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पाकुड़ की सब्जियों की विदेशों में डिमांड, दो मीट्रिक टन कच्चू भेजा गया कतर

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Published : Oct 30, 2021, 2:17 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 6:49 AM IST

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पाकुड़ के सब्जियों की विदेशों में डिमांड

किसानों की मेहनत और प्रशासन से सहयोग से पाकुड़ सब्जी खेती के मामले में आत्मनिर्भर होता जा रहा है. यहां उगाए गए कच्चू की मांग न केवल देश में बढ़ी है बल्कि विदेशों में भी इसका निर्यात किया जा रहा है. प्रशासनिक मदद से खुश किसानों ने आने वाले समय में सब्जियों की उपज बढ़ाने का भरोसा दिया है.

पाकुड़: किसानों की मेहनत और आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत प्रशासन का सहयोग सब्जी की खेती के मामले में पाकुड़ को आत्मनिर्भर बना रहा है. किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि जो सब्जी पहले स्थानीय बाजारों में बिक रही थी वही सब्जी अब विदेशों में रह रहे लोगों के रसोई घर में पाकुड़ की मिट्टी का सुगंध बिखेर रही है.

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विदेशों में बढ़ी मांग

वैसे तो पाकुड़ के किसान सब्जी की खेती पहले से ही किया करते थे लेकिन प्रशासन से मिले सहयोग के बाद यहां की खेती इतनी उन्नत हो गई है कि यहां उगाई गई सब्जियों की विदेशों में भी डिमांड बढ़ने लगी है. बैगन, भिंडी, बरबट्टी, ब्रोकली के बाद अब कच्चू भी विदेशो में पसंदीदा बन रहा है.

कच्चू से आई चेहरे पर मुस्कान

पाकुड़ में किसानों द्वारा उपजाए गए कच्चू कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विभाग प्राधिकरण एपीडा के सहयोग से कतर भेजे जा रहे हैं. किसानों की ओर से पैदा किए गए दो मीट्रिक टन कच्चू की पहली खेप कोलकाता के रास्ते विदेश भेजी जा रही है. इसे डीसी वरूण रंजन ने हरी झंडी दिखाई है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विभाग प्राधिकरण की पहल से न केवल किसानों के चेहरे खिल उठे हैं बल्कि उनकी आमदनी में भी लगातार वृद्धि हो रही है. आय में बढ़ोतरी से खुश किसानों ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत योजना की सराहना की है.

प्रशासन करेगा मदद

पाकुड़ जिले का कच्चू विदेश भेजे जाने के मामले में डीसी वरुण रंजन ने बताया कि जिले के किसानों के समक्ष बाजार की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती है. जिला प्रशासन एपीडा के सहयोग से इस समस्या से निपटेगा. डीसी ने बताया कि चास हाट योजना के तहत जिले के लक्षित 8 हजार किसानों के उत्पादित सामानों को भी विदेशी बाजार के मापदंड के अनुरूप तैयार कर उसे विदेशों में भेजने का काम प्रशासन करेगा.

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कच्चू के कई नाम

बता दें कि बिहार, झारखंड और बंगाल में कच्चू के नाम से मशहूर इस सब्जी को देश के दूसरे इलाके में अरबी या घुइयां के नाम से भी जाना जाता है. सोडियम की अच्छी मात्रा पाए जाने के कारण ब्लड प्रेशर, मधुमेह, और कैंसर जैसी बीमारियों में इस सब्जी को उपयोगी माना जाता है.

उपज बढ़ाएंगे किसान

किसानों का कहना है कि सरकार के स्तर से यदि इसी तरह का सहयोग मिलता रहे तो हम और अधिक साग सब्जी की उपज बढ़ाएंगे. जिससे लोगों को साग सब्जी उचित दाम में मिलेगा और बाजार में अनुपलब्धता का सामना नहीं करना पड़ेगा. सरकार द्वारा की गई इस पहल से सब्जी उत्पादन करने वाले प्रखंड महेशपुर, लिट़्टीपाड़ा, पाकुड़ सदर प्रखंड के किसानों में यह आशा जगी है कि अब उन्हें आने वाले दिनों में अपनी साग सब्जियों को बेचने के लिए बाजार नहीं ढूंढ़ने पड़ेंगे.

Last Updated :Oct 31, 2021, 6:49 AM IST
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