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देशभर में बीएसएफ ही बनाता है आंसू गैस ड्रोन यानी टीयर स्मोक लॉन्चर, जानिए कैसे करता है काम

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 1, 2023, 7:45 PM IST

Know how works BSF tear gas shelling drone
जानिए बीएसएफ द्वारा तैयार आंसू गैस ड्रोन यानी टीयर स्मोक लॉन्चर कैसे काम करता है

Know how works BSF tear gas shelling drone. बीएसएफ द्वारा तैयार आंसू गैस ड्रोन यानी टीयर स्मोक लॉन्चर बहुत उपयोगी है. हजारीबाग के बीएसएफ कैंप में बीएसएफ के स्थापना दिवस पर इसे प्रदर्शनी के लिए लगाया गया है. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानिए, अश्रु गैस ड्रोन कैसे काम करता है और ये कहां बनाया जाता है.

बीएसएफ द्वारा तैयार आंसू गैस ड्रोन यानी टीयर स्मोक लॉन्चर, जानकारी देते बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट

हजारीबागः बीएसएफ कई महीने में खास है. बीएसएफ सीमा सुरक्षा की बागडोर उठाये हुए है तो दूसरी ओर जन सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान निभाता है. यही नहीं पूरे देश भर में बीएसएफ एक ऐसी संस्था है जो अश्रु गैस या आंसू गैस का निर्माता है. मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित टीयर स्मोक यूनिट में इसका निर्माण करता है. जिसका उपयोग पूरे देश भर के विभिन्न पुलिस बल और अर्ध सैनिक बल करते हैं.

पूरे देश भर में बीएसएफ ही एक ऐसी संस्था है जो अश्रु गैस का इसका निर्माण करता है. सीमा सुरक्षा बल ने आंसू गैस के गोले गिराने वाला ड्रोन विकसित किया है. इसका इस्तेमाल पुलिस दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए कर सकती है. बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट अभिजीत आनंद ने कहा कि ‘ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर’ का उपयोग ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराने के लिए किया जा सकता है.

सीमा सुरक्षा बल की टियर स्मोक यूनिट ने स्वदेशी ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर तैयार किया है. इसमें ड्रोन के जरिये 250-300 मीटर के दायरे में आंसू गैस के गोले गिराए जा सकते हैं. बीएसएफ ही पूरे देश भर में एक इकलौता आंसू गैस के गले बनाने का काम करता है, जिसका उपयोग पूरे देश में सेवा देने वाले विभिन्न बल प्रयोग में ला रहे हैं. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि कम से कम पुलिस बल की क्षति हो इसी उद्देश्य के साथ ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर बनाया गया है. खास करके जब उपद्रवी पथराव करते हैं तो यह ड्रोन बेहद मददगार साबित होता है. किसी भी घटना के दौरान उपद्रवियों को काबू करने और आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए इस ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इससे सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किए जाने वाले कर्मी सुरक्षित रहते हैं. कई बार भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान उनके गुस्से का शिकार होना पड़ता. यही नहीं ये तकनीक गैर घातक भी है. बीएसएफ का यह अत्यधिक यंत्र है.

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