पलामू: देश के पिछड़े जिलों में पलामू शामिल है. यहां कुपोषण एक बड़ी समस्या रही है. केंद्र की सरकार ने पलामू को देश के आकांक्षी जिलों में शामिल किया है और कई योजनाओं की शुरुआत की है. पलामू के करीब 48.8 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं, जबकी 39 प्रतिशत के करीब बच्चे भी एनीमिक हैं. इन आंकड़ों को लेकर पलामू जिला स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर हो गया. पूरे जुलाई महीना में अभियान चलाकर पलामू में स्कूली बच्चों के बीच 10.40 हजार आयरन की गोली खिलाई जाएगी. वहीं 55 हजार गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य विभाग निगरानी करेगा. स्वास्थ्य विभाग की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि 30 प्रतिशत से अधिक महिलाओं का ह्यूमोग्लोबिन लेवल छह के करीब है.
प्रत्येक महिला की होगी निगरानी, तैयार होगा डाइट चार्ट: पलामू में गर्भवती महिलाएं और बच्चों में ह्यूमोग्लोबीन लेवल ठीक करने के लिए स्वास्थ विभाग ने एक रोडमैप तैयार किया है. पलामू सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि एक महीने तक सभी गर्भवती महिलाओं पर कड़ी निगरानी रखी जानी है. स्वास्थ्य सहिया और एएनएम के माध्यम से महिलाओं पर निगरानी शुरू की गई है. महिलाओं को आयरन की गोली दी गई है. स्वास्थ्य विभाग की टीम इस बात की मॉनिटरिंग कर रहा है कि महिलाएं गोली का सेवन नियमित रूप से कर रही है कि नहीं, हर 15 दिन पर सभी का जांच की जा रही है. उनका वजन और ह्यूमोग्लोबीन लेवल कितना बढ़ा है, इसी तरह स्कूलों बच्चों को भी स्वास्थ विभाग की निगरानी में आयरन की गोली खिलाई जा रही है. सिविल सर्जन ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए डाइट चार्ट भी तैयार किया गया है. उनके डाइट को लेकर स्वास्थ विभाग की टीम काउंसेलिंग करेगी.
गांव स्तर पर शुरू हुआ अभियान: एनीमिक होने के कारण महिलाओं और बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. पलामू के हैदरनगर में डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि महिलाओं में जागरूकता की कमी है. स्वास्थ्य में परेशानियों के बावजूद वह डॉक्टरों से चेकअप नहीं करवाती हैं. एनीमिक होने के कारण ह्यूमोग्लोबीन लेवल कम होता है, जिस कारण स्वस्थ बच्चे का जन्म मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि महिलाओं के साथ साथ परिवार के सदस्यों को भी जागरूक होने की जरूरत है.