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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से गुमला के लोग बन रहे आत्मनिर्भर, कर रहे लाखों की कमाई

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Published : Jun 7, 2023, 11:24 AM IST

मछली पालन को लेकर गुमला के लोगों में उत्साह देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से कई लोग जुड़कर अपनी आजीविका को बेहतर कर रहे हैं.

Gumla People Earning through Fisheries
मछली पालन कर गुमला के लोग कमा रहे लाखों रुपये

गुमला: जिले के लगभग 8000 किसान मत्स्य पालन कर रहे हैं. मत्स्य विभाग लगातार किसानों में मछली पालन के प्रति रूचि पैदा कर रहा है. साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रहा है. ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने एवं स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने को लेकर मत्स्य पालन महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. केंद्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त पहल से मत्स्य पालन के क्षेत्र में अति महत्वकांक्षी एवं जन कल्याणकारी योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना देश के सभी राज्यों में वर्ष 2020-25 तक चलायी जा रहीं है.

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जिसके अंतर्गत कुल 47 योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत विभिन्न योजनाओं द्वारा लाभान्वित हुए लाभुक अपनी जीविका चला रहे हैं. साथ ही अपने जीवन स्तर को बेहतर कर रहे हैं.

केस स्टडी 01: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 के लाभुक पालकोट प्रखंड के तपकरा गांव की संजो देवी को तालाब से मत्स्य बाजार तक मछली परिवहन को लेकर तीन पहिया वाहन और आइस बॉक्स प्रदान किया गया है. पूर्व में मत्स्य कृषक प्लास्टिक अथवा बोरा में मत्स्य साइकिल/ मोटरसाइकिल अथवा अन्य किसी वाहन का प्रयोग कर मछली बिक्री करने के लिए स्थानीय बाजारों में ले जाते थे. जिससे वे लगभग प्रतिदिन 15 किलोग्राम ही मछलियों की बिक्री कर पाते थे. जिससे उनका केवल दैनिक जीवन यापन ही संभव था. अब प्रतिदिन लगभग 40-45 किलोग्राम मछली की बिक्री 10 स्थानीय बाजारों में कर रहें हैं. सालाना लगभग 5 से 6 लाख रुपये का कारोबार कर रहे हैं. तीन पहिया वाहन आईस बॉक्स सहित लागत तीन लाख रुपये है.

केस स्टडी 02: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में 'बॉयोफ्लॉक तालाब इनपुट सहित' के लिए दो लोगों का चयन हुआ है. इसमें एक शिवनाथपुर प्रखंड के कोडेदाग निवासी सुकरा उरांव और दूसरे बसिया प्रखंड के लोंगा गांव निवासी अनामिका नायक है. जिसमें दोनों तालाब निर्माण कार्य पूरा कर रहे हैं. साथ ही बॉयोफ्लॉक तालाब निर्माण के लिए पॉलीलाइनिंग एवं अन्य सामानों के इंस्टालेशन के लिए भी लगे हुए हैं.

इस योजना में लागत चौदह लाख रुपये है. जिसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ महिला को अनुदान की राशि आठ लाख चालीस हजार रुपये एवं अन्य कोटि के लाभुकों के लिए पांच लाख साठ हजार रुपये देय है. सुकरा उरांव को अनुसूचित जनजाति कोटि के तहत आठ लाख चालीस हजार रुपये एवं अनामिका नायक को महिला कोटि के तहत आठ लाख चालीस हजार रुपये प्रदान किया गया.

केस स्टडी 03: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में मछली परिवहन को लेकर रेफ्रिजरेटेड वाहन क्रय हेतु दो लोगों को जिम्मेदारी मिली है. पहले गुमला प्रखंड आंजन गांव निवासी श्यदुनंदन और दूसरे सतीश लकड़ा जो पतराटोली प्रखंड के नावागढ़ के रहने वाले हैं. वहीं इनसुलेटेड वाहन क्रय के लिए पालकोट प्रखंड के ओरखेंगा निवासी विश्वासी लकड़ा उक्त योजना का लाभ ले रहे हैं. रेफ्रिजरेटेड वाहन एवं इनसुलेटेड वाहन उपलब्ध होने से मत्स्य कृषकों को गुमला जिले से बाहरी बाजार में मत्स्य परिवहन में सुविधा होगी. गुमला जिला के मत्स्य कृषक अब सुविधापूर्वक हाईजेनिक कंडीशन में मत्स्य बिक्री को पड़ोसी राज्यों में भी पहुंचा सकेंगे. जिससे मत्स्य कृषकों की आमदनी बढ़ेगी.

रेफ्रिजरेटेड वाहन की इकाई लागत पच्चीस लाख रुपये प्रदान किया जाता है. जिसमें महिला/ नुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लाभुकों को 60 प्रतिशत अनुदान 15 लाख रुपये देय है. अन्य वर्ग के लाभुकों को 40 प्रतिशत अनुदान में दस लाख रुपये देय है. साथ ही इनसुलेटेड वाहन हेतु ईकाई लागत मो० बीस लाख रुपए है, जिसमें महिला/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लाभुकों को 60 प्रतिशत अनुदान में बारह लाख रुपये देय है. अन्य वर्ग के लाभुकों को 40 प्रतिशत अनुदान के साथ आठ लाख रुपये देय है.

केस स्टडी 04: गुमला जिले को मत्स्य आहार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत लघु फीड मिल की जिम्मेदारी लाभुक बसिया प्रखंड के कुम्हरिया निवासी ज्योति लकड़ा को मिली है. वर्त्तमान में फीड मित्र बन कर तैयार हो गया है. फीड की जांच के लिए काम किया जा रहा है. आगामी माह जून 2023 से मत्स्य कृषकों को गुमला जिले से ही मत्स्य आहार मिलने लगेगा. जिससे मत्स्य कृषकों को जिले से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. जिससे मत्स्य कृषकों का परिवहन पर आने वाले व्यय बचेगा एवं समय की भी बचत होगी.

मध्यम फिश फीड मिल की ईकाई लागत तीस लाख रुपये है. जिसमें महिला/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लाभुकों को 60 प्रतिशत अनुदान (अठारह लाख रुपये) देय है. अन्य वर्ग के लाभुकों को 40 प्रतिशत अनुदान (दस लाख) रुपये देय है. मध्यम फिश फीड मिल में प्रतिदिन 02 टन गुणवत्ता युक्त फीड का उत्पादन किया जा सकेगा. एक माह में लगभग 26 दिन के कार्यदिवस के बाद कुल 52 टन फिश फीड का उत्पादन किया जा सकता है. मिल में मछलियों के साइज के अनुरूप फीड का उत्पादन होगा. जिसमें 0.40एमएम से 03.0 एमएम साइज तक के फीड होगें. जिसे मत्स्य कृषक अपनी सुविधानुसार उच्च गुणवत्ता वाले फीड का क्रय स्थानीय फिश फीड मिल से ही कर पायेंग.

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