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बदहाल दुमका कृषि अनुसंधान केंद्र! वर्षों से बेकार पड़े हैं कई लैब, सरकारी पहल का इंतजार

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Published : Oct 22, 2022, 2:42 PM IST

Dumka Agricultural Research Center lab in Bad condition
दुमका

झारखंड सरकार किसानों के कल्याण और उनके हित की योजनाएं ला रही हैं. बड़े पैमाने पर उद्घाटन और शिलान्यास किया जा रहा है. लेकिन इस कार्यक्रम के बाद ऐसी योजनाओं को सरकारी उदासीनता की उदासीनता का शिकार होना पड़ता (Dumka Agricultural Research Center in Bad shape) है. दुमका कृषि अनुसंधान केंद्र की बदहाली पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

दुमकाः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खूंटी जिला के कर्रा में किसान पाठशाला का उद्घाटन किया. जहां किसानों को आधुनिक कृषि के तौर-तरीके सिखाए जाएंगे. यह किसान पाठशाला कितना सफल होगा यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा पर कुछ इसी तरह का प्रयास दुमका में भी किया गया था. जब दुमका स्थित बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र में किसानों के हित में कई लैब स्थापित किए गए थे लेकिन आज कृषि केंद्र के लैब बेकार पड़े (Dumka Agricultural Research Center in Bad shape) हुए हैं.

आज क्या हैं हालातः झारखंड की उपराजधानी दुमका में बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र स्थापित है. यहां किसानों के हित के लिए कई लैब स्थापित किए गए हैं. इसमें मिट्टी टेस्टिंग लैब, सीड जर्मिनेशन सेंटर, टिशू कल्चर लैब, मशरूम बीज उत्पादन इकाई प्रमुख हैं. यह सभी लैब किसानों के हित में काफी उपयोगी है. अगर किसानों को यह पता करना है कि हमारी मिट्टी की उर्वरता कितनी है या फिर उसमें कौन सा फसल बेहतर उपजेगा तो वह सॉयल टेस्टिंग लैब में अपनी मिट्टी की जांच करा सकते हैं. वहीं बेहतर क्वालिटी के पौधों को पाने के लिए सीड जर्मिनेशन सेंटर का सहारा ले सकते हैं. मशरूम कैसे उत्पादित किया जाए इसके लिए उनके लिए मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण केंद्र हैं. जहां मशरूम उपजाकर किसानों को बताने की व्यवस्था है लेकिन आपको जानकर हैरत होगा कि बड़ी राशि से तैयार किये गए ये सभी लैब बेकार पड़े हुए हैं. किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, महीनों से जब यहां कोई काम नहीं हो रहा तो किसान अब इस कृषि अनुसंधान केंद्र के परिसर में पहुंच भी नहीं रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

क्या कहते हैं दुमका सांसदः दुमका के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के सभी लैब लंबे समय से खराब है. किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस मामले पर हमने दुमका सांसद सुनील सोरेन से बात की. सांसद ने इस परिस्थिति के लिए राज्य सरकार और कृषि विभाग को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि दुमका का यह संस्थान बिल्कुल बेजान हो चुका है. राज्य सरकार को किसानों के हित से कोई लेना देना नहीं है. यही वजह है कि यहां के सारे प्रयोगशाला हैं खराब पड़े हुए हैं. उनका कहना है कि हमारा यह प्रयास रहेगा कि इस केंद्र के सभी प्रयोगशाला चालू हो ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके.

क्या कहते हैं क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के सह निदेशकः इस पूरे मामले पर हमने बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के जोनल एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन के सहायक निदेशक राकेश कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि यहां की जो प्रयोगशालाएं हैं वह किसानों के लिए काफी लाभप्रद हैं लेकिन फिलहाल इनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है. उनका कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह विद्युत व्यवस्था की पर्याप्त सुविधा का न होना है. हमारे यहां जितनी बिजली चाहिए वह कुछ महीनों से उपलब्ध नहीं हो पा रहा, साथ ही मैन पावर की भी समस्या है. राकेश कुमार कहते हैं कि बहुत जल्द इन समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा और किसानों के हित में जो यहां सिस्टम है वह काम करने लगेगा.

अन्नदाताओं को लाभ मिलना जरूरीः आज किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन पहले से उनके लिए जो काम किया गया है वह उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार और विभाग को चाहिए कि दुमका के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के जितने भी लैब है उसे दुरुस्त कराएं और किसानों को इसका लाभ मिले यह सुनिश्चित कराए.

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