Jun 14, 2023, 1:49 PM IST

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Maoists Levy Stopped From Beedi Leaf Contractors

पलामू के इलाके में भाकपा माओवादियों को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाने की पुलिस की योजना सफल हो रही है. अब भाकपा माओवादियों को बीड़ी पत्ता के ठेकेदारों ने मिलने वाली लेवी लगभग बंद हो गई है. पूर्व में माओवादी इलाके से महज चार महीने में 70 करोड़ की लेवी वसूलते थे.

पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी को बीड़ी पत्ता (केंदु पत्ता) से मिलने वाली लेवी बंद हो गई है. हालांकि तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (TSPC)और झारखंड जनमुक्ति परिषद (JNP)के कुछ नक्सलियों को कुछ लेवी मिल रही है. पलामू प्रमंडल में पिछले तीन महीने के अंदर बीड़ी पत्ता से लेवी वसूलने के फिराक में आधा दर्जन से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. तीन अप्रैल को चतरा के लावालौंग में सुरक्षा बल के साथ हुए मुठभेड़ में माओवादियों के टॉप पांच कमांडर मारे गए थे, दरअसल, माओवादियों का दस्ता इलाके में बीड़ी पत्ता का व्यवसाय करने वालों से लेवी वसूलने के लिए रणनीति तय कर रहा था. एक सप्ताह पहले लातेहार-गुमला सीमा पर सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में माओवादी के दो कमांडर मारे गए थे. यह दोनों भी बीड़ी पत्ता व्यवसायियों से लेवी वसूलने की फिराक में थे.

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बीड़ी पत्ता ठेकेदारों से मिलनेवाली लेवी में आई कमीः चतरा के लावालौंग मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार माओवादी नंदकिशोर यादव उर्फ ननकुरिया ने पुलिस को बताया था कि 2022 में माओवादियों को बीड़ी पता से मिलने वाली लेवी 70 से 80 प्रतिशत कमी आई है. 2023 में बीड़ी पत्ता व्यवसायियों लेवी वसूलने के लिए योजना तैयार की जा रहा थी, लेकिन मुठभेड़ में मारे जाने के बाद लेवी मिलना बंद हो गया.

चार महीने में माओवादी वसूलते थे 70 करोड़ की लेवी: माओवादी मध्यजोन और कोयल शंख जोन से मार्च के अंतिम सप्ताह से मानसून के आगमन तक 70 करोड़ के आसपास लेवी वसूल लेते थे. माओवादियों के मध्यजोन में आधा पलामू, चतरा, बिहार का गया और औरंगाबाद शामिल है. जबकि कोयल शंख जोन में आधा पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा शामिल है.

बीड़ी पत्ता से वसूली गई लेवी का इस्तेमाल हथियारों की खरीद में होता थाः इस संबंध में एक पूर्व टॉप माओवादी ने पहचान छुपाने की शर्त पर बताया कि बीड़ी पत्ता से मिलने वाली लेवी का इस्तेमाल हथियार और विस्फोटकों की खरीद में की जाती थी. कई ऐसे कमांडर भी थे जो बीड़ी पत्ता से मिलने वाले लेवी खुद रख लेते थे. मार्च के अंतिम सप्ताह से केंदु पत्ता की तुड़ाई शुरू होती है जो मानसून के आगमन तक जारी रहती है. पूर्व माओवादी ने बताया कि कई ऐसे इलाके भी होते हैं जहां वन विभाग बीड़ी पत्ता के लिए टेंडर नहीं करता है, उन इलाकों में भी माओवादी ठेकेदारों के माध्यम से बीड़ी पत्ता को तुड़वाते थे और इससे एक मोटी रकम मिलती थी. यह रकम लेवी से कई गुणा अधिक होती थी.

मजदूरों को हुआ फायदा, कई इलाकों में मजदूर ठेकेदारी से जुड़े: नक्सलियों को मिलने वाली लेवी बंद होने के बाद कई इलाकों में मजदूरों को फायदा हुआ है. पलामू, गढ़वा और लातेहार के कई इलाके में मजदूर है बीड़ी पत्ता का ठेकेदार बन गए हैं. टेंडर वाले फर्म से मजदूर सीधी बातचीत कर रहे हैं और तुड़ाई की रकम तय कर रहे हैं. पलामू के मनातू, तरहसी जैसे इलाके में दो वर्ष पहले तक मजदूरों को प्रतिबैग 70 से 80 रुपए मिलता था. अब इसे बढ़ा कर 105 रुपए कर दिया गया है. पलामू प्रमंडल के इलाके में मार्च के अंतिम सप्ताह से जून तक 15 हजार से अधिक मजदूर बीड़ी पत्ता की तुड़ाई में लगते हैं. मजदूर भुखन गंझू ने बताया कि नक्सलियों के कमजोर होने के बाद कुछ फायदा हुआ है. अब कहीं भी बेहिचक केंदु पत्ता की तुड़ाई के लिए चले जाते हैं. पहले एक खौफ था और अनुमति लेनी पड़ती थी.

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पुलिस ने जारी की है चेतावनी, बढ़ाई गई है कैंपों की संख्या: पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि बीड़ी पत्ता से लेवी वसूलने वाले नक्सलियों के खिलाफ चेतावनी जारी की गई है. नक्सलियों को बीड़ी पत्ता से मिलने वाली लेवी को बंद करना पुलिस के लिए बड़ी प्राथमिकता है. भाकपा माओवादी को लेवी मिलना लगभग बंद हो गया है. अन्य नक्सल संगठनों के खिलाफ भी अभियान चलाया जा रहा है. बीड़ी पत्ता के कारोबारियों से लेवी वसूलने वाले कई नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. दरअसल, पलामू प्रमंडल के कई इलाकों में पिछले दो वर्षों में नक्सलियों का सफाया हुआ है. दुरूह इलाके में 15 से अधिक पुलिस कैंप स्थापित किए गए हैं.

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