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पाकुड़: चंडालमारा-घाटचोरा ध्वस्त पुल की कब सुध लेगा शासन, जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं नागरिक

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Published : Mar 18, 2020, 4:51 PM IST

Updated : Mar 18, 2020, 5:54 PM IST

महेशपुर प्रखंड में बना चंडालमारा घाटचोरा ध्वस्त पुल लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. पुल के खंभे धंसे हुए 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रही है. नागरिक रोज नदी में पानी के बीचोंबीच आने-जाने को मजबूर हैं.

पाकुड़
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पाकुड़: झारखंड राज्य के पाकुड़ जिले में इन दिनों लोग सरकार की उदासीनता से खासे नाराज हैं. दरअसल जिले में एक पुल बदहाली पर आंसू बहा रहा है, लेकिन सरकार हाथ पर धरे बैठी है, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है. ऐसे में महेशपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग लाचार हैं, तो शासन और प्रशासन में बैठे लोग दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं. करोड़ों की लागत से बना महेशपुर प्रखंड का चंडालमारा घाटचोरा ध्वस्त पुल अपनी कहानी बयां कर रहा है.

चंडालमारा-घाटचोरा ध्वस्त पुल से नागरिक परेशान.

जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन सैकड़ों लोग नदी में तेज बहाव के बीच आना-जाना कर रहे हैं. लोगों को रोजमर्रा के सामानों की खरीदारी करने के लिए आना-जाना पड़ता है. महेशपुर प्रखंड के बांसलोई नदी पर घाटचोरा से चंडालमारा के बीच वर्ष 2015 में ग्रामीण विशेष प्रमंडल द्वारा मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत 5 करोड़ 98 लाख रुपये की राशि से पुल का निर्माण कराया गया था.

अभियंताओं और ठेकेदार जमाल कंस्ट्रक्शन की मिलीभगत और अनियमितता की वजह से पुल के तीन खंभे बीते सितंबर माह में धंस गए और उसका हिस्सा नदी में बह गया. पुल के खंभे धंसे हुए 6 महीने बीत चुके हैं, परंतु सरकार ने इसे दुबारा बनवाने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद इतना जरूर हुआ है कि पुल के घटिया निर्माण को लेकर ठेकेदार को काली सूची में डाल दिया गया और कार्यपालक अभियंता उपेंद्र पाठक, लेवा मींज, सहायक अभियंता परशुराम सत्यवादी, राजकुमार भारती, कनीय अभियंता मदन मोहन सिंह एवं परमानंद साह की सेवा बर्खास्तगी को लेकर कार्रवाई शुरू की गयी है.

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फिलहाल महेशपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग रोज चंडालमारा घाटचोरा नदी में पानी के बीचोंबीच आने-जाने को मजबूर हैं. साथ ही शासन-प्रशासन में बैठे लोगों को कोस रहे हैं. झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री जिले के पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से ही निर्वाचित हुए हैं, जबकि महेशपुर प्रखंड के स्थानीय विधायक झामुमो के प्रोफेसर स्टीफन मरांडी है.

राज्य में जिले का मंत्री और गठबंधन सरकार के झामुमो विधायक रहने के बावजूद यदि पुल के निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही हो तो ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है. इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि पुल निमार्ण का कार्य शुरू हो इस दिशा में कदम उठाए गए हैं, जबकि दोषी अभियंताओं के खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है. गहरा पानी जहां है, उस रास्ते से लोग तत्काल आना-जाना नहीं करें इसके लिए महेशपुर अंचलाधिकारी व थानेदार को निर्देश दिया गया है.

Last Updated :Mar 18, 2020, 5:54 PM IST
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